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सस्ता व सुलभ न्याय का सशक्त माध्यम बना लोक शिकायत केंद्र, 10 हजार से ज्‍यादा को मिल चुका इंसाफ

न्याय के लिए दर-दर भटकते रहे लोगों के लिए लोक शिकायत निवारण अधिनियम उम्मीदों की किरण बनती जा रही है। वहीं वैसे अफसरों के लिए गले की फांस भी बन रहा है जो देखते हैं और करते हैं की नीति पर काम करने को अपनी आदत में शामिल किए हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 03:44 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 03:44 PM (IST)
सस्ता व सुलभ न्याय का सशक्त माध्यम बना लोक शिकायत केंद्र, 10 हजार से ज्‍यादा को मिल चुका इंसाफ
डिहरी स्थित लोक शिकायत निवारण केंद्र से मिला लोगाें को लाभ। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, सासाराम। न्याय के लिए दर-दर भटकते रहे लोगों के लिए लोक शिकायत निवारण अधिनियम उम्मीदों की किरण बनती जा रही है। वहीं वैसे अफसरों के लिए गले की फांस भी बन रहा है, जो देखते हैं और करते हैं की नीति पर काम करने को अपनी आदत में शामिल किए हैं। पांच वर्ष में जिला व अनुमंडल लोक शिकायत निवारण केंद्र के माध्यम से दस हजार से अधिक मामलों का निबटारा किया गया है। परंतु बीते डेढ़ वर्ष की बात करें तो कोरोना महामारी ने लोक शिकायत निवारण केंद्र के माध्यम से प्राप्त होने वाले सस्ता व सुलभ न्याय पर ब्रेक लगा दिया है।

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निष्पादन के लिए जिले में एक हजार से अधिक मामले लंबित हैं। जिसमें से तीन सौ मामले निर्धारित अवधि 60 दिन से अधिक लंबित है, जबकि साढ़े नौ से 60 दिन से कम दिनों से पेंङ्क्षडग है। इन मामलों में फरियादियों को उचित न्याय का इंतजार है। बीते पांच वर्ष के दौरान जिले में लोक शिकायत निवारण केंद्र के अंतरिम व अंतिम आदेश को तय समय के अंदर पालन करने वाले दो दर्जन से अधिक लापरवाह अधिकारियों को कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा है। जिसमें पुलिस व प्रशासनिक दोनों महकमा के अधिकारी शामिल हैं।

डीएम के माध्यम से वैसे सरकारी सेवकों पर स्पष्टीकरण पूछने के साथ-साथ अर्थदंड भी लगाया जा चुका है। सबसे बड़ी बात तो यह कि बिना किसी फीस व वकील के ही वर्षों पुरानी अदावत भी इस अदालत के माध्यम से दूर हुए हैं, तो कई को बकाया सरकारी पैसा भी मिला है। जिसके लिए वे वर्षों से दफ्तरों का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके थे। सबसे अधिक विद्युत व पुलिस महकमा से जुड़े शिकायतों का निबटारा लोक शिकायत निवारण केंद्र से किया गया है।

कहते हैं अधिकारी

लोक शिकायत निवारण अधिकारी अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि मेरिट के आधार पर परिवादों का निष्पादन कर फरियादियों को न्याय का देने का कार्य किया जा रहा है। परंतु आज भी अधिकतर लोग लोक शिकायत निवारण अधिनियम से अनभिज्ञ है। जिसका नतीजा है कि उन्हें बेवजह अधिक दिनों तक दफ्तरों का चक्कर काटने पड़ते हैं। जबकि अधिनियम के प्रति जागरूकता फैलाना का कार्य समय-समय पर किया जाता है।

पांच साल के दौरान निष्पादित मामले

  • कुल प्राप्त आवेदन : 23997
  • स्वीकृत आवेदन : 10236
  • वैकल्पिक सुझाव : 6493
  • अस्वीकृत             : 5645
  • दो माह से कम दिन के लंबित : 957
  • 60 दिन से अधिक दिन के लंबित : 303

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