औरंगाबाद शहर से गांव तक बिजली संकट गहराया, जेनरेटर के सहारे चल रहीं राइस मिलें व फैक्ट्रियां
शहर से लेकर गांव तक बिजली संकट गहरा गया है। स्थिति यह हो गई है कि राइस मिलों से लेकर अन्य छोटी व बड़ी फैक्ट्रियां जेनरेटर पर निर्भर हो गई हैं। जेनरेटर से मिलों व फैक्ट्रियों को चलाने में मालिकों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। जिले में शहर से लेकर गांव तक बिजली संकट गहरा गया है। स्थिति यह हो गई है कि राइस मिलों से लेकर अन्य छोटी व बड़ी फैक्ट्रियां जेनरेटर पर निर्भर हो गई हैं। जेनरेटर से मिलों व फैक्ट्रियों को चलाने में मालिकों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। बिजली के संकट से फैक्ट्रियों के माल उत्पादन पर काफी असर पड़ा है। नवरात्र पर बिजली का संकट गहराने से पूजा आयोजकों की भी चिंता बढ़ा दी है। लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है।
गुरुवार की रात से लेकर शुक्रवार को दिन में लोड शेडिंग होने से बिजली घंटों बंद रही। लोड शेडिंग होने से बिजली की आपूर्ति आधे से भी कम हो जाती है। बिजली विभाग के अभियंता एक फीडर को बंद कर दूसरे फीडर में बिजली देते हैं। रोटेशन के आधार पर शहर से लेकर ग्रामीण इलाके में बिजली की सप्लाई करते हैं। जब लोड शेडिंग नहीं होती है तो बिजली की समस्या नहीं होती है।
शहर के जसोइया औद्योगिक परिसर में स्थित राइस मिल के प्रबंधक सुवास कुमार ने बताया कि दिन में मात्र दो से तीन घंटे और रात में तीन से चार घंटा बिजली मिल रही है। बिजली का संकट होने से जेनरेटर से राइस मिल को जरूरत भर चलाना पड़ रहा है। इससे काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है। एक लीटर डीजल की कीमत वर्तमान में 101 रुपये हैं। बिजली संकट से प्रतिदिन करीब पांच से छह हजार रुपये की डीजल की खपत हो जा रही है। सीहाक एग्रो मिल के मालिक रजनीकांत राय ने कहा कि बिजली संकट से काफी परेशानी बढ़ गई है। माल उत्पादन पर काफी असर पड़ा है। बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता चंदन कुमार ने बताया कि ग्रिड से बिजली कम मिलने के कारण जिले में बिजली का संकट है। साउथ बिहार डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के एमडी ने आश्वासन दिए हैं कि दशहरा पर्व पर बिजली की किल्लत नहीं होने दी जाएगी।