Vocal for Local: गया के तिलकुट की खुशबू फैली दूर-दूर तक, मकर संक्रांति पर 12 करोड़ का हुआ कारोबार
गया का प्रसिद्ध तिलकुट वोकल लोकल का बेहतर उदाहरण है। दूर-दूर के लोग यहां का तिलकुट खरीदकर ले जाते हैं। इसका असर हुआ कि मकर संक्रांति के अवसर पर करीब 12 करोड़ रुपये का तिलकुट का कारोबार यहां हुआ है।
नीरज कुमार, गया। कोरोना ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया। चाहे वह बाजार हो या रोजगार। लेकिन गया का तिलकुट बाजार अपेक्षाकृत कम प्रभावित हुआ। मौसमी होने की वजह से तिलकुट बाजार की रौनक बढ़ गई। यूं कहें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वोकल फॉर लोक मंत्र तिलकुट बाजार के लिए वरदान साबित हुआ। भारत सरकार के सबसे बड़े नेटवर्क रेलवे और डाक का साथ मिला तो फिर जैसे इसकी गति को पंख लग गए। एक अनुमान के मुताबिक गया में करीब 10 से 12 करोड़ रुपये का तिलकुट का कारोबार हुआ है। यह एक रिकार्ड के समान है क्योंकि रेल, बस और ट्रांसपोर्ट सेवाएं कई महीनों तक बंद रही। बावजूद तिलकुट की सोंधी खुशबू देशभर में फैली।
दिसंबर माह में प्रमोद लड्डू भंडार से एकरारनामा होने के बाद डाक विभाग ने गया के प्रसिद्ध तिलकुट को बिहार के 35 जिले में पहुंचाने की जिम्मेवारी ली। करीब एक माह में डाक विभाग ने 5250 किलोग्राम तिलकुट का कारोबार किया। 360 रुपये की दर से अकेले डाक विभाग ने 19 लाख रुपये का तिलकुट बेचा है। इस कारोबार को पहली बार शुरू किया गया था।
टिकारी व शहरी क्षेत्र में गुड़ का तिलकुट आउट ऑफ स्टॉक
मकर संक्रांति में ऐसे तो चीनी, गुड़, खोया, मेवे का तिलकुट बनाया जाता है। लेकिन सर्दी के मौसम में गुड़ के तिलकुट की मांग सबसे अधिक रही। डिमांड का असर ऐसा रहा कि त्योहार से कई पहले से ही टिकारी व शहरी क्षेत्र में गुड़ के तिलकुट स्टॉक खत्म हो गया।
सुबह से लेकर कई प्रतिष्ठान में लगी रही लंबी कतार
गया शहर और ग्रामीण क्षेत्र में तिलकुट की करीब 250 दुकानें है। जहां दिन-रात 400 से 500 कुशल कारीगर के साथ दुकानदार का पूरा परिवार लगा रहा। फिर भी अधिकांश दुकानों में ग्राहकों की लंबी कतार देखी गई। विशेष कर शहरी क्षेत्र में रमना, टिकारी रोड, सूर्यकुंड, कोयरीबारी मोहल्ला में तिलकुट दुकानों पर सुबह से लेकर देर रात तक खरीदारों की भीड़ लगी रही। मांग इतनी अधिक रही कि कई दुकानदार ने दो किलोग्राम से अधिक नहीं देने का बोर्ड लगा दिया था। मांग की पूर्ति करने तैयार नहीं दुकानदार
कोरोना में जिस कदर बाजार पर मार पड़ी थी। उससे दुकानदार तिलकुट के बाजार का आकलन नहीं कर पाए थे कि मांग अचानक बढ़ जाएगी। ट्रांसपोर्ट बंद रहने के कारण दूसरे प्रदेशों से कच्चा माल मंगाने में भी असुविधा हुई। क्षमता के अनुकूल उत्पादन नहीं कर पाए। दुकानदार बताते है कि गर्मी में होने वाला शादी समारोह सर्दी में चला गया। उसमें कारीगर व्यस्त हो गए। नतीजा हुआ कि दीपावली और छठ के बाद कारीगर मिले। तब तक तिलकुट का कारोबार परवान पर चढ़ गया। फिर भी कोरोना में बंदिश रहने के बाद भी गया का तिलकुट कारोबार बहुत बेहतर रहा।
वोकल फॉर लोकल से मिला नया आयाम
इस कारोबार को बढ़ाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका रही। उनके निर्देश में डाक विभाग ने गया के तिलकुट कारोबार को एक बड़ा बाजार कोरोना काल जैसे मंदी के दौर में दिया है। दुकानदार लोकल में वोकल का पूरा लाभ उठाए।प्रमोद लड्डू भंडार के प्रोपराइटर प्रमोद कुमार भदानी कहते हैं कि पीएम के लोकल टू वोकल की जितनी सराहना की जाए कम होगी। सभी ट्रांसपोर्ट बंद रहने के बावजूद बेहतर बाजार रहा है। डाक विभाग और स्वयं के आउटलेट से करीब 10550 किलोग्राम तिलकुट का कारोबार किए हैं। अगर बीते साल की तरह बाजार खुला रहता कारोबार में और भी बढ़ोतरी होती।