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सासाराम में फर्जी शिक्षकों की खुलने लगी पोल, सर्टिफिकेट से लेकर नियोजन पत्र तक निकले फर्जी

सासाराम में फर्जी शिक्षकों की पोल अब खुलने लगी है। जिले में शिक्षक बहाली की स्थिति यह हो गई है कि सर्टिफिकेट से लेकर नियोजन पत्र तक जाली पाए जाने लगे हैं। फर्जी शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कर वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है।

By Rahul KumarEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 04:28 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 04:28 PM (IST)
सासाराम में फर्जी शिक्षकों की खुलने लगी पोल, सर्टिफिकेट से लेकर नियोजन पत्र तक निकले फर्जी
सासाराम में फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई। सांकेतिक तस्वीर

जागरण संवाददाता, सासाराम । बहाली की प्रक्रिया बदलते ही शिक्षा में फर्जीवाड़े का बोलबाला हो गया। बहाली की बागडोर जब से पंचायत व नगर निकाय इकाई के हाथ में गया है तब से जाली प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले शिक्षकों की बाढ़ सी आ गई है। शैक्षणिक संस्थानों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद भी उससे निर्गत सर्टिफिकेट पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की एक लंबी फेहरिस्त जिले में है। प्रमाण पत्र लाओ, नौकरी पाओ की तर्ज पर मिली यह नौकरी अब शिक्षकों से लेकर नियोजन इकाई व शिक्षा विभाग के लिए गले की फांस बनकर रह गई है।

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सर्टिफिकेट से लेकर नियोजन पत्र तक निकले फर्जी 

जिले में शिक्षक बहाली की स्थिति यह हो गई है कि सर्टिफिकेट से लेकर नियोजन पत्र तक जाली पाए जाने लगे हैं। बीते माह जिला परिषद क्षेत्र अंतर्गत उच्च व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में डीडीसी सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के जाली हस्ताक्षर से निर्गत सामंजन पत्र ने इकाई व शिक्षा विभाग दोनों की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कारण कि जाली हस्ताक्षर से जिन शिक्षकों का सामंजन पत्र तैयार किया गया है, उनका नियोजन मई 2019 में किया गया है। जिन्हें शिक्षा विभाग दो वर्ष तक वेतन भुगतान भी करता रहा है। हालांकि जैसे ही जाली पत्र पर शिक्षकों के नौकरी करने का मामला पकड़ में आया, वैसे ही विभाग व इकाई दोनों की हाथ-पांव फूलने लगे और वेतन स्थगित व प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की गई।

विनायका मिशन के सर्टिफिकेट पर सबसे अधिक शिक्षक 

अमान्य घोषित किए गए शैक्षणिक संस्थान विनायका मिशन के सर्टिफिकेट पर जिले में सबसे अधिक शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। कोई ऐसा प्रखंड नहीं होगा जहां के स्कूलों में इस संस्थान के जाली प्रमाण पत्र लोग शिक्षक की नौकरी न करता हो। इसके अलावा टीईटी व एसटीईटी के जाली अंक पत्र भी नौकरी करने वाली संख्या है। निगरानी जांच में जिन शिक्षकों का प्रमाण पत्र अब तक जाली मिला है, उसे सेवामुक्त करने की कार्रवाई विभाग व इकाई के बीच सिर्फ पत्राचार तक सीमित रह गया है।

2019 में फर्जी पत्र पर 36 को मिली शिक्षक की नौकरी 

लगभग दो वर्ष पूर्व जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सह डीडीसी के फर्जी हस्ताक्षर से जिले में 36 लोगों ने शिक्षक की नौकरी पाई है। जिनका पदस्थापन उच्च, उच्च माध्यमिक व उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में किया गया। जिसे शिक्षा विभाग मार्च 2021 तक वेतन का भुगतान भी करता रहा है। जिन्हें शिक्षक की नौकरी मिली है, उसमें से उमावि छपरा में कंचन प्रभा, उच्च विद्यालय चाप में निर्मल कुमार गुप्ता, हाई स्कूल रमडिहरा में कुमारी रीना, हाई स्कूल विष्णुपुर में विनोद कुमार पाल, शौंडिक हाई स्कूल राजपुर में मो. शकील अख्तर, उवि सिसरित में सुदर्शन तिवारी, हाई स्कूल बरांव में सरोज कुमारी, राज कपूर व रीना कुमारी, हाई स्कूल गोशलशीह में उदय कुमार ङ्क्षसह, हाई स्कूल भेड़िया में रामपुकार प्रसाद, विश्वनाथ पाल, राम कुमार व वीभा कुमारी, हाई स्कूल तेनुअज में मिथेलश प्रियदर्शी, बलदेव हाई स्कूल में कुंज बिहारी शर्मा, उवि कुरूर में घनश्याम कुमार ङ्क्षसह, उवि ओसांव में शशिकांत तिवारी, उवि अमौना में रंजना, हाई सकूल अख्तियारपुर में गणेशशंकर विद्यार्थी, हाई स्कूल करगहर में सुभाष शेखर, उवि बभनी में रविंद सिंहह, चेनारी के उवि सरैया में जय प्राकाश मिश्रा, हाई स्कूल भगीरथा में झूलन राम, उवि रेड़िया में अश्विनी कुमार, उवि मंगरांव में नीरज कुमार, नौहट्टा के उवि पिपरडीह में कृष्ण कुमार सिंह शामिल हैं।

कहते हैं अधिकारी 

डीपीओ स्थापना, राघवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि अमान्य घोषित किए जा चुके संस्थानों के प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के फर्जी पाए जाने के बाद लगातार कार्रवाई जा रही है। बीते माह डीडीसी के फर्जी हस्ताक्षर से सामंजन पत्र पर योगदान करने वाले आधा दर्जन शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। साथ ही ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है। 


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