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जर्जर भवन में निगम कार्यालय, भयभीत होकर काम कर रहे कर्मी

आपने कहावत सुनी होगी कि चिराग तले अंधेरा। शहर में जर्जर मकानों को नोटिस देकर गिराने वाले नगर निगम का अपना ही भवन खस्ताहाल है। यहां कार्यरत कर्मी हमेशा डरे सहमे रहते हैं। भवन की छत कई जगहों पर टूट कर गिर पड़ी है तो कई स्थानों पर गिरने के कगार पर है। समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी भवन भराभरा कर गिर सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 02:26 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 02:26 AM (IST)
जर्जर भवन में निगम कार्यालय, भयभीत होकर काम कर रहे कर्मी
जर्जर भवन में निगम कार्यालय, भयभीत होकर काम कर रहे कर्मी

गया । आपने कहावत सुनी होगी कि चिराग तले अंधेरा। शहर में जर्जर मकानों को नोटिस देकर गिराने वाले नगर निगम का अपना ही भवन खस्ताहाल है। यहां कार्यरत कर्मी हमेशा डरे सहमे रहते हैं। भवन की छत कई जगहों पर टूट कर गिर पड़ी है तो कई स्थानों पर गिरने के कगार पर है। समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी भवन भराभरा कर गिर सकता है। हालांकि, नगर आयुक्त जल्द ही जर्जर भवन को नया रूप देने का दावा कर रहे हैं।

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भवन का निर्माण नगर पालिका कार्यालय के स्थापनाकाल में ही हुआ था। नगर पालिका की स्थापना तीन मार्च 1864 में हुई थी। 16 नवंबर 1982 में नगर निगम की स्थापना हुई। ऐसे में इस भवन का खस्ताहाल होना स्वाभाविक है। स्थिति ऐसी है कि बारिश का पानी कई कार्यालयों में घुस जाता है। खिड़कियां सिर्फ नाम की रह गई हैं।

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इन शाखाओं की

स्थिति ज्यादा खराब

नगर निगम में सबसे खराब स्थिति मार्केट शाखा, सिटी मैनेजर का कार्यालय, रिक्शा शाखा, विधि शाखा, नक्शा शाखा, राजस्व शाखा एवं जल पर्षद शाखा की है। उक्त कार्यालय पूरी तरह से जर्जर है। फर्श से लेकर छत तक जर्जर। किसी तरह कर्मचारी और अधिकारी कार्य कर रहे हैं। जल पर्षद शाखा में कार्यरत कर्मी कहते हैं, कार्यालय जर्जर रहने के कारण हमेशा भय बना रहता है। कभी भी छत गिर सकती है।

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स्वास्थ्य शाखा के आगे

रखी जाती हैं सब्जियां

दूसरों के स्वास्थ्य का ख्याल करने वाला नगर निगम की स्वास्थ्य शाखा खुद बीमार है। टाउन हॉल के जर्जर एक कमरे में स्वास्थ्य शाखा चल रही है। कमरे में चूहों की भरमार है। शाखा के आगे प्रत्येक दिन सैकड़ों की संख्या में सब्जियों की टोकरियां रखी जाती हैं। इन विक्रेताओं पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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राशि जारी होने पर नहीं हुआ निर्माण

नगर निगम परिसर में अशोक सम्राट भवन के निर्माण के लिए सरकार ने एक करोड़ रुपये की राशि 2015 में ही आवंटन कर रखा है। जमीन के अभाव में आज तक भवन नहीं बना। क्योंकि जिन स्थानों पर भवन बनना है वहां अवैध रूप से दो दर्जन झोपड़ियां बनी हैं। झोपड़ियों को हटाने लिए काफी प्रयास किए गए, जिसके बाद भी नहीं हटीं।

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जर्जर भवन में चल रहे कार्यालयों के बारे हमें पूरी जानकारी है। कार्य संभाले कुछ ही दिन हुए हैं। फिर भी अशोक सम्राट भवन बनाने का कार्य किया जाएगा। नगर निगम परिसर में स्थिति झोपड़ियों को हटाकर शहर के दूसरे स्थानों पर पुनर्वास किया जाएगा। इसके लिए नोटिस जारी किया गया है। वहीं, जर्जर भवन तोड़कर नई इमारत जल्द ही बनाई जाएगी।

सावन कुमार, नगर आयुक्त

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