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अब अक्षर पहचानने लगीं नक्सल क्षेत्र की बालिकाएं

गया जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की तस्वीर अब बदलने लगी हैं। भटके किशोर अब मुख्यधारा में लौटकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। चंदौती के विनोबा नगर आवासीय विद्यालय इनके लिए वरदान साबित हुआ। यहां काफी संख्या में बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रहीं। मुख्यधारा से भटके तमाम परिवारों की मुखिया भी अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 02:13 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 02:13 AM (IST)
अब अक्षर पहचानने लगीं नक्सल क्षेत्र की बालिकाएं
अब अक्षर पहचानने लगीं नक्सल क्षेत्र की बालिकाएं

विश्वनाथ प्रसाद, मानपुर

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गया जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की तस्वीर अब बदलने लगी हैं। भटके किशोर अब मुख्यधारा में लौटकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। चंदौती के विनोबा नगर आवासीय विद्यालय इनके लिए वरदान साबित हुआ। यहां काफी संख्या में बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रहीं। मुख्यधारा से भटके तमाम परिवारों की मुखिया भी अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने लगे हैं।

कल्याण विभाग द्वारा चंदौती प्रखंड के विनोबा नगर में 20 साल पूर्व अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू विद्यालय खोला गया था। वहां 280 बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रावधान बनाया गया। इसके लिए सरकार द्वारा पर्याप्त राशि भी दी जाती। यहां 70 किमी दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज, डुमरिया, बांके बाजार, आमस, बाराचट्टी, गुरुआ से दो दर्जन से अधिक बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। हालांकि, विषयवार शिक्षक नहीं होने से गणित और विज्ञान की पढ़ाई यहां नहीं होती।

नक्सली बाल दस्ते में आई कमी : नक्सलियों के मांद में सैकड़ों गांव बसे हैं। यहां चौबीस घंटे नक्सलियों का जमावड़ा लगा रहता। वे नन्हे मुन्ने बच्चों को अपने प्रभाव में लाकर बालदस्ता बना लेते थे। जबसे अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू विद्यालय खुला है, तबसे बालिकाओं का झुकाव पढ़ाई की ओर होने लगा है। अब नक्सली बाल दस्ते में बालिकाओं की संख्या में कमी आने लगी।

बीस साल बाद भी नहीं बना भवन : विद्यालय को बीस साल बाद भी भवन नसीब नहीं हुआ। मजबूरन यहां शिक्षा ग्रहण करने वाली बालिकाओं को काफी कष्ट झेलना पड़ता। एक कमरे में लगी चौकी पर पढ़ना, खाना और सोना पड़ रहा है।

खेल से वंचित हो रहीं बालिकाएं : पठन-पाठन के साथ खेल खेलना भी बेहद जरूरी है। निजी भवन में चल रहे आवासीय विद्यालय में जगह के अभाव में बालिकाएं खेल खेलने से वंचित हैं। बालिकाएं कहती हैं, विद्यालय में कल्याण विभाग एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी कई बार पहुंचे। उन्हें शिक्षक और भवन की समस्या से अवगत कराया गया। बावजूