देवभाषा संस्कृत को समृद्ध कर रही सासाराम की बेटियां, गुरुकुल के जरिए सेवानिवृत शिक्षक दे रहे हैं ट्रेनिंग
सासाराम की बेटियों को संस्कृत पढ़ाने को लेकर खास पहल की जा रही है। सेवानिवृत्त शिक्षक मुनमुन दूबे अपने आवास पर ही खासकर लड़कियों को मार्च 2020 से ही गुरुकुल खोल निशुल्क संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं ताकि संस्कृत और समृद्ध हो सके।
जागरण संवाददाता, सासाराम। छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में देवभाषा संस्कृत के जानकारों की कमी ने छात्रों को भी इससे मुंह मोड़ने पर विवश किया है।इसका नतीजा यह है कि मैट्रिक में कई छात्र अब विकल्प के रूप में संस्कृत को छोड़कर अन्य भाषा का अध्ययन करने लगे हैं। संस्कृत के प्रति विमुखता को देख सेवानिवृत्त शिक्षक मुनमुन दूबे ने बेटियों को संस्कृत व पांडित्य के क्षेत्र में उतारने के लिए अभियान चला रहे हैं। इसके लिए नियमित निशुल्क शिक्षा तथा अन्य सामग्रियां उपलब्ध करा रहे हैं। सेवानिवृत्त शिक्षक मुनमुन दूबे मानना है कि बेटियां जब देवभाषा जानेंगी तभी यह और समृद्ध होगी।
शहर के श्री शंकर इंटर स्तरीय विद्यालय तकिया से वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे आज तक अपनी सेवा को नहीं भूले हैं। सेवानिवृत्ति होने उपरांत वे अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय रामेश्वरगंज तथा पिछड़ा वर्ग प्लस टू आवासीय विद्यालय मोकर में 2018 उसके बाद कुछ दिन तक रामा रानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में नि:शुल्क पढ़ाने का कार्य किया। कोरोना महामारी के बीच वे आज अपने आवास पर ही खासकर लड़कियों को मार्च 2020 से ही गुरुकुल खोल नि:शुल्क संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं। वे आज लड़कियों को वेद पुराण की शिक्षा दे आचार्य बनाने का कार्य कर रहे हैं, ताकि देवभाषा संस्कृत और समृद्ध हो सके।
श्री दूबे कहते हैं कि ज्ञान व सेवा दोनों आजीवन करने की चीज होती है। ज्ञान बांटने से जहां और अधिक ज्ञान हासिल होती हैं वहीं सेवा से कर्तव्य की पहचान होती है। बेटियों को बचाना व उसे आगे बढ़ाना सिर्फ सरकार ही नहीं हम सब की जवाबदेही है। बालिका दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि लड़कियों को अच्छी शिक्षा दें ताकि वह भारतीय संस्कृति से लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा तक को समृद्ध कर सके।