गया केंद्रीय कारागार में बने तिलकुट का स्वाद चखेंगे शहरवासी
जागरण विशेष ----------- -जेल में निरुद्ध बंदी बनाएंगे तिलकुट इसके निर्माण के लिए दिलाया गया प्रशिक्षण -बंदियों द्वारा बनाए गए तिलकुट की होगी शहर में बिक्री इन्हीं के नाम पर जमा होगा अर्जित धन -बंदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए जेल में दिलाया जा रहा कई तरह के प्रशिक्षण ------------------
नीरज कुमार, गया
सर्दी के दिनों में बढ़ी तिलकुट की मांग को अब गया का केंद्रीय कारागार भी पूरा करेगा। ऐसा इसलिए कि गया केंद्रीय कारागार के बंदी भी तिलकुट का निर्माण करने वाले हैं। यहां बनने वाले तिलकुट की बिक्री शहर में ही होगी। इससे शहरवासियों को बंदियों के हाथों बना तिलकुट खाने को मिल सकेगा। बंदियों को तिलकुट बनाने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तैयार होने वाले तिलकुट का काउंटर लगाया जाएगा। इसकी बिक्री से जो राशि अर्जित होगी, वह बंदियों के नाम से जमा की जाएगी। यानी बंदियों की ओर से बनाए जाने वाले तिलकुट की मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जा रही है। गया जेल प्रशासन के इस सार्थक प्रयास से बंदियों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जा सकेगा। यही नहीं इस कवायद से हुनरमंद बंदी एक कुशल कारीगर भी बन सकेंगे। जब वे गया जेल से बाहर आकर सामाजिक जीवन में लौटेंगे तो तिलकुट निर्माण उद्योग में एक उद्यमी के रूप में भी स्थापित हो सकेंगे। वैसे बंदी जो ऐसे कारोबार से जुड़े रहे, उन्हें जेल से बाहर आने के बाद कहीं प्रशिक्षण लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कारा अधीक्षक राजीव प्रसाद ने बताया कि बंदियों के जीवन में बदलाव लाने के उद्देश्य से तिलकुट का निर्माण कराया जाएगा। इसी सर्दी के मौसम में जेल में शीघ्र तिलकुट बनने लगेगा।
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मशरूम के उत्पादन में भी निपुण हो रहे हैं बंदी
जेल प्रशासन ने सरकारी और गैर सरकारी माध्यम से अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया है। इसमें बंदियों को स्वावलंबी और व्यवसाय के क्षेत्र में निपुण बनाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। इसी क्रम में बंदियों को सर्वाधिक मांग वाले मशरूम का प्रशिक्षण दिलाया गया है। इस दौरान 32 महिला-पुरुष बंदियों को मशरूम उत्पादन के गुर बताए गए। बंदियों को इसे तैयार करने की विधि बताई गई। साथ ही इससे होने वाली आमदनी के बारे में भी जानकारी दी गई है। जिससे बंदियों का सामाजिक जीवन सुदृढ़ हो सके।
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महिला बंदी बना रही हैं सर्फ, अगरबत्ती और लेडीज पर्स :
कहा जाता है कि अगर परिवार की एक महिला शिक्षित और किसी कार्य में निपुण हो जाती है तो घर में खुशहाली आ जाती है। इसके साथ महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो जाती है। वे परिवार पर बोझ नहीं बनतीं, बल्कि उन्हें सहारा देती हैं। इसी के दृष्टिगत गया केंद्रीय कारागार में महिला बंदियों के स्वावलंबन के लिए भी प्रयास जारी है। अग्रणी बैंक पीएनबी व नाजरथ एकेडमी की ओर से महिला बंदियों को अलग-अलग प्रशिक्षण दिलाया गया है। यहां बंद 50 से 60 बंदियों को सर्फ, अगरबत्ती व लेडीज पर्स बनाने के तरीके सिखाए गए हैं। इसके साथ उन्हें सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण भी दिलाया गया है।
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प्रशिक्षण के बाद दिया जाता है प्रमाण पत्र :
कारा अधीक्षक बताते हैं कि गया जेल के बंदियों को मशरूम, सर्फ, अगरबत्ती, सूत का थैला निर्माण सहित अन्य उद्यमों के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के बाद इन्हें प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। जब ऐसे बंदी न्यायालय के आदेश पर जेल से रिहा होंगे तो उन्हें प्रमाण पत्र के आधार पर ही बैंक से ऋण भी मिल सकेगा। इस कर्ज से वे अपना उद्यम शुरू कर सकेंगे और अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेंगे। इससे वे पैसों के लिए दूसरों पर आश्रित नहीं होंगे। अधीक्षक ने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बंदियों के मन में समाज के प्रति सकारात्मक सोच पैदा करना है, ताकि वे भविष्य में कोई गलत कदम नहीं उठाएं।