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लोक संस्कृति बचाने के लिए सहेजने होंगे तालाब

गया । आदिकाल से चली आ रही परंपरा आज मिटने के कगार पर है। लोक जीवन में तालाब का धार्मिक महत्व रहने

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 07:21 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 07:21 PM (IST)
लोक संस्कृति बचाने के लिए सहेजने होंगे तालाब
लोक संस्कृति बचाने के लिए सहेजने होंगे तालाब

गया । आदिकाल से चली आ रही परंपरा आज मिटने के कगार पर है। लोक जीवन में तालाब का धार्मिक महत्व रहने के कारण यह संस्कृति में रची बसी हुई है। आज रखरखाव के अभाव और प्रदूषित वातावरण के चलते तालाब लुप्त होने के कगार पर हैं। जरूरत है तो इन्हें बचाने की। तालाब नष्ट हो गए तो लोक संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी।

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आज हम बात कर रहे हैं बिसार तालाब की। अतिक्रमण और गंदगी के कारण वार्ड 37 में स्थित बिसार तालाब के अस्तित्व पर संकट है। तालाब में शहर के गंदे नाले गिरने के कारण पानी भी दूषित हो गया है। तालाब की उत्तरी दिशा में अतिक्रमण कर कई मकान बना लिए गए हैं। समय रहते जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा पहल नहीं की गई तो नामोनिशान मिट जाएगा।

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सीढि़यों पर गोबर का अंबार

तालाब की सीढि़यों पर गोबर का अंबार लगा हुआ है। आसपास के लोगों द्वारा सीढि़यों पर गोइठा ठोके जा रहे हैं। साथ ही मुख्यद्वार पर खटाल खुला है। इसके कारण तालाब के चारों ओर गंदगी ही गंदगी दिखाई पड़ती है। तालाब में नगर निगम द्वारा एक बड़ा गंदा नाला भी गिरा दिया गया है।

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असामाजिक तत्वों

का लगता है जमावड़ा

अगर तालाब साफ-सुथरा रहता तो शहर के लोग जाकर सैर करते। तालाब के चारों ओर गंदगी रहने कारण शहर के लोग तालाब के पास नहीं जाते। ऐसे में पूरे दिन असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता था। तालाब पर असामाजिक तत्व पूरे दिन जुआ खेलते रहते हैं।

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प्रमुख तालाबों में एक

शहर के प्रमुख तालाबों में बिसार तालाब भी एक है। गांधी मैदान के सटे रहने कारण लोगों की सुबह-शाम भीड़ लगी रहती थी। लोगों की मानें तो मगध सम्राट बिंबसार ने इस तालाब का निर्माण कराया था। इसलिए तालाब का नाम बिसार पड़ा।

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तालाब के सुंदरीकरण को लेकर कई बार जिलाधिकारी और नगर आयुक्त के समक्ष गुहार लगाई हूं। हृदय योजना के तहत इस तालाब के सुंदरीकरण का कार्य भी किया जाना चाहिए। कई बार शिकायत के बाद भी सुंदरीकरण की बातें तो दूर सफाई तक नहीं की जाती है।

सारिका वर्मा, वार्ड पार्षद


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