फल्गु संसद बनाकर फैलाई जाए जनचेतना : राजेंद्र सिंह
फल्गु जागरण का लोगो लगाएं ----------- -दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा-फल्गु को दिलाया जाए उसका अधिकार और आजादी -नदी के जलग्रहण क्षेत्र का कराया जाए चिह्नांकन फल्गु के पुनर्जीवन के लिए हो व्यापक मंथन -नदी में न गिराया जाए सीवर का गंदा पानी मिलें राज-समाज और संत तभी फल्गु बनेगी सदानीरा -फल्गु नदी के पुनरुद्धार के लिए जागरण की ओर से चलाए जा रहे अभियान को सराहा -----------
लवलेश कुमार मिश्र, गया
नदियों के पुराने स्वरूप और उसकी आभा को वापस लौटाने के लिए संघर्ष कर रहे जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा, अगर फल्गु को उसका खोया स्वरूप वापस दिलाना है तो व्यापक मंथन करना होगा। 'फल्गु संसद' बनानी होगी और इसे समुचित अधिकारों से लैस करना होगा। इसके साथ समाज में जनचेतना लाने के लिए 'जागरण' करना होगा। शनिवार की देरशाम 'दैनिक जागरण' कार्यालय पहुंचे जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने इस संदर्भ में अपनी बेबाक राय रखी और फल्गु के लिए दैनिक जागरण की ओर से अब तक किए गए कार्यो को सराहा।
जल संरक्षण के लिए मैग्सेसे पुरस्कार पाने वाले राजेंद्र सिंह ने कहा, फल्गु के पुनर्जीवन के लिए राज-समाज को अपनी भूमिका तय करनी होगी। साथ बैठकर फल्गु को फिर से सदानीरा बनाने के लिए वृहद स्तर पर मंथन करना होगा। इसके लिए सरकार के नुमाइंदों को भी सबसे पहले नदी के जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) को चिह्नित करना होगा, जिससे उसकी आजादी में बाधक बने अवरोधों को दूर किया जा सके। भविष्य में फिर कभी नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण हो तो नदी की चिह्नित सीमा के सहारे प्रभावी कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा, फल्गु हमारे लिए आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक नदी है। सब चाहते हैं कि उसकी आजादी उसे वापस मिले, उसके जलरूपी हृदय में जान आ सके और उसका जल प्रवाहमान बने तो इसके लिए सर्वसमाज को पहल करनी होगी। उन्होंने कहा, जब राज-समाज और संत आपस में मिल-बैठकर विमर्श करेंगे, तभी उसे सदानीरा बनाया जा सकेगा। फल्गु के प्राकृतिक सौंदर्य को लौटाने के लिए बताए पांच कार्य :
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने फल्गु को उसका प्राकृतिक स्वरूप वापस दिलाने और उसे सदानीरा बनाने के लिए पांच प्रमुख कार्य बताए। जिनसे फल्गु के सौंदर्य को निखारा जा सके तथा उसके जल को निर्मल और अविरल रखा जा सके।
1 - नदी का अधिकार : नदी अपने जलग्रहण क्षेत्र में अनावश्यक कब्जा नहीं बर्दाश्त करती है। इसलिए उसके क्षेत्र पर हुए कब्जे को हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। इसके लिए सरकार को एक नीति बनानी चाहिए। साथ ही पूरे बिहार के लोग संकल्प लें कि नदी की जमीन को नदी के लिए सुरक्षित किया जा सके।
2- नदी की आजादी : इसके तहत नदी जल के स्वछंद प्रवाह में बाधक बने उन सभी तत्वों को हटाया जाए। नदियों की आजादी को किसी भी स्थिति में नहीं छीना जाना चाहिए। आजादी अक्षुण्ण रहेगी तो नदी का जल भी निर्मल बना रहेगा।
3-प्राकृतिक स्वरूप वापस हो : नदी जल का अपना अलग महत्व है। उसमें कहीं से भी दूसरी जगह का जल न मिलने दिया जाए। नदी में किसी भी स्थिति में सीवर की गंदगी न मिलाई जाए। सीवर अलग रहेगा तो नदी का शुद्ध और अविरल स्वरूप सामने होगा।
4- दूर हो फल्गु का अवरोध : फल्गु की तलहटी में आसपास की गंदगी और मिट्टी-बालू का एकत्रीकरण होते रहने से उसका तल ऊपर की ओर आता जा रहा है। इस कारण उसका स्वरूप बिगड़ रहा है। इसे रोकने के लिए कटाव को रोका जाना चाहिए। नदी के जलग्रहण क्षेत्र का व्यापक उपचार किया जाए। पहले प्राकृतिक जल संरचनाएं मसलन, आहर-पईन, पोखर, तालाब आदि नदियों का पेट पानी से भरते थे, लेकिन अब वे खत्म हो गए। इससे नदियों में सीधे मिट्टी पहुंच रही है। बारिश के मौसम में बाढ़ आने का कारण भी यही है। इसलिए सभी अवरोधों को दूर किया जाना चाहिए।
5-शुद्धता के लिए फिर हो कुंभ : पुराने जमाने में नदियों की पवित्रता और शुद्धता के लिए कुंभ के रूप में व्यापक चिंतन होता था। इसमें बाकायदा एक विधान बनता था, अनुशासन तय होता था। उसके उल्लंघन के प्रति समाज में डर रहता था। कुंभ की परंपरा भले अभी जिंदा है, लेकिन अब केवल नदी में शाही स्नान के लिए ही राजा-प्रजा और संत जाते हैं। अगर फल्गु को उसका अधिकार और पवित्रता वापस दिलानी है तो इसके लिए फल्गु संसद बनाई जाए। इसमें कुंभ की तरह व्यापक विमर्श हो। गलत कार्यो को रोकने के लिए उसे अधिकार दिया जाना चाहिए।
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