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भभुआ में समस्याओं का दंश झेल रहा प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय, सात शिक्षकों पर दो हजार छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी

वर्ष 2020 में प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय को टेन प्लस टू का दर्जा मिला था। इंटर में छात्राओं का नामांकन भी हुआ है। लेकिन शिक्षक व भवन के अभाव में इनकी पढ़ाई नहीं हो रही है। छात्राएं घर पर ही पढ़ाई करती हैं। पढ़ें पूरी खबर...

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 04:13 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 04:13 PM (IST)
भभुआ में समस्याओं का दंश झेल रहा प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय, सात शिक्षकों पर दो हजार छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी
भभुआ में स्थित प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय

 संवाद सहयोगी, मोहनियां: नगर में शिक्षा मंदिरों का हाल बेहाल है। सरकारी विद्यालय संसाधनों की कमी का दंश झेल रहे हैं। अनुमंडल मुख्यालय के एकमात्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में समस्याओं का अंबार है। जिसे देखने के बाद यही लगता है कि जहां उच्च शिक्षा का यह हाल है तो प्राथमिक शिक्षा का तो भगवान ही मालिक है। मोहनियां नगर पंचायत में रेलवे स्टेशन के बगल अवस्थित टेन प्लस टू प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय बाहर से देखने में काफी सुंदर है। लेकिन अंदर जाने के बाद इसकी व्यवस्था की पोल खुल जाती है। वर्तमान में इस विद्यालय में करीब दो हजार छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। वर्ष 2020 में विद्यालय को टेन प्लस टू का दर्जा मिला था। इंटर में छात्राओं का नामांकन भी हुआ है। लेकिन शिक्षक व भवन के अभाव में इनकी पढ़ाई नहीं हो रही है। छात्राएं घर पर ही पढ़ाई करती हैं। इस विद्यालय के छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तरसना पड़ता है। 

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दो हजार छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी मात्र सात शिक्षकों पर

दो हजार छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी मात्र सात शिक्षकों पर है। जबकि सरकारी तौर पर 40 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। यहां नवीं कक्षा में 729, दसवीं में 745, इंटर प्रथम वर्ष में 260 व द्वितीय वर्ष में 254 छात्राओं का नामांकन है। यहां प्रधानाध्यापक सहित मात्र सात शिक्षक कार्यरत हैं। उक्त विद्यालय में कहने को तो 12 कमरे हैं। इसमें चार क्षतिग्रस्त हैं। एक कमरे में कार्यालय है। एक कमरा में स्मार्ट क्लास चलता है। एक कमरे का प्रयोग प्रयोगशाला के रूप में किया जाता है। ऐसे मात्र पांच कमरों छात्राओं के पढ़ने की व्यवस्था है। सात शिक्षकों में एक शिक्षक जनवरी में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद मात्र छह शिक्षक के भरोसे छात्रों का भविष्य होगा। 

पानी में खड़ा होकर छात्राओं को प्रार्थना करना पड़ता है

सरकार द्वारा विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा देने का ढोल पीटा जा रहा है। लेकिन जिन विद्यालयों में कंप्यूटर है वहां शिक्षक के अभाव में कंप्यूटर की पढ़ाई बंद है। बरसात में विद्यालय परिसर में घुटने भर पानी लग जाता है। पानी में खड़ा होकर छात्राओं को प्रार्थना करना पड़ता है। पानी में भींगकर छात्राएं क्लास में जाती हैं। जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लंबे समय से यह समस्या है। विद्यालय के बगल में जलजमाव है। इसका दुर्गंध विद्यालय में प्रवेश करता है। 

विद्यालय के प्रधानाचार्य अजय कुमार सिंह से विद्यालय की समस्याओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि समाधान का प्रयास किया जा रहा है। जिलाधिकारी सहित विभागीय पदाधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया गया है। एचएम ने भी स्वीकार किया छात्राओं की संख्या के हिसाब से विद्यालय में कमरे व शिक्षकों की भारी कमी है। जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है।


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