राशन के लिए दो वर्ष से दर-दर भटक रही रोहतास की बुजुर्ग महिला, सिस्टम की बेरुखी से हो चुकी परेशान
ऐसा ही हाल राज्य और केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं का है। लाभ पाने वाले लोग ज्यादातर अशिक्षित व आर्थिक रूप से इतने तंग होते हैं कि वे सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत जुटाना तो दूर कल्पना भी नहीं कर पाते।
संवाद सहयोगी, डेहरी आनसोन (सासाराम)। रोहतास में डेहरी प्रखंड क्षेत्र के पतपुरा गांव निवासी 73 वर्षीय विधवा शिवरतनी कुंवर पिछले दो वर्षों से अंत्योदय कार्ड रहने के बावजूद राशन के लिए दर-दर भटक रही है। उसने जनवितरण प्रणाली की दुकान से लेकर प्रखंड व अनुमंडल कार्यालय तक का चक्कर लगाया, पर समस्या का समाधान नहीं हो सका। अंत में थक हारकर बुजुर्ग महिला ने सोमवार को बीडीओ पुरुषोत्तम त्रिवेदी को राशन कार्ड की छाया प्रति देकर उसे भगवान भरोसे छोड़ अपने घर वापस लौट गई।
महिला ने बताया कि पीडीएस दुकान से मिलने वाला राशन ही उसके जीने का सहारा था। जब से खाद्यान्न मिलना बंद हुआ है, तब से बमुश्किल जीवन कट रही है। किसी ने खाना दिया तो खाया, अन्यथा भूखे पेट सो गई। बताया कि लगभग 14 वर्ष पहले उनके पति रामदेव सिंह का निधन हो गया है। तब से अब तक वह भी अपनी मौत का इंतजार कर रही है। रही सही कसर सिस्टम की बेरुखी ने निकाल दी है। अंत्योदय योजना से अगर खाद्यान्न मिलता, तो कुछ दिन और जिंदा रहती, पर अब लगता है जीना मुश्किल है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पदाधिकारियों की लापरवाही के चलते ही उसे अनाज नहीं मिल रहा है। उसके दो पुत्र हैं, जो अलग-अलग रहते हैं। कहा कि जब भी पीडीएस दुकान पर राशन लेने जाती हूं, तो कहा जाता है कि आपका राशन कार्ड बंद हो गया है, हम कहां से राशन देंगे। बीडीओ के अनुसार महिला को अनाज मिलना किस परिस्थिति में बंद हो गया है, यह जांच का विषय है। जांच कर राशन कार्ड को चालू करने का निर्देश प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को दिया है।
ऐसा ही हाल राज्य और केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं का है। लाभ पाने वाले लोग ज्यादातर अशिक्षित व आर्थिक रूप से इतने तंग होते हैं कि वे सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत जुटाना तो दूर कल्पना भी नहीं कर पाते।