Move to Jagran APP

Rohtas: बदलते मौसम में शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर दें विशेष ध्‍यान, डिहाइड्रेशन के लक्षणों की नहीं करें अनदेखी

मौसम में बदलाव का असर शिशुओं पर ज्‍यादा देखा जाता है। इसको लेकर रोहतास जिले में स्‍वास्‍थ्‍य महकमा अभी से सजग हो गया है। बच्‍चों के शरीर में पानी की कमी नहीं हो इसको लेकर नियमित स्‍तनपान की सलाह दी गई है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 11:20 AM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 11:20 AM (IST)
Rohtas: बदलते मौसम में शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर दें विशेष ध्‍यान, डिहाइड्रेशन के लक्षणों की नहीं करें अनदेखी
शिशुओं को नियमित रूप से कराएं स्‍तनपान। प्रतीकात्‍मक फोटो

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)।  बदलते मौसम को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा अभी से ही तैयारी में जुट गया है। गर्मी धीरे– धीरे गर्मी भी बढ़ने लगी है। सर्द-गर्म का मौसम शिशुओं को जल्दी प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में डायरिया की समस्या आसानी से उत्पन्न होती है। डायरिया से बचने को ले स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण समेत अन्य अन्य तैयारियों को मूर्त रूप दिया जाने लगा है। जिसका समय पर प्रबंधन और ख्याल न रखा जाए तो यह ज्यादा गंभीर हो सकता है। 

loksabha election banner

नियमित स्तनपान से शिशु का डायरिया से होता है बचाव

सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दिलीप कुमार सिंह की माने तो लगातार दस्त होने से बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए पानी की कमी दूर करने और डायरिया से बचाने के लिए शिशुओं को अधिक से अधिक स्तनपान करवाएं। छह माह तक नियमित स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। इसलिए बाहर का कुछ भी नहीं पिलाएं  केवल स्तनपान कराएं। माताओं को इन लक्षणों के प्रति हमेशा सतर्क रहने की आश्वयकता है। डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है।  नवजात और छोटे बच्चों का शरीर लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है।

बड़े बच्चों को दें ओआरएस और जिंक का घोल

दस्त के कारण शरीर से पानी के साथ जरूरी तत्व या एल्क्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटैशियम  क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट भी कम हो जाता है। इसलिए उसकी कमी दूर करने के लिए बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सोल्युशन( ओआरएस) और जिंक का घोल दें। जिससे डिहाइड्रेशन में कमी और डायरिया से बचाव होगा। लेकिन यदि लगातार ओआरएस का घोल  देने के बाद भी  राहत न मिले तो बिना विलंब किए  तुरंत नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक के पास ले जाए ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके। ऐसे स्थिति में ज्यादा देर होने से बच्चे को अन्य गंभीर रोगों जैसे एक्यूट ब्लडी डायरिया आंत में संक्रमण, अतिकुपोषण जैसी  समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.