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विज्ञान ने बहुत बाद में की शक्ति व ऊर्जा की खोज, हमारे वेदों में प्राचीनकाल से शक्ति और साधना की चर्चा

भारतीय संस्कृति में शक्ति साधना और लोकमंगल विषय पर आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर ने कहा कि हमारे वेदों में शक्ति और साधना की महत्‍ता है। अर्द्धनारीश्‍वर जीवन के प्रतीक हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 07:48 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 07:48 AM (IST)
विज्ञान ने बहुत बाद में की शक्ति व ऊर्जा की खोज, हमारे वेदों में प्राचीनकाल से शक्ति और साधना की चर्चा
वेबिनार में वक्‍ताओं ने बताई शक्ति की महत्‍ता। प्रतीकात्‍मक फोटो

बोधगया (गया), जागरण संवाददाता। भारत तब तक अधूरा है, जब तक हम वेदों की चर्चा नहीं करते। हम सभी लोग स्वस्थ रहे, समृद्ध रहे यही हमारे वेदों में कामना की गई। इसके लिए शक्ति की साधना को आवश्यक बताया गया है। उक्त बातें मंगलवार को भारतीय संस्कृति में शक्ति साधना और लोकमंगल विषय पर आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय नई दिल्ली (Jawahar Lal Nehru University, New Delhi) के आचार्य डॉ हरिराम मिश्र ने कही। उन्होंने अर्द्धनारीश्‍वर के स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि यदि शिव शक्ति से युक्त नहीं है तो वह निर्माण कार्य नहीं कर सकते। इतना ही नहीं स्पंदन क्रिया भी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसा तत्व नहीं है, जो बिना शक्ति की उपासना के मिल सकती है। प्रलय और निर्माण सभी की कामना शक्ति की उपासना का ही फलाफल है।

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साधना से ही मिलती है शक्ति

अध्यक्षीय संबोधन में मगध विवि के कुलपति प्रो राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि आज के समय में जब हम राष्ट्रीय शक्ति की बात करते हैं तो निश्चित रूप से संस्कृति से मिलने वाली शक्ति को इग्नोर नहीं कर सकते। साधना के लिए हमारे ऋषि-मुनियों और तपस्वियों ने मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विचार करके उत्सव के रूप में शक्ति साधना का सूत्रपात किया और वैदिक काल से लेकर आज तक शक्ति के साधना के लिए हम नौ दिनों तक भगवती की साधना करते हैं। उन्होंने कहा कि नवरात्र में हम भगवती की साधना करते हैं। साधना से अंत:करण की शुद्धि होती है।

सभी शक्तियों का स्रोत है आत्‍मा

अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी ने कहा कि आधुनिक विज्ञान ने शक्ति और ऊर्जा की खोज बहुत बाद में की। उन्होंने कहा कि सभी शक्तियों का स्रोत आत्मा है। भारतवर्ष में सभी शक्ति की उपासना की जाती है। लेकिन उसके केंद्र में आत्मा की शक्ति है। जो बिना अध्यात्म के संभव नहीं है। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो विनय कुमार ने कहा कि जो शक्ति पालन करती है। वहीं शक्ति कुपित होने पर विना कार्य करती है। शक्ति के प्रति जो धारणा रहे हैं उसमें कामनाओं की अपेक्षा रखी गई है। समन्वयक डॉ शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने नवरात्र के मौके पर इस गंभीर विषय के उपादेयता पर प्रकाश डाला। वेबिनार में गृह विज्ञान विभाग की सहायक आचार्य डॉ दीपशिखा पांडे ने स्वागत किया तथा संस्कृत विभाग की सहायक आचार्य डॉ ममता मेहरा ने सबों के प्रति आभार प्रकट किया।


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