वर्षो से विकास के लिए तरस रहा सत्तामस गांव
पेज- फोटो 35 36 37 38 -मध्य विद्यालय में पांच सौ छात्रों को पढ़ाने के लिए मात्र दो कमरे स्वास्थ्य सुविधा का हाल भी बेहाल ------- उपेक्षा -गाव के उपस्वास्थ्य केंद्र में नहीं आते हैं डॉक्टर लोग परेशान -साफ सफाई नहीं होने से पईन बदहाल पछियारी आहर पर अतिक्रमण ------- -23 किलोमीटर दूर खिजरसराय जाना पड़ता है इलाज के लिए -45 चापाकल गाव के फेल दो से निकल रहा पानी -11 हजार केवी का तार जर्जर होने से हादसों का खतरा -------- संवाद सूत्र खिजरसराय
गया । भारत गावों का देश है। यहां की अधिकाश जनसंख्या गावों में रहती है। आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है। ऐसे में गांव के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। छह हजार आबादी वाले सत्तामस गाव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सबसे जरूरी शिक्षा व्यवस्था ही बदहाल है। आलम यह है कि गाव में 1985 में बने मध्य विद्यालय सत्तामस में पांच सौ छात्रों को पढ़ाने के लिए मात्र दो कमरे हैं। विद्यालय में कीचेनशेड भी नहीं बना है। विद्यालय भवन के लिए जमीन उपलब्ध होने के दो कमरों में कक्षा एक से आठ तक के छात्र छात्राओं का वर्ग का संचालन किया जाता है। शिक्षक चाह कर भी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं। सत्तामस गाव बिहटा पंचायत के अंतर्गत आता है। इस पंचायत में एक भी हाई स्कूल नहीं है। यहां के छात्रों को जमुआवा पंचायत के केवड़ी में जाकर नवमी और दसवीं की पढ़ाई करनी पड़ती है। यहां लड़कियों को आने जाने में भी काफी परेशानी होती है।
शिक्षा की बदहाल व्यवस्था का एक कारण पंचायत में उच्च और माध्यमिक विद्यालय का नहीं होना भी है। यही वजह है शिक्षा के अभाव में सरकारी नौकरियों में इस गांव के लोगों की भागीदारी काफी कम है। शिक्षा के अभाव में सही रोजगार नहीं मिल पा रहा है। गाव की आधा से अधिक की आबादी रोजगार की खोज में अन्य राज्यों में पलायन कर गए हैं। गाव में एक उपस्वास्थ्य केंद्र कागज पर संचालित हो रहा है। यहां डॉक्टर नहीं आते हैं। महीने में एकाध बार एएनएम का दर्शन ग्रामीणों को होता है। वह भी नियमित टीकाकरण अभियान को लेकर आती हैं। लोगों को इलाज के लिए 23 किलोमीटर दूर खिजरसराय जाना पड़ता है। गाव में आने-जाने के लिए कोई यात्री वाहन नहीं चलते हैं। यदि कोई बीमार पड़ जाए तो मुख्य सड़क पर जाने के लिए 10 किलोमीटर दूर नई बाजार या कुड़वा उसे निजी वाहन से ले जाना पड़ता है।
पानी के लिए भी लोग बेहाल है। दो साल पहले तक भूजल स्तर 25 फीट था, लेकिन अब 80 फीट पर पानी उपलब्ध है। गाव में लगे 45 सरकारी चापाकल फेल हैं। सिर्फ दो सरकारी चापाकल कारगर हैं, जिस पर पूरे गांव के लोगों का हक बनता है।
खिजरसराय प्रखंड मुख्यालय से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्व ग्राम सत्तामस के लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन खेती है। गाव का रकबा 11 सौ एकड़ है। किसानों को खेती के सहारे ही अपना जीवन निर्वहन करना पड़ रहा है। मंडई सत्तामस पईन बुधुआ मेला के पास से निकला है, पर इसकी साफ सफाई नहीं की गई। इसके अभाव में यह पईन मृत हो चुका है। गाव के पछियारी आहर भी अतिक्रमण का शिकार है। गाव के ही कुछ लोग आहर को खेत बना कर खेती कर रहे हैं। ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत भी कई बार अंचलाधिकारी से की, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। गाव के पूर्व और उत्तर में बने आहर को भी अतिक्रमण कर लिया गया है। किसानों को बिजली समस्या से भी दो चार होना पड़ रहा है। किसान कृषि क्षेत्र के लिए कनेक्शन भी ले चुके हैं, लेकिन विभाग द्वारा तार पोल उपलब्ध नहीं कराया गया है। 11 हजार केवी का तार जर्जर होने के कारण मात्र 15 घंटे ही बिजली लोगों को मिलती है।
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महज तीन लोग
सरकारी सेवा में
सत्तामस गाव की आबादी लगभग छह हजार है, लेकिन यहां के केवल तीन लोग ही सरकारी नौकरी में हैं। मुकेश कुमार और मंटू कुमार रेलवे में कार्यरत हैं, जबकि बिटू कुमार सेना में कार्यरत हैं। रोजगार के लिए ग्रामीणों ने मछली और मुर्गा पालन को व्यवसाय बनाया है।
