न्याय की दुहाई देने वाले केसापी गांव के लोगों को न्याय की दरकार
गाव की पाती - का लोगो लगाएं पेज- फोटो 30 313233 ----------- सबहेडकोल राजा के कचहरी के नाम पर पड़ा केसापी गांव आज भी कचहरी लगाकर लोगों को दिलाई जाती है न्याय --------- अनदेखी -बेरोजगारी अशिक्षा तो यहां की नियति अस्पताल नहीं होना बड़ी समस्या -नाली नहीं बने रहने के कारण सड़कों पर बहता है घरों का गंदा पानी ----------- -05 हजार के आसपास है गाव की आबादी -07 सौ के करीब घर हैं गांव में छह पोखर भी -12 लोग गांव के सरकारी नौकरी में -08 से दस घंटे ही गांव में होती है बिजली आपूर्ति ----------- संवाद सूत्र डोभी
गया । प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर स्थित केसापी गाव कभी कोल राजा का गढ़ हुआ करता था। आज इस गढ़ के अवशेष कोल वंश का गवाह है। इस गढ़ में कोल राजा के राज दरबार सजते थे। यहां कचहरी लगाकर लोगों को न्याय दिलाई जाती थी। आज भी यह परंपरा जीवित है। पर, आज इस गांव के लोगों के साथ सरकार न्याय नहीं कर पाई है। बेरोजगारी, अशिक्षा तो यहां के लोगों की नियति में है, अस्पताल नहीं होना बड़ी समस्या है। लोग बताते हैं कि कोल राजा के कार्यकाल में ही इस गांव का नाम केसापी पड़ा।
अधिकांश गलियां कच्ची : गाव की अधिकाश गलिया कच्ची, संकीर्ण है। नाली नहीं बने रहने के कारण गांव के घर का गंदा पानी सड़कों पर बहता है। गाव में स्कूल के नाम पर एक खपरैल मध्य विद्यालय और एक प्राथमिक विद्यालय है। भवन जीर्ण शीर्ण हैं। बच्चे तो स्कूल आते हैं पर बारिश होने पर छुट्टी कर दी जाती है। कारण कमरे में पानी का रिसाव होना है। वैसे इस गांव में भगवान शंकर, भगवान भास्कर और मा भगवती की मंदिर है, पर शिक्षा की मंदिर का यह हाल यहां के लोगों के लिए असहनीय है। इसके लिए ग्रामीण मुख्य रूप से व्यवस्था को दोषी बताते हैं।
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नहीं खुला बालिका उच्च विद्यालय
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केसापी बालिका उच्च विद्यालय खोलने की घोषणा की थी। घोषणा के बारह वर्ष बीत गए पर उच्च विद्यालय नहीं खुला। इसके कारण गांव की लड़कियां माध्यमिक शिक्षा पूरी कर घर बैठने को मजबूर हो जाती हैं।
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बेरोजगारी के कारण
करते हैं पलायन
गाव के लोगों का मुख्य पेशा कृषि व इससे जुड़े व्यवसाय है। कृषि कार्य से जुड़े लोगों को जब काम नहीं मिलता तो वे दूसरे प्रदेशों में कमाने के लिए रुख करते हैं। अन्य प्रदेशों में जाने वाले लोग मजदूरी कर वहां से पैसे भेजकर अपने परिवार वालों की जीविका चलाते हैं। बाहर गए मजदूरों की हालात क्या रहती है यह बात किसी से छिपी नहीं।
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एक समस्या जो
कभी दूर नहीं हुई
कृषि प्रधान इस गाव के लोगों की एक समस्या आज भी दूर नहीं हुई है। यहां के लोग कहते हैं कि यदि घोड़ाघाट नहर का पानी गांव तक आ जाए तो का बरसा जब कृषि सुखाने वाली बात नहीं रहेगी। कृषि के मामले में गांव आत्मनिर्भर हो सकता है। एक समस्या और जो लोगों ने बताई, वो ये कि यहां खेल के मैदान नहीं हैं। इसके कारण गांव के बच्चों में खेल के प्रति कोई विशेष रुचि नहीं दिखती है।
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गाव के दो सौ लोग
हैं मैट्रिक पास
डोभी-चतरा सड़क के किनारे स्थित केसापी अपने आप में एक आदर्श गाव माना जाता है। इस गाव में लगभग 200 लोग मैट्रिक पास हैं। सरकारी नौकरी में 12 लोग और अन्य निजी क्षेत्रों में कुछ लोग काम करते हैं।
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लोगों ने अपने दम पर
