कौआकोल प्रखंड परिसर से अधिकारी ने कटवा ली लाखों रुपये मूल्य की लकड़ी, 36 घंटे बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
वन विभाग की टीम ने जोगाचक गांव से काफी मात्रा में बेशकीमती शीशम की लकड़ी का बोटा जब्त किया है। जिसकी कीमत दो लाख रुपये से अधिक आंकी जा रही है। यह लकड़ी प्रखंड परिसर से एक अधिकारी द्वारा कटवाकर निजी उपयोग के लिए आरा मशीन पर भेजा गया था।
कौआकोल (नवादा), संवाद सूत्र। वन विभाग की टीम ने सोमवार की दोपहर गुप्त सूचना पर जोगाचक गांव से काफी मात्रा में बेशकीमती शीशम की लकड़ी का बोटा जब्त किया है। जिसकी कीमत दो लाख रुपये से अधिक आंकी जा रही है। उक्त लकड़ी को प्रखंड परिसर से एक अधिकारी द्वारा कटवाकर निजी उपयोग के लिए आरा मशीन पर भेजा गया था। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने उक्त स्थल पर पहुंचकर लकड़ी जब्त कर ली। हालांकि, वन विभाग द्वारा इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी है। लकड़ी जब्ती मामले में 36 घंटे से अधिक समय बीत गया है। चर्चा है कि वन विभाग उक्त अधिकारी को बचाने में लगा है।
पूछने पर मिल रहा गोल मटोल जवाब
लोगों का कहना है कि वन विभाग दोषी अधिकारी को बचाने का काम कर रही है। अधिकारी द्वारा रविवार की रात्रि में ही पेड़ कटवाकर आरा मशीन तक पहुंचा दिया गया था। दिलचस्प ये कि वन विभाग की कार्रवाई के पूर्व ही आरा मशीन को संचालक हटा चुके थे। लकड़ी को जब्त कर वन विभाग सिर्फ खानापूर्ति की है। इस संबंध में वन विभाग के अधिकारी भी पूछने पर गोलमटोल जवाब दे रहे हैं।
डीएफओ भी जवाब देने से बचते रहे
रेंजर मानवेन्द्र नाथ चौधरी ने कहा कि बरामद लकड़ी किसकी है और कहां से काटी गई है, इसकी जांच की जा रही है। जांचोपरांत कार्रवाई की जाएगी। वहीं डीएफओ अवधेश कुमार ओझा से जब लकड़ी के बारे में पूछा गया तो उन्हाेंने कहा कि इस मामले में विस्तृत जानकारी रेंजर ही दे सकेंगे।
इधर, जानकार बताते हैं कि जब्त लकड़ी कौआकोल प्रखंड परिसर से ही काटी गई है। पूर्व के बीडीओ ने इस परिसर में सूख चुके पेड़ों की नीलामी के लिए वन विभाग को पत्राचार भी किया था। बहरहाल, मामला क्या है सही जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।