घरों में फूड इंडस्ट्री, टमाटर उत्पादन में नंबर वन बना रोहतास, आधा दर्जन से अधिक प्रखंड बने 'टोमैटो हब'
सब्जियों का सरताज अगर आलू है तो जायका टमाटर के बिना अधूरा है। घरों से लेकर फूड इंडस्ट्री तक सबसे ज्यादा मांग टमाटर की होती है। अपने देश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट में भी टमाटर की सबसे ज्यादा डिमांड है। रहता है।
जागरण संवाददाता, सासाराम। सब्जियों का सरताज अगर आलू है तो जायका टमाटर के बिना अधूरा है। घरों से लेकर फूड इंडस्ट्री तक सबसे ज्यादा मांग टमाटर की होती है। अपने देश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट में भी टमाटर की सबसे ज्यादा डिमांड है। रहता है। हाइिबरड टमाटर की खेती करने से इसकी पैदावार बढ़ी है, और यह सालो भर सुलभ है। यही वजह है कि टमाटर उत्पादन में रोहतास जिला का चयन कर इसका उत्पादन बढ़ाया गया है। सरकार द्वारा वन उत्पाद, वन जिला के तहत सब्जी उत्पादों में जिले में सब्जी की खेती के लिए रोहतास को टमाटर के लिए चुना गया है।
आधा दर्जन से अधिक प्रखंड बना टमाटर हब
जिले के राजपुर, तिलौथू, सासाराम, चेनारी समेत अन्य प्रखंड टमाटर उत्पादन का हब बन गया है। यहां के टमाटर देश के कई नगर व महानगरों की मंडियों तक पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि रबी की खेती छोड़कर सैकड़ों किसान अब अपने खेतों में सिर्फ टमाटर का ही उत्पादन कर रहे हैं। राजपुर प्रखंड के घोरिडही गांव के दिनेश चौधरी, उमा चौधरी, रिंकू पटेल व चिंटू पटेल समेत अन्य किसानों की माने तो टमाटर की खेती में काफी मुनाफा होता है। वारणसी, भोपाल, मेरठ समेत अन्य बड़े शहरों में ऑनलाइन आर्डर पर टमाटर की आपूर्ति यहां से से की जा रही है। किसान गेहूं की बजाय खेतों में टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं। अब तो प्रखंड के घोरिडही, नावाडीह, परिड़या, महुअरी, बरैचा, बरांव, सुलतानपुर, रामपुर, घोरडीहा सहित दर्जनों गांवों के किसान के लिए टमाटर की खेती सबसे पसंदीदा हो गई है। अब यह पूरा इलाका टमाटर उत्पादन के हब के रूप में चर्चित हो चुका है।
टमाटर की फसल उगाना है आसान
किसानों की माने तो टमाटर अधिक कार्बिनक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। हल्की अम्लीय मिट्टी जिस का पीएच मान 6.0 से 7.0 तक हो, टमाटर के लिए अच्छी रहती है। टमाटर गरम मौसम की फसल है, इसलिए उन इलाकों में अच्छी पनपती है, जहां पाला नहीं पड़ता है। ज्यादा गरमी (42 डिग्री से ज्यादा) में फूल व बिना पके फल झड़ जाते हैं। टमाटर के पौधे तैयार करने के लिए 60 से 90 सेंटीमीटर चौड़ी व 16 सेंटीमीटर ऊंची उठी हुई क्यारियां होनी चाहिए।