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पिंडदान के लिए इस साल गया आने वालों को ढूंढना होगा ठिकाना

पितृपक्ष मेले में अभी लगभग चार सप्ताह बाकी हैं लेकिन अभी से ही होटलों की बुकिंग हो जाने से यह तय हो गया है कि इस बार पिंडदानियों को यहां रहने में परेशानी होगी।

By Pramod PandeyEdited By: Published: Sun, 21 Aug 2016 04:19 PM (IST)Updated: Sun, 21 Aug 2016 10:32 PM (IST)
पिंडदान के लिए इस साल गया आने वालों को ढूंढना होगा ठिकाना

गया [कमल नयन ]। पितृपक्ष मेला-2016 नजदीक है। तर्पण कर पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए गयाजी आने वाले तीर्थयात्रियों के 15 दिन के आवासन की व्यवस्था पर इस बार प्रशासन ने कायदे से गौर नहीं किया है। नतीजतन तीर्थयात्रियों को इस बार रहने की परेशानी झेलनी होगी।

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गया व बोधगया के होटलों में इन दिनों पितृपक्ष मेला की अवधि की बुकिंग कोई कराना चाहें तो कमरा नहीं मिलेगा। सीधा जवाब, सब बुक हो गया। जबकि हकीकत में कुछ की ही एडवांस बुकिंग है। गया आने वाले तीर्थयात्री जिनके पास अपना वाहन होता है। वे बोधगया के होटलों में ठहरना पंसद करते हैं। बोधगया के अधिकांश होटलों में अभी से हाउस फुल का बोर्ड लटक गया है।

प्रमंडलीय आयुक्त और जिला प्रशासन के नेतृत्व में दो दिन पूर्व हुई बैठक में यात्री सुविधाओं पर चर्चा हुई। लेकिन आवास की समस्या के समाधान की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। वैसे यह भी बात चर्चा में रही कि आवास की दिक्कत भले हो, पर प्रशासन की ओर से तीर्थयात्रियों को इस बार वाई-फाई की सुविधा दी जाएगी।

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इस साल 17 दिवसीय पितृपक्ष मेला 15 सितम्बर से शुरू हो रहा है। 17 सितम्बर को मेले के प्रशासनिक उद्घाटन के पूर्व ही यात्रियों का गया आगमन शुरू हो जाएगा। ये 17 दिन तक गयाजी में रहकर अपने पितरों को तर्पण और पिंडदान करते हैं। इनकी व्यवस्था अलग होती है।

वैसे इस तरह के पिंडदानी संख्या में कम होते हैं, लेकिन वे अपनी व्यवस्था छह माह पूर्व कर लेते हैं। मेला क्षेत्र के कई निजी भवन किराए पर ले लेते हैं। इस बार मेला क्षेत्र के कई मकान ऊंचे किराये पर बुक कराए गए हैं। मेला पर नियंत्रण रखने वाली संवास सदन समिति किराया निर्धारण पर कुछ नहीं कर पाती।

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छोटे-छोटे होटल अभी ही फुल

गया शहर में 20-25 कमरे के कई होटल हैं। मेला क्षेत्र में भी इनकी तादाद अधिक है। लेकिन ये होटल नहीं आवासन गृह के रूप में माने जाते हैं। यहां दिक्कत यह है कि इन्हें तीर्थ पुरोहितों द्वारा संभावित श्रद्धालु के नाम पर बुक कर लिया जाता है। इस साल भी एेसा ही हुआ है।

यहां रह सकते हैं निश्शुल्क

वैसे जिला प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रियों को ठहराने के लिए सरकारी स्कूल और बोधगया का निगमा मोनास्ट्री उपलब्ध है। यहां यात्रियों का आवासन निश्शुल्क होता है।


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