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शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहन, बिहार में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कार्य जारी

वर्तमान में रोजगार क्षेत्र के बदलते परिदृश्य को देखते हुए शिक्षा क्षेत्र में भी व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं। हालांकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तो यह बदलाव परिलक्षित हो रहा है लेकिन स्कूली शिक्षा में अभी ऐसा नहीं हो पाया है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 11:07 AM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 11:07 AM (IST)
शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहन, बिहार में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कार्य जारी
शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहन, बिहार में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कार्य जारी

पटना ब्यूरो। वर्तमान में रोजगार क्षेत्र के बदलते परिदृश्य को देखते हुए शिक्षा क्षेत्र में भी व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं। हालांकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तो यह बदलाव परिलक्षित हो रहा है, लेकिन स्कूली शिक्षा में अभी ऐसा नहीं हो पाया है। ऐसे में बिहार में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में नवाचार को बढ़ावा देने की योजना सराहनीय है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का योग्य होना आवश्यक है। एक योग्य शिक्षक में प्रभावी नेतृत्व का गुण, विषयवस्तु का पूर्ण ज्ञान और बेहतर संप्रेषण कौशल होना चाहिए। ऐसे

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शिक्षकों की तलाश के लिए राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर पर शिक्षक संसाधन कोष का गठन किया जा रहा है।

इस योजना के तहत जिला स्तर पर प्रत्येक विषय के नवाचार में योगदान देने वाले 15-20 शिक्षकों की पहचान होगी और इनमें राज्य स्तर पर चयनित चार-पांच शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक संसाधन कोष के लिए नामित किया जाएगा। इसके लिए नौ नवंबर तक सभी जिलों में चयन समिति का गठन कर लिया जाना था।

कुछ जिलों में यदि अब तक यह समिति गठित नहीं हो सकी है तो यह चिंता की बात है। राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे इस प्रयास की महत्ता को समझना होगा। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 18 नवंबर तक आवेदन लेना है और 20 से 23 नवंबर तक योग्य शिक्षकों का चयन सुनिश्चित करना है। इसी तरह स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 12 नवंबर से सरकारी स्कूलों में बच्चों के सीखने की क्षमता का मूल्यांकन शुरू होने जा रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले इस सर्वेक्षण में बिहार के सभी जिलों से 5,727 विद्यालयों को शामिल किया गया है। इस महत्वपूर्ण सर्वेक्षण को पूरी तरह पारदर्शी तरीके से करना होगा ताकि सही तस्वीर सामने आए। इसके अलावा प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय में बच्चों की सुविधाओं के विकास की भी योजना बन रही है। इसमें स्कूल और बच्चों की छोटी-छोटी बुनियादी सुविधाओं को शामिल करके सुधार पर जोर दिया जाएगा।

इसके तहत बच्चों के गुणात्मक विकास के लिए बाल कैबिनेट के गठन का भी प्रस्ताव है, जिसमें पठन-पाठन, पाठ्यक्रम, स्काउट-गाइड, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य गतिविधियों की चर्चा होगी। शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन, परीक्षाफल में सतत सुधार हो, इसके लिए विद्यालय प्रबंधन समिति की नियमित मासिक बैठक का आयोजन किया जाएगा। सरकार की योजनाएं बेहतर हैं, लेकिन अक्सर इसे धरातल पर उतारने में कमी रहने के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता है।

यह दुखद पक्ष है, जिसे यथाशीघ्र दूर करना आवश्यक है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का योग्य होना बहुत ही आवश्यक है। ऐसे शिक्षकों की तलाश के लिए राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर पर शिक्षक संसाधन कोष का गठन एक अच्छी पहल है


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