Bihar: बिना साक्ष्य के जेल में बीती जवानी, 14 साल बाद मिला इंसाफ, जानें क्या हुआ जो मिली इतनी बड़ी सजा
बिना साक्ष्य के 14 सालों से मंडल कारा की सलाखों में कैद शंकर को आखिरकार अदालत ने इंसाफ दे ही दिया। शुक्रवार को एडीजे 13 परिमल कुमार मोहित की अदालत द्वारा जब उसकी रिहाई का आदेश मिला तो स्वजनों की आंखें भी भर आईं।
जागरण संवाददाता, सासाराम। बिना साक्ष्य के 14 सालों से मंडल कारा की सलाखों में कैद शंकर को आखिरकार अदालत ने इंसाफ दे ही दिया। शुक्रवार को एडीजे 13 परिमल कुमार मोहित की अदालत द्वारा जब उसकी रिहाई का आदेश मिला तो स्वजनों की आंखें भी भर आईं। 2007 से जेल में बंद शंकर एक युग से भी अधिक समय बाद खुली हवा में सांस ले पाएगा। हत्या के मामले में पुलिसिया जांच की लापरवाही का खामियाजा भुगतने वाले कैमूर जिला के चांद थानांतर्गत जमालपुर पतेरी निवासी शंकर राम की जवानी जेल में बीत गई। अब साक्ष्य न मिल पाने के अभाव में न्यायालय द्वारा रिहा किए जाने के बाद शंकर के घर में खुशी का माहौल है।
बताते चलें कि हत्या से संबंधित उक्त मामले की प्राथमिकी 2004 में तिलौथू थाना में दर्ज कराई गई गई थी। जिसके अनुसार थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव निवासी विजय मंडल सिंह व पिंटू यादव 15 सितंबर 2004 की सुबह 7:30 बजे अपने घर से सासाराम के लिए निकले थे। जिनकी 15-20 की संख्या में आए नक्सलियों ने रास्ते में ही हत्या कर शव को गांव के ही बोरिंग के पास फेंक दिया था। इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
मामले की जांच के दौरान पुलिस ने घटना के तीन वर्ष बाद इस कांड में शंकर की संलिप्तता को मानते हुए छह जून 2007 को मंडल कारा सासाराम भेज दिया था। जिसके बाद से वह लगातार आज जेल में ही बंद था। लेकिन 14 साल तक चले इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने शंकर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाया, जिससे उसे रिहा कर दिया गया। कोर्ट ने अपने फैसले में अभियोजन पक्ष को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। वैसे जो भी हो यदि शंकर निर्दोष है, तो उसके जीवन के बहुमूल्य 14 साल तो लापरवाह सिस्टम की भेंट चढ़ ही चुका है।