Bihar Politics: जदयू में विलय से पुरानी रालोसपा के कार्यकर्ताओं-नेताओं में नाराजगी, कहा-स्वार्थ के लिए बेच दी पार्टी
जदयू में रालोसपा के विलय से कार्यकर्ता नाराज हैं। उनका कहना है कि आठ वर्षों तक किए गए संघर्ष को पार्टी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने पल भर में मिट्टी में मिला दिया। अब कार्यकर्ता दूसरे दलों में जाने के प्रयास में हैं।
गया, जागरण संवाददाता। आठ वर्षों तक रालोसपा के झंडा- बैनर तले नीतीश सरकार का विरोध करने और जनता के मूलभूत मुद्दों को उठाने वाले रालोसपा कार्यकर्ता जदयू में पार्टी के विलय से खुश नहीं हैं। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा की गलबहियां कुछ हजम नहीं हो रही है। जिला स्तर पर बात करें तो आम कार्यकर्ता इस बात से पूरी तरह से नाराज दिख रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी का अस्तित्व ही मिटा दिया।
यही करना था तो चुनाव से पहले कर लिए होते
कार्यकर्ता इन दिनों उपेंद्र कुशवाहा को दम भर कोसने में लगे हुए हैं। उनका साफ कहना है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा को यही करना था तो वह विधानसभा चुनाव के पहले किए होते। शायद कुछ सीट भी पार्टी के नाम होती। वर्षों तक बिहार की बदहाल चिकित्सा, चौपट शिक्षा व्यवस्था और लचर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आखिर उन कार्यकर्ताओं ने संघर्ष क्यों किया किया? कई बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा की इस राजनीति को स्वार्थ मात्र मानते हैं। कहते हैं कि उन्होंने आम कार्यकर्ताओं की फिक्र नहीं की।
बिखर रहा कुनबा, कमजोर पड़ रहा संगठन
बिखराव की स्थिति में दिख रही पुरानी रालोसपा से वर्तमान का विपक्ष मजबूत हो सकता है। अंदरखाने कई नेता, कार्यकर्ता अपने दर्जनों की संख्या में समर्थकों के साथ दूसरे दलों से जुड़ने के प्रयास में हैं। विपक्षी पार्टियां भी इनका तहे दिल से स्वागत करने को उत्सुक हैं। संभव है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस- आरजेडी जैसे विपक्षी दल और मजबूत हों। गया में अब तक 40 से अधिक नेता रालोसपा पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। कई और बड़े नामों की भी चर्चा है। हालांकि अभी कोई भी कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन अंदर खाने हर कोई उपेंद्र कुशवाहा की इस राजनीति से सहमत नहीं है।
उपेंद्र कुशवाहा पर अपने फायदे के लिए पार्टी को बेचने का लगाया आरोप
रालोसपा को हमेशा के लिए अलविदा कह चुके संस्थापक सदस्य व प्रदेश स्तर के नेता विनय कुशवाहा ने एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा पर निशाना साधा। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि कुशवाहा ने अपने निजी स्वार्थ के लिए कार्यकर्ताओं के खून पसीने से बनाई हुई रालोसपा को बेच डाला। नीतीश कुमार के शासन से मुक्ति के लिए 3 मार्च 2013 को पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का निर्माण मेरे जैसे हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने तन मन धन, खून पसीना लगाकर किया था। ताकि बिहार में एक स्वच्छ , बिहार में विकास करने वाली, भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन की सरकार दी जाए। सवाल के लहजे में कहा कि आखिर जिसे सरकार के खिलाफ उन्होंने लगातार आंदोलन चलाया उन्हीं के साथ पार्टी का विलय करना आखिर कितना उचित है ? क्या बिहार में शिक्षा सुधार हो गया? स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, सहित इनके द्वारा प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय का निर्माण हो गया ? बिल्कुल नहीं!