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Corona Fighters: मजबूत हौसले से 102 वर्ष के अधिवक्‍ता हरिनारायण सिंह ने कोरोना को दी मात

प्रकृति के अनुरूप जीने व मजबूत इरादे से 102 वर्षीय अधिवक्‍ता हरिनारायण सिंह ने कोरोना को मात दे दी है। तीन वर्ष पूर्व पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह में वे सम्मानित भी किए जा चुके हैं। उन्‍हें देश के बुजुर्ग कार्यरत अधिवक्‍ताओंं में शुमार किया जाता है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 04:47 PM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 04:47 PM (IST)
Corona Fighters: मजबूत हौसले से 102 वर्ष के अधिवक्‍ता हरिनारायण सिंह ने कोरोना को दी मात
कोरोना संक्रमितों के लिए प्रेरणास्रो हरिनारायण सिंह। फाइल फोटो

सासाराम (रोहतास) जागरण संवाददाता।  Corona Fighters हौसला हो तो मौत को भी मात दी जा सकती है। मजबूत इच्छाशक्ति से ही सब कुछ संभव है। इस बानगी को सच साबित किया है देश के वयोवृद्ध कार्यरत अधिवक्ताओं में से एक  स्थानीय गौरक्षणी निवासी 102 वर्षीय हरि नारायण सिंह ने। उम्र की शतक पार कर चुके हरिनारायण सिंह कोरोना को मात देकर स्‍वस्‍थ हो घर लौट आए हैं। इस उम्र में भी उनका आत्मबल, सकारात्मक सोच व प्रकृति के अनुरूप जीने की कला ने उन्हें इस महामारी को हराने में मदद की। वे 23 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसका पता चलने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। महज आठ दिनों में कोरोना से जंग जीतने के बाद वे रविवार को अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौट आए। उनके घर लौटने पर परिवार में खुशी की लहर है। 

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डॉक्‍टर को भी नहीं थी स्‍वस्‍थ होने की उम्‍मीद   

पर्ल कार्स के एमडी अभिषेक सिंह उर्फ सोनू सिंह बताते है कि उनके दादा हरिनारायण सिंह का आक्सीजन लेबल काफी कम हो गया था। चिकित्सकों को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी उम्र में वे फिर से रिकवर कर पाएंगे। लेकिन वे दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर इस महामारी से जीत गए। इस उम्र में भी कचहरी जाने वाले देश के वरिष्ठ अधिवक्ताओं में हरि नारायण सिंह का नाम सबसे ऊपर माना जाता है।

कहीं नहीं करते एसी का इस्‍तेमाल 

हरिनारायण सिंह के पुत्र व बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कृष्ण कुमार सिंह कहते हैं कि उनके पिता की कोरोना जैसी जानलेवा महामारी को मात दे देने की कहानी समाज के लिए प्रेरणादायक है। इस महामारी को ले व्यथित और चिंतिंत लोगों के लिए वे संजीवीनी के समान है। सोच को सकारात्मक रखते हुए इस महामारी से हम आसानी से जीत सकते है। कहते हैं कि  उनके पिता को प्रकृति से गहरा लगाव है। प्रकृति के साथ वे खुले  वातावरण में रहना पसंद करते है। गाड़ी में सफर करने से लेकर घर में विश्राम करने के दौरान वह कभी भी एयर कंडिशनर का प्रयोग आज भी नहीं करते है। कहते है कि प्रकृति से मानव का रिश्ता जितना ही घना होगा उसकी उम्र और सेहत दोनों अच्छी होगी। यहीं कारण 102 वर्ष उम्र में भी वह आज कोरोना को मात दे स्वस्थ हुए।


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