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प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा, फल्गु के उद्धार पर करेंगे विचार

गया । कीचड़ से लथपथ सनातन आस्था की पावन फल्गु नदी के उद्धार की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मो

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 01:28 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 01:28 AM (IST)
प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा, फल्गु के उद्धार पर करेंगे विचार
प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा, फल्गु के उद्धार पर करेंगे विचार

गया । कीचड़ से लथपथ सनातन आस्था की पावन फल्गु नदी के उद्धार की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद उम्मीद की एक नई किरण जग गई है।

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शनिवार को उत्तर कोयल जलाशय परियोजना के शिलान्यास के लिए डालटनगंज जाने के क्रम में गया एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री ने दैनिक जागरण में फल्गु की दुर्दशा से संबंधित खबर का संज्ञान लिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधान पार्षद कृष्ण कुमार सिंह उर्फ कुमार बाबू ने भी उन्हें बताया कि करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था से जुड़ी पौराणिक फल्गु नदी का अस्तित्व खतरे में आ चुका है। विधान पार्षद ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इस पर विचार करने का सकारात्मक आश्वासन दिया है। फल्गु को बचाने की मुहिम में विभिन्न संगठनों से लेकर यहां के आम लोग जुड़ गए हैं। इसके लिए लगातार आंदोलन भी किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यहां वियर बांध की आवश्यकता जताते हुए निर्माण की दिशा में कार्यवाही का आदेश दिया है। इसको लेकर सर्वे का काम पूरा हो चुका है और रिपोर्ट सौंप दी गई है। दरअसल, अतिक्रमण और प्रदूषण के कारण हाल के वर्षो में फल्गु के अस्तित्व पर ग्रहण लगता चला गया। न तो अतिक्रमण हटाए गए और न ही इसमें गिराए जाने वाले नालों को रोका गया। इस संबंध में सारे आदेश-निर्देश की अनदेखी होती रही। हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश जारी किए थे। इसके बाद भी फल्गु की दशा यथावत बनी रही। दैनिक जागरण ने जब फल्गु को बचाने की मुहिम में इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए कि किस तरह पहले कूड़ा-कचरा फेंककर उसका पहाड़ खड़ा किया जाता है और बाद में वहीं घर-मकान बन जाते हैं। हाल ही में ऐसे प्रयासों पर खबर के प्रकाशन के बाद रोक भी लगी। अभियान के क्रम में विभिन्न संगठन, स्थानीय प्रबुद्ध नागरिकों से लेकर तमाम लोग इससे जुड़ते चले गए और यह एक बड़ा सवाल बनता चला गया। चूंकि फल्गु न सिर्फ सनातन आस्था से जुड़ी पौराणिक नदी है, बल्कि इससे यहां के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक सरोकार भी जुड़े हुए हैं। यहां अपने पुरखों को तर्पण के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री के आश्वासन पर नए साल में लोगों में एक उम्मीद जगी है कि इसके उद्धार की दिशा में सार्थक पहल होगी।


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