लॉकडाउन में हुए बेरोजगार लेकिन साेमदत्त ने नहीं मानी हार, किया कुछ ऐसा कि जानकर कहेंगे शाबाश
लाॅकडाउन में ढेर सारे लोग बेरोजगार हो गए हैं। लेकिन ऐसी ही स्थिति में रोहतास के सोमदत्त का प्रयास दूसरों के लिए भी प्रेरक है। सोमदत्त ने बाइक पर आटा चक्की मशीन बिठाई और अब वे अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। कोरोना काल (Covid Period) और उसकी वजह से लगे लॉकडाउन ने लोगों को कई सबक दिए हैं। उनमे से कुछ कड़वे अनुभव हैं तो कुछ सुखद एहसास भी। जहां एक ओर कुछ लोग काम छूट जाने से बेरोजगार (Unemployed) हो गए, वहीं कुछ लोगों ने अपनी लगन और मेहनत के दम पर इसे अवसर में बदल रोजगार खड़ा कर लिया। इसका जीता जागता प्रमाण हैं डेहरी अनुमंडल के मकराइन के रहने वाले सोमदत्त राम।सोमदत्त बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले वह एक दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे। लेकिन अब वे अपना व्यवसाय कर रहे हैं, और इस काम से वह संतुष्ट भी हैं ।
अपनी बाइक पर लगाई आटा चक्की मशीन
सोमदत्त बताते हैं कि एक साल पूर्व इसी कोरोना काल में काम नहीं मिलने से आर्थिक तंगी से परेशान रहने लगे थे।घर में रखी जमापूंजी भी खाने में पीने में धीरे धीरे खत्म होने लगी थी। इस दौरान उन्होंने देखा कि लोग शुद्धता, स्वच्छता के साथ घर तक सेवा उपलब्ध कराने वाले को महत्व दे रहे हैं। तब जुगाड़ गाड़ी बनाकर उस पर चक्की मिल बैठाने का आइडिया दिमाग में आया। इसके लिए उन्होंने अपनी खुद की पुरानी बाइक का इस्तेमाल किया और बाजार से कुछ अन्य जरूरी सामान खरीदकर खुद से ही एक महीने में यह गाड़ी तैयार कर ली। अब बारी थी उस पर मिल बैठाने की। इसके लिए भी उन्होंने ब्याज पर पैसे लेकर घरेलू उपयोग वाली आटा चक्की साथ ही छोटा जनरेटर सेट भी इस जुगाड़ गाड़ी पर बैठा लिया । इसके बाद लोगों के दरवाजे तक जा जाकर सत्तू बेसन, मसाला पीसने का काम शुरू कर दिया। शुरुआती दिनों में थोड़ी मुश्किल आई लेकिन अब जाकर धीरे-धीरे लोग इन्हें जान गए। इन्हें अब सत्तू ,बेसन व मसाला पीसने के लिए ग्राहकों के फोन भी आते हैं । काम का दायरा भी बढ़ाया, खड़े मसाले, चना दाल, भूंजा चना आदि भी अपनी जुगाड़ गाड़ी पर रखते हैं तथा मांग के अनुरूप लोगों के सामने उसे पीस कर उपलब्ध कराते हैं। शुद्धता के साथ घर तक सेवा ने उनके व्यवसाय को लोगों के बीच विश्वास स्थापित किया।
अब नहीं रहती मजदूरी मिलने की चिंता
बताते हैं कि जब वह मजदूर का काम करते थे तो किसी दिन काम मिलता था ,किसी दिन पूरे दिन खड़े रहने के बावजूद काम नहीं मिल पाता था। जिस दिन काम मिला उस दिन की दिहाड़ी तीन सौ रुपए बन जाती थी लेकिन जिस दिन काम नही मिला उस दिन घर के पूरे परिवार का पेट पालना काफी मुश्किल था ।ऊपर से कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में मजदूरी पर भी आफत आ गई थी। लेकिन अब वह प्रतिदिन छह से सात सौ की कमाई कर लेते हैं ।सोमदत्त के ग्राहक शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण इलाके इंद्रपुरी, निमियाडीह,मकराइन डिलियां समेत अन्य गांव में भी हैं । ग्राहकों के फोन आने पर वे अपनी गाड़ी लेकर तुरंत पहुंच जाते है।