मंत्री जी! ठंड में ठिठुर रहे बच्चे, इस बार भी न पड़ जाएं बीमार
-कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय स्कूल के विद्यार्थियों को अभी तक नहीं मिले सर्दी के कपड़े --------- कुव्यवस्था -कॉपी-पेन-पेंसिल दैनिक प्रयोग की वस्तुएं भी मयस्सर नहीं -समाप्त होने को है अकादमिक सत्र बिना पढ़े परीक्षा कैसे देंगे विद्यार्थी ---------- -3780 विद्यार्थियों का भविष्य भंवर में विभाग मौन -13 प्रखंडों में कल्याण विभाग 14 बालक-बालिका विद्यालय -2018 में निकाली निविदा आज तक अधर में ------
नीरज कुमार, गया
जरा सुनिए मंत्री जी! जिले में कल्याण विभाग के अधीन चलने वाले आवासीय आंबेडकर बालिका विद्यालय एवं पिछड़ा वर्ग +2 विद्यालय में 3780 विद्यार्थी पढ़ाई नहीं, सिर्फ खाना खाने के लिए रहते हैं। पढ़ाने के लिए शिक्षक तो हैं पर शिक्षण सामग्री नहीं। लिखने के लिए कॉपी-पेन-पेंसिल, ड्रेस व अन्य कपड़े, दैनिक प्रयोग की वस्तुएं नहीं हैं। और तो और सर्दी ने दस्तक दे दी है, लेकिन अभी तक सर्दी के कपड़े मुहैया नहीं कराए गए हैं। नियमत: इन बच्चों को कंबल, रजाई, स्वेटर, मफलर व अन्य कपड़े देने की सरकारी व्यवस्था है। इसके लिए विभाग में राशि उपलब्ध है। बावजूद इसके अभी तक निविदा भी नहीं निकाली गई। ऐसे में बच्चे ठिठुर रहे हैं। पिछले वर्ष कई विद्यालयों में ठंड में बच्चे बीमार पड़ गए थे।
अकादमिक सत्र समाप्त होने में तीन महीने शेष रह गए हैं। लचर व्यवस्था में एससी-एसटी समाज के बच्चों का विकास संभव नहीं है। कुव्यवस्था के कारण उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है। जिले के 13 प्रखंडों में 14 बालक-बालिका विद्यालय हैं। दो महीने बाद वार्षिक परीक्षा होनी है। बिना पढ़ाई वे कैसे परीक्षा देंगे और उत्तीर्ण होकर अगली कक्षा में जाएंगे?
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निविदा निकली पर
लटक गया अधर में
स्टेशनरी, दैनिक कार्य की वस्तुएं, शिक्षण सामग्री, पोशाक की आपूर्ति करने के लिए 2018 में कल्याण विभाग ने निविदा निकाली। जांच के बाद स्वीकृति मिली। परंतु क्रय समिति के अध्यक्ष सह डीडीसी आपूर्तिकत्र्ता को सामान आपूर्ति करने का ऑर्डर नहीं दिए। आपूर्तिकत्र्ता द्वारा सामान के नमूने और जमा कराए गए डीडी (डिमांड ड्राफ्ट) भी कल्याण विभाग में आठ माह से पड़े हैं। उन्हें ना तो ऑर्डर मिला और ना ही डीडी लौटाए गए।
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यहां चल रहे कल्याण
विभाग के विद्यालय
जिले के नगर प्रखंड में आंबेडकर बालिका विद्यालय, पिछड़ा वर्ग +2 विद्यालय, मानपुर, वजीरगंज, फतेहपुर, मोहड़ा, बाराचट्टी, मोहनपुर, आमस, गुरुआ, इमामगंज, डुमरिया, शेरघाटी और बोधगया में कल्याण विभाग के प्राथमिक व उच्च विद्यालय संचालित हैं।
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40 रुपये में चार
समय का भोजन
निरंतर महंगाई बढ़ रही है। ऐसे में क्या 40 रुपये में चार समय का भोजन कैसे संभव है। कल्याण विभाग ने एससी-एसटी विद्यालयों के बच्चों के लिए एक दिन में एक बच्चा के लिए 40 रुपये निर्धारित कर रखा है। विभाग ने 2012 में यह दर तय किया था, सात साल गुजरने के बाद भी कोई बदलाव नहीं किया गया। विभाग एक बच्चे के नाम पर एक माह में 12 सौ रुपये एनजीओ को भुगतान करता है। ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना कैसे संभव है? जबकि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत बाल सुधार गृह में एक बच्चे पर भोजन पर महीने में 22 सौ रुपये मिलते हैं।
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स्टेशनरी, सर्दी के कपड़े, ड्रेस के लिए निविदा निकाली जाएगी। कुछ स्टेशनरी के लिए तत्काल व्यवस्था की जा रही है। पूर्व में गलती हुई। उसे सुधार की जा रही है। दैनिक वस्तुओं के लिए प्रति छात्र 260 रुपये भुगतान प्राचार्य को किया जाता है। कोशिश है कि ठंड में गरम कपड़े मिलेंगे।
गिरीश चंद्र पांडेय, जिला कल्याण पदाधिकारी, गया