गांव में लाई बिजली
वैसे तो सरकार गाव-गांव में ग्रामीण विद्युत योजना के तहत बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर लगाकर लोगों को बिजली आपूर्ति कराने को कटिबद्ध हैं। पर इस गांव में बिजली की आपूर्ति यहां के लोगों के दम पर की जा रही है। बिजली के लिए गाव में सात ट्रासफार्मर लगे हैं। ग्रामीणों ने खुद चंदा कर लगाए हैं। हालांकि, आठ से दस घंटे ही आपूर्ति होती है। इसके कारण बिजली आधारित कुटीर व लघु उद्योग का जोखिम नहीं उठाते हैं।
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कहते हैं बुजुर्ग
ग्रामीण बासुदेव यादव कहते हैं, गाव का विकास तभी संभव है जब यहां कुटीर उद्योग लगे। देवनंदन यादव कहते हैं यदि गाव की जमीन की चकबंदी कर दी जाए तो गांव विकास की ओर अग्रसर होगा। गाव के कई लोगों की जमीन का रकबा का डिमांड गलत चढ़ा दिया गया है। ऑनलाइन डिमांड गलत होने से कई लोग अपनी अपनी जमीन को लेकर परेशान हैं।
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कहते हैं युवा
विजय वर्मा ने कहा सरकार की योजनाएं को गाव तक पहुंचानी चाहिए ताकि और विकास हो। हर युवा के हाथों को काम मिले ताकि दूसरे प्रदेशों में पलायन को मजबूर नहीं हों। गांव में ही काम मिलेगा तो भला कोई अपना देश छोड़ परदेस कमाने क्यों जाएगा। इनका कहना है कि गांव में अस्पताल नहीं होने से जो समस्या लोग झेलते हैं उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अर्जुन प्रसाद का कहना है कि गांव में एक पुस्तकालय का होना भी बहुत जरूरी है।
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गाव की खासियत
गाव में सभी जाति व वर्ग के लोग रहते हैं। सभी का अपना संगठन है। संगठन के अध्यक्ष भी हैं। जिस जाति या वर्ग के लोगों के बीच किसी बात को लेकर मतभेद होता है जो संबंधित अध्यक्ष तक संदेश जाता है। इसके बाद बैठक बुलाई जाती है। दोनों पक्ष के लोगों की बातों को सुनने के बाद एक प्रकार से न्यायिक आदेश दिया जाता है। उसे दोनों पक्ष के लोग स्वीकार करते हैं। यही वजह है कि आज तक गाव का छोटा मामला कभी थाने में नहीं गया। यह यहां रहने वालों की सबसे बड़ी खासियत है। यह न्यायिक प्रक्रिया विगत 250 वर्षो से कोल राजा के काल से ही लगभग चला आ रहा है।
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छह सौ एकड़ भूमि
पर बसा है गांव
गाव की आबादी लगभग पाच हजार के आसपास है। यहां करीब सात सौ घर हैं। गांव की भूमि का रकबा करीब छह सौ एकड़ है। इस गांव की भूमि पर अलग अलग जगहों पर छह पोखर है। इसमें बरसात में पानी भर आने पर लोग सिंचाई करते हैं। इसके अलावा मछली पालन का भी अपना व्यवसाय कर लेते हैं। इससे जीविकोपार्जन की समस्या कुछ हद तक दूर हो जाती है।
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गांव का गौरव
केसापी गाव में बिहार में सर्वप्रथम समेकित कृषि करने वाले रामसेवक प्रसाद किसान रत्न से सम्मानित होने वाले व्यक्ति हैं। उन्हें 2010 के 28 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस गांव में आकर अपने हाथों से सम्मानित कर चुके हैं।
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इस गांव के विकास के लिए 35 वर्षो से समर्पित हूं। आदर्श गांव के रूप में विकसित करना ही मकसद है। यहां के एक-एक बच्चे को आदर्श बालक बना दूं। इन्हें ऐसा संस्कार दूं कि प्रदेश के अन्य गांवों के बच्चे भी यहां से प्रेरणा ले सकें।
कृष्णदेव प्रसाद वर्मा, सरपंच
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प्रस्तुति : नीरज कुमार मिश्र
मोबाइल नंबर : 9931722926