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जनता का खाना गायब, मजबूरी में खाना पड़ रहा ब्रेड-समोसा

15 रुपये में पांच पूड़ी आलू की सब्जी व अचार। जंक्शन पर ट्रेन के रुकते ही वेंडर दौड़ पड़ते थे। जोर-जोर से आवाज लगाते थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 07:34 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 01:58 AM (IST)
जनता का खाना गायब, मजबूरी में खाना पड़ रहा ब्रेड-समोसा
जनता का खाना गायब, मजबूरी में खाना पड़ रहा ब्रेड-समोसा

सुभाष कुमार, गया

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15 रुपये में पांच पूड़ी, आलू की सब्जी व अचार। जंक्शन पर ट्रेन के रुकते ही वेंडर दौड़ पड़ते थे। जोर-जोर से आवाज लगाते थे। यात्रियों को भी बेसब्री से इंतजार रहता था, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। जनता का खाना गायब हो गया है। एक दो स्टॉल पर पांच-दस पैकेट बेचकर महज खानापूर्ति की जा रही है।

जनता भोजन शुरू करने के पीछे रेल मंत्रालय की सोच थी कि यात्रियों को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराया जाए। रेल मंत्रालय 15 रुपये में जनता भोजन उपलब्ध करा रहा था। बढ़ती महंगाई के कारण संवेदक ने बनाना बंद कर दिया। गया जंक्शन के किसी प्लेटफॉर्म पर जनता भोजन अब उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यात्री मजबूरन ब्रेड-समोसे या फिर महंगे दामों पर भोजन खरीद रहे हैं। हर स्टॉल पर मनमाने रेट में खाने-पीने के सामान बेचने की शिकायत अक्सर सामने आती है। बावजूद इसके ठेकेदारों पर अधिकारी मेहरबान हैं। रेलवे के वरीय अधिकारियों के द्वारा यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सभी बड़े स्टेशनों पर जनता मील उपलब्ध कराने का नियम बनाया गया। यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के मामले में भी मंडल तत्पर रहा है, लेकिन गया जंक्शन पर मुगलसराय मंडल के नियमों को धत्ता बताकर कई खुद के ही नियम बनाए हुए हैं।

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साप्ताहिक ट्रेनों की यात्रियों

को होता था फायदा

जनता मील का सबसे ज्यादा फायदा साप्ताहिक ट्रेनों से सफर करने वाले यात्रियों की मिलती थी। विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेन रुकते ही सस्ता में खाना मिल जाता था। अब ऐसा नहीं है। स्टॉल पर पैकिंग जनता मील नहीं रहने पर स्वच्छता और शुद्धता की जांच नहीं हो पाती है।

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अपना फायदा देखकर

नहीं रखते जनता खाना

जनता खाना की पैकिंग का मूल्य पहले ही निर्धारित है। सूत्र बताते हैं कि इससे स्टॉल ठेकेदार को खास मुनाफा नहीं होता। इस बात को ध्यान में रखते स्टॉल ठेकेदार यात्रियों को जनता खाना उपलब्ध नहीं कराते। ट्रेनों के आने पर यात्रियों को ब्रेड व समोसा बेचने पर जोर दिया जाता है। इनमें उन्हें अधिक मुनाफा होता है।

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एक ही बार होता है तैयार

जंक्शन पर जनता मील का पैकेट हर रोज सुबह में तैयार होता है। फूड स्टॉल वेंडर का कहना है कि सप्लाई करने वाले ठेकेदार 10 से 15 पैकेट बेचने के लिए देता है, जो रेल यात्रियों को सुबह से देर रात तक फूड स्टॉलों पर उपलब्ध रहता है।

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मजबूरी में लेना पड़

रहा ब्रेड व समोसा

जनता मील उपलब्ध नहीं होने पर यात्रियों को मजबूरी में फूड स्टॉलों से महंगे दामों पर खाद्य सामग्री में समोसा व ब्रेड लेना पड़ रहा है। कई बार भूखे होते हुए भी यात्री महंगा होने के कारण मन बदल लेते हैं। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते जनता मील उपलब्ध नहीं कराया जाता।

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जंक्शन में यात्रियों को मिल रही सुविधा सुचारू रूप से चल रही है। फूड स्टॉलों की जांच की जिम्मेदारी फूड इंस्पेक्टर व सीएजी की है, जो जांच करते हैं। 24 घंटे में एक ही बार बना सप्लाई होती है तो इसकी जांच कराई जाएगी। साधारण पैकिंग हो रही है तो इसकी भी जांच कराई जाएगी।

जय प्रकाश भारती

स्टेशन डायरेक्टर, गया जंक्शन


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