प्रतिचयन शोध के परिणाम की गुणवत्ता को करता है निर्धारित
जागरण संवाददाता बोधगया
गया । मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग एवं भारतीय लेखा परिषद, पटना के संयुक्त तत्वावधान से चल रहे शोध पद्धति पर सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को दो सत्र का संचालन किया गया। पहले सत्र में सिद्धो कान्हो बिरसा विवि पुरूलिया के प्रो. प्रदीप्ता बनर्जी ने अपने संबोधन में डेटा, डेटा के स्त्रोत एवं प्रतिचयन विधियों को विस्तार में समझते हुए कहा कि यदि डेटा सार्थक नहीं है, तो इसका कोई फायदा नहीं है। एक शोधकर्ता गैर-साख्यिकीविदों के लिए डेटा को सार्थक बनाता है। इसके बाद उन्होंने कई उदाहरणों का उपयोग करके डेटा के प्राथमिक और द्वितीयक स्त्रोतों को समझाया। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रतिचयन और प्रतिचयन विधियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिचयन शोध के परिणाम की गुणवत्ता को निर्धारित करता है। सत्र का समापन कार्यशाला अध्यक्ष प्रो. जीएन शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। दूसरे सत्र की शुरुआत अíपता मोर्या द्वारा काशी हिन्दू विवि के डॉ. चिन्मय कुमार रॉय के स्वागत और परिचय के साथ हुई। डॉ. चिन्मय ने माप, स्केलिंग और प्रश्नावली डिजाइन विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि माप और स्केलिंग, प्रश्नावली तैयार करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने प्रतिभागियों को कई स्केलिंग तकनीकों और प्रश्नावली डिजाइनों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्रश्नावली में गलत प्रश्नों के चयन से अनुचित डेटा प्राप्त हो सकता है और अंतत: आपके शोध की गुणवत्ता प्रभावित होगी। प्रश्नावली दिलचस्प होनी चाहिए और साथ ही उपयुक्त लक्षित दर्शकों तक भी पहुंचनी चाहिए ताकि एकत्र किए गए डेटा की सटीकता अधिक हो। सत्र का समापन आयोजन सचिव डॉ. धरेन कुमार पाण्डेय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।