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पत्थर के बाटों से रोहतास के ग्राहकों को लग रहा चूना, माप-तौल विभाग अनजान

बाजारों में उपभोक्ता हर रोज सरेआम ठगे जा रहे हैं। अधिकांश फुटकर विक्रेता लोहे के बदले पत्थर के बाट का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं को हर रोज चूना लग रहा है। प्रशासनिक शिथिलता की वजह से माप तौल अधिनियम माखौल बनकर रह गया है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 10:03 AM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 01:25 PM (IST)
पत्थर के बाटों से रोहतास के ग्राहकों को लग रहा चूना, माप-तौल विभाग अनजान
खुलेआम ठगी से ग्राहकों की जेब हो रही ढीली, सांकेतिक तस्‍वीर।

सासाराम : रोहतास, जागरण संवाददाता। बाजारों में उपभोक्ता हर रोज सरेआम ठगे जा रहे हैं। शहर के अधिकांश दुकानों पर जहां एक ओर इलेक्ट्रानिक कांटे का इस्तेमाल हो रहा है, वहीं यहां के अधिकांश फुटकर विक्रेता लोहे के बदले पत्थर के बाट का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं को हर रोज चूना लग रहा है। प्रशासनिक शिथिलता की वजह से माप तौल अधिनियम माखौल बनकर रह गया है। स्थानीय रौजा रोड स्थित सब्जी मंडी में दर्जनों सब्जी व फल ठेला दुकानदारों द्वारा सही वजन से कम तौला जा रहा है।

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दैनिक जागरण की टीम ने शुक्रवार को शहर के अलग-अलग हिस्सों का जायजा लिया। इस दौरान कई उपभोक्ताओं ने बताया कि कुछ दुकानदार तराजू पर डंडी चढ़ाकर, तो कुछ पत्थर के बाटों से ग्राहकों की जेब ढीली करने में लगे हैं। जिनके पास लोहे के बाट हैं, वे भी उन्हें अमानक कर दिए हैं। जिससे एक किलो सामान लेने पर उसका वजन दो सौ ग्राम कम ही रहता है। जिले के हाट एवं बाजारों में माप तौल उपकरणों का समय से विभागीय सत्यापन नहीं होने के चलते उपभोक्ता शोषण के शिकार हो रहे हैं।

हर रोज ठगे जाते लोग

स्थानीय रौजा रोड में एक फुटपाथी दुकानदार महिला टोकरी में लेकर मक्का और आम बेच रही थी। उसके पास न तो विभाग द्वारा निर्धारित तराजू था और न ही उचित बाट। एक किलो से लेकर आधा किलो और सौ ग्राम तक के वजन के लिए पत्थर घिसकर बनाए गए बाट से वह ग्राहकों को सामान बेच रही थी। यही हाल यहां अन्य दुकानदारों की भी है। ऐसे में उपभोक्ताओं की इनसे सामान लेना मजबूरी है। कुछ लोग तो इनसे सस्ता सामान खरीदने के चक्कर में हर रोज ठगे जाते हैं।  

रोज होती तू-तू, मैं-मैं

जिला मुख्यालय के अड्डा रोड में भी कई दुकानदार ठेले पर फल और सब्जी बेचते दिखे। यहां भी अधिकतर दुकानदारों के पास पत्थर के बाट देखने को मिल जाएंगे। इनके पास प्रमाणित बाट और तराजू तो हैं ,लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए। ये अधिकांश पत्थर से घिस कर बनाए गए बाट का ही उपयोग करते हैं। यह नजारा यहां हर रोज देखने को मिल जाता है। इसको ले आए दिन उपभोक्ताओं और विक्रेताओं में तू-तू मैं-मैं भी होती रहती है। उपभोक्ताओं का कहना है की विभाग से शिकायत करने के बावजूद समय समय पर  जांच नहीं होने से इनका मनोबल बढ़ा हुआ है।


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