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मरीज बढ़ने पर गलियारे में बेड लगाकर होता है इलाज

- फोटो 30 31 ------- लोगों भी लगाएं ---------- -छह बेड वाले टनकुप्पा पीएचसी में चिकित्सक और आधुनिक संसाधनों का घोर अभाव ---------- असुविधा -महिला चिकित्सक नहीं होने परेशानी एएनएम करातीं है प्रसव -18 नियमित और आठ अनुबंध पर एएनएम कार्यरत ---------- -04 की जगह तीन एमबीबीएस चिकित्सक कार्यरत -23 जून से एंबुलेंस सेवा बंद हो रही है परेशानी -08 साल पहले ही बने भवन की दीवारों में दरारें ---------- संवाद सूत्र टनकुप्पा

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 08:18 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 08:18 PM (IST)
मरीज बढ़ने पर गलियारे में बेड लगाकर होता है इलाज
मरीज बढ़ने पर गलियारे में बेड लगाकर होता है इलाज

गया । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टनकुप्पा को आठ साल पहले ही नया भवन मिला था, लेकिन मरम्मत के अभाव में दीवारों में दरारें पड़ने लगी हैं। बारिश होने पर जगह-जगह से पानी का रिसाव होता है। जगह के अभाव में गलियारे में बेड लगाकर मरीजों का उपचार किया जाता है। छह बेड वाले इस अस्पताल में चिकित्सक और आधुनिक संसाधनों का घोर अभाव है। इस कारण गंभीर अवस्था में मरीजों को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर करना ही एकमात्र विकल्प बचता है। नियुक्त चिकित्सक सहित अन्य कर्मियों के लिए आवास की व्यवस्था नहीं है।

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संसाधनों की कमी के बावजूद चिकित्सा प्रभारी सहित अन्य चिकित्सक, कर्मचारी और सहायक एईएस बीमारी से निपटने के लिए हरसंभव तैयार हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चार एमबीबीएस चिकित्सकों के पद सृजित हैं। इनमें से तीन पदस्थापित हैं। अनुबंध पर दो चिकित्सक पदस्थापित हैं। महिला चिकित्सक की पदस्थापना नहीं है। प्रसव कराने का कार्य एएनएम कराती हैं। महिला चिकित्सक के अभाव में स्त्री रोग के मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है। एंबुलेंस सेवा 23 जून से बंद है। आपातकालीन स्थिति में चिकित्सक मरीजों को निजी वाहन से चिकित्सा के लिए दूसरे अस्पताल में भेजते हैं।

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एएनएम की कमी

एएनएम के 37 पद सृजित हैं, जिनमें से महज 26 पदस्थापित हैं। 18 नियमित और आठ अनुबंध पर हैं। चलंत चिकित्सा दल में एक फार्मास्टि और सहायक महिला चिकित्सक की व्यवस्था है।

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जगह के अभाव में रेडिएंट

वार्मर मशीन खराब

जगह के अभाव में पैथालॉजी लैब का कार्य प्रभावित हो रहा है। अस्पताल में एक्स-रे मशीन की व्यवस्था विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई है। नवजात के लिए आइसीयू रेडीएंट वार्मर दो मशीन जगह के अभाव में खराब पड़ी है।

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आबादी के हिसाब से सीएचसी बनाने की जरूरत

10 पंचायत वाले इस प्रखंड की आबादी 124540 हैं। इनको स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर है। जनसंख्या के आधार पर विभाग टनकुप्पा पीएचसी को सीएचसी का दर्जा देते हुए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दरकार है।

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चिकित्सक करते हैं

कंपाउंडर का काम

चिकित्सकों के अभाव में प्रसव कराने वाले मरीज के परिजन प्राइवेट अस्पताल लेकर चले जाते हैं। अस्पताल में ड्रेसर और कंपाउंडर का पद रिक्त है। कंपाउंडर का काम भी चिकित्सक देखते हैं। फार्मासिस्ट के दो पद सृजित हैं पर एक पदस्थापित हैं। सर्जन का पद रिक्त है।

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100 मरीजों का

प्रतिदिन होता इलाज

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन करीब एक सौ मरीजों का आउटडोर में इलाज होता है। उन्हें समुचित दवा दी जाती है। आउटडोर में 36 और इंडोर में 27 दवा उपलब्ध है। कुत्ता, साप और बिच्छु की दवा उपलब्ध है। ऑक्सीजन भी उपलब्ध है। महीने में औसतन 50 से अधिक प्रसव कराया जाता है।

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के लिए सुविधाएं उपलब्ध है। लेकिन जगह और चिकित्सक का अभाव है। जगह की कमी की वजह से प्रसव कार्य कराने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

मो. मुमताजूल हसन, स्वास्थ्य मैनेजर

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के लिए सुविधा उपलब्ध है। चिकित्सक अपना काम करते हैं। जनसंख्या के हिसाब से जितने चिकित्सक और एएनएम चाहिए वे नहीं हैं। भवन का भी अभाव है। प्राइवेट एंबुलेंस है जिसके खराब होने पर मरीज व चिकित्सक दोनों को परेशानी होती है। अस्पताल में और बेड व अन्य जरूरी सुविधाएं बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

डॉ. उमेश कुमार दिवाकर, चिकित्सा प्रभारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, टनकुप्पा


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