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केवल वोट मांगने
को गांव आते नेता
ग्रामीण बताते हैं, सत्तामस से केवड़ी मार्ग पर गाव में ही मुख्य सड़क पर अतिक्रमण कर एक व्यक्ति ने मकान बना लिया गया है। सड़क पर मकान बनाने से एंबुलेंस समेत बड़े वाहनों को जाने में काफी परेशानी होती है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सासद और विधायक गाव में सिर्फ वोट मागने के लिए ही आते हैं। गाव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
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खुले में शौच से मुक्ति नहीं मिली
सत्तामस गाव में कुल चार टोले हैं। ढिबरा पर, अनुसूचित जाति टोला, बेलदार टोला, रविदास टोला और महादलित टोले में आज भी लोग खुले में शौच करते हैं। यहां शौचालय नहीं बन पाया है। अन्य टोले में जिन लोगों ने कर्ज लेकर शौचालय बनाया भी है तो उन्हें स्वच्छता समन्वयक की लापरवाही से अनुदान राशि नहीं मिली है। गाव में दो सामुदायिक भवन है। इसमें एक को अतिक्रमण कर घर बना लिया गया है। दूसरा अर्द्धनिर्मित है।
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आबादी- 6000
वोटर - 2500
आगनबाड़ी केंद्र - 3
मध्य विद्यालय - 1
प्राथमिक विद्यालय -1
सामुदायिक भवन - 2
मतदान केंद्र - 2
उप स्वास्थ्य केंद्र -1
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गांव का इतिहास
गाव के बुजुर्ग बताते हैं, यह गाव 2000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। गाव के बाहर बने मशान तालाब से 3000 फीट तक गुफा जमीन के अंदर बना हुआ है। इसमें खोदाई के दौरान डेढ़ फीट चौड़ी पुरानी ईट भी निकलती है। मान्यता है कि इस गाव में राजा निवास करते थे। उनकी रानी के लिए तालाब से किले तक गुफा बनाई गई थी। इसका प्रमाण मौजूद है। टिकारी की महारानी भुवनेश्वरी देवी द्वारा भी यहां आने की बात बुजुर्ग बताते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि पुरातत्व विभाग द्वारा खोदाई कर पुरानी सभ्यता को सामने लाने की जरूरत है।
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फोटो 30
सत्तामस गाव के सैकड़ों लोगों ने राशनकार्ड बनाने के लिए दो साल पूर्व आवेदन दिया। इसके बाद दर्जनों बार अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं। न तो कार्ड बनाया जा रहा है और न ही अधिकारी कोई आश्वासन देते हैं
राजेश कुमार उर्फ बाघ सिंह, समाजसेवी
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दिव्यंगता, विधवा और वृद्ध बुजुर्गो को सामाजिक सुरक्षा पेंशन पहले मिलता था, अब पेंशन ऑनलाइन होने कारण सही लाभुकों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। लोगों ने शिकायत दर्ज कराई। पेंशन चालू नहीं हो सका है
गुड्डू कुमार गुप्ता
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उदेरा स्थान बराज से निकले महमूदा आहर से सत्तामस में पानी आने के लिए बना पुल ऊंचा है। इसके कारण गांव की खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। इससे किसानों को खेती करने में दिक्कत हो रही है।
योगेंद्र यादव
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गया जिले के अंतिम छोर पर बसे होने के कारण किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं जाता है। इस गाव पर ध्यान देने की जरूरत है। मुख्य समस्या यहां विद्यालय भवन की है। विद्यालय भवन नहीं रहने के कारण अधिकाश बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं। इससे बेरोजगारी के कारण रोजगार के लिए गांव के काफी लोग बाहर चले गए।
विवेक कुमार
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दो साल पूर्व कनेक्शन लेने के बाद भी बिजली विभाग तार और पोल खेतों तक नहीं पहुंचाया है। इससे कृषि के लिए समस्या उत्पन्न हो रही है। इस समस्या को जल्द दूर करने की जरूरत है
मुन्ना सिंह
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प्रस्तुति: रंजन कुमार
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