हवालात में बंद व्यक्ति के भोजन के लिए महज 18 रुपये निर्धारित
हवालात में बंद व्यक्तियों के लिए भोजन की व्यवस्था करना थाने की जिम्मेदारी है। लेकिन यह जानकार आश्चर्य होगा कि एक व्यक्ति के एक दिन के भोजन के लिए महज 18 रुपये निर्धारित है। जरा सोचिए इतनी कम राशि में भोजन नाश्ता कहां तक संभव है।
नीरज कुमार, गया
हवालात में बंद व्यक्तियों के लिए भोजन की व्यवस्था करना थाने की जिम्मेदारी है। लेकिन यह जानकार आश्चर्य होगा कि एक व्यक्ति के एक दिन के भोजन के लिए महज 18 रुपये निर्धारित है। जरा सोचिए, इतनी कम राशि में भोजन, नाश्ता कहां तक संभव है।
थानाध्यक्ष भोजन की व्यवस्था से अनभिज्ञ हैं। कहते हैं, बंदी को भोजन किस मद से कराया जाएगा? भुगतान की प्रक्रिया सरल नहीं है। अब सवाल उठना लाजिमी है कि जब थानाध्यक्ष अनभिज्ञ हैं तो फिर बंदी को भोजन कहां से मिलेगा? अगर राशि आती भी होगी तो फाइलों में दब जाती है। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही भोजन देने का प्रावधान है।
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परिजन कराते हैं भोजन
नियमानुसार किसी व्यक्तिकी गिरफ्तारी के बाद उसकी पूरी जवाबदेही थानाध्यक्ष की होती है। वे गिरफ्तारी करने और उसे जेल भेज कर इतिश्री कर लेते हैं। हवालात में बंदी को भोजन खुद उनके परिजन कराते हैं। उसका ख्याल रखते हैं। अमूमन देखा जाता है कि बंदी के लिए लाए गए भोजन पुलिसकर्मी भी करते हैं।
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बंदी की सुरक्षा पर भी सवाल
कोई हवालात में बंद है तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी थानाध्यक्ष की ही है। बिना जांच-पड़ताल कराए उसे भोजन कराया जाता है तो यह उसकी जान के लिए भी खतरा है। गनीमत है कि अभी कोई अनहोनी नहीं हुई है। जेल भेजने से पहले बंदी को भोजन कराना है। उसके बाद उसकी मेडिकल जांच कराने का भी प्रावधान है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
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हवालात में बंद व्यक्ति को भोजन कराने की जिम्मेदारी पुलिस की है। एक व्यक्ति के भोजन के लिए 24 घंटे में मात्र 18 रुपये निर्धारित है। मेरे कार्यकाल में बंदी के भोजन पर एक रुपये भी खर्च नहीं किया गया है। किसी भी थानाध्यक्ष ने बंदी के भोजन पर खर्च किए गए पैसे का दावा नहीं किया है। कोई दावा करेंगे तो निश्चित तौर पर भुगतान एसएसपी कार्यालय से होगा।
राजीव मिश्रा, एसएसपी, गया