अब गांव की 'मुनिया' और 'गुड़िया' बन गई हैं हाईटेक, ऐसे संवार रही हैं अपनी तकदीर, आप भी जानिए
प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र गांव की लड़कियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। वे चौखट से बाहर निकल कर डिजिटल दुनिया से कदमताल करने लगी हैं। गांव की कई लड़कियां कंप्यूटर की शिक्षा लेकर नौकरी कर रही हैं।
राम अवतार चौधरी, डेहरी ऑन सोन (रोहतास)। मुनिया शब्द सुनते ही गांव की भोली सी बिटिया का चेहरा सामने आता है। गुड़िया सरीखी, आंगन में चहकती, सकुचाती । पर अब मुनिया को शिक्षा के अवसर ने बदल दिया है। सरकारी योजनाओं का असर कहें या फिर अभिभावकों की मानसिकता में बदलाव अब मुनिया की दुनिया बदल रही है। वह चौखट से बाहर निकलकर डिजिटल दुनिया से कदमताल करने लगी है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास कार्यक्रम से बदल रही तस्वीर
अभिभावकों की माने तो प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र और कुशल युवा कार्यक्रम बेटियों के लिए वरदान बनकर सामने आया है। इन दोनों केंद्रों पर निश्शुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है। वही प्रखंड और गांव स्तर पर केंद्र के संचालन से ग्रामीण क्षेत्र की बच्चियों को कंप्यूटर शिक्षा काफी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। परिणाम है कि आज कई लड़कियां कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त कर स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ा चुकी हैं। इसमें से कई ने सरकारी नौकरी भी पा ली है तो कुछ ने व्यवसाय के रूप में इसे अपना लिया है। सहायक निदेशक नियोजन अंकित राज ने बताया कि जिले की 13811 छात्राएं व 14804 छात्र एवं दो ट्रांसजेंडर को प्रशिक्षित किया गया है। इनमें से अधिकतर लड़कियां ग्रामीण क्षेत्र की हैं।
डाटा एंट्री ऑपरेटर बनीं कंचन
डेहरी प्रखंड के मानिकपुर की रहने वाली कंचन कुमारी ट्रेनिंग लेकर दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक शाखा बस्तीपुर में सीएसपी केंद्र चला रही है। वहीं डेहरी प्रखंड की दरीहट पंचायत भवन पर दरीहट की ही रहने वाली सोनी शिप्रा कंप्यूटर शिक्षा के बूते काम कर रही हैं। इसी तरह डेहरी स्टेशन रोड की रहने वाली रजनी कुमारी कार्यपालक सहायक के रूप में डेहरी प्रखंड कार्यालय पर कार्य कर रहीं हैं।
सरकार की पहल अब दिखाने लगी रंग
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो सुअरा मोड़ के समीप प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र के प्रबंधक विकास कुमार सिंह ने बताया कि बेरोजगार युवक-युवतियों को हुनरमंद करने के उद्देश्य से जिले के सभी प्रखंडों में स्थापित कौशल विकास केंद्र अब रंग दिखाने लगा है। कभी ग्रामीण क्षेत्रों में चौका बर्तन तक सिमटने वाली बेटियों के लिए कौशल विकास केंद्र वरदान साबित हुआ। आधुनिकता के दौर में बेटों की अपेक्षा बेटियां सफलता पूर्वक कामयाबी हासिल कर ऊंचाई छू रही हैं। आज भी हमारे यहां केंद्र की सुनीता कुमारी, गिपतू कुमारी, ईशु कुमारी, नीलू कुमारी, सीमा कुमारी, रानी कुमारी, पार्वती कुमारी, प्रतिमा कुमारी, तेतर कुमारी, पूजा कुमारी सहित अन्य लड़कियां ट्रेनिंग ले रही है। डेहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ के पूर्व अध्यक्ष उमा शंकर पांडे उर्फ मुटुर पांडे का कहना है कि बदलते परिवेश में कंप्यूटर शिक्षा के बिना सब कुछ अधूरा है। यहां की लड़कियां कम्प्यूटर के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर हर क्षेत्र में लड़कों से भी अच्छा कार्य कर रही हैं जो काबिले तारीफ है।
महिला कंप्यूटर ऑपरेटरों की बढ़ी मांग
गुरूकुल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सुजानपुर के सीईओ कुमार सविनय ने बताया कि कारपोरेट सेक्टर में महिला कंप्यूटर ऑपरेटरों की बढ़ती मांग की वजह से कंप्यूटर संस्थानों में खासकर ग्रामीण परिवेश से आने वाली छात्राओं की संख्या में इजाफा हुआ है। कंप्यूटर प्रशिक्षित छात्राओं के लिए रोजगार प्राप्त करना आसान होता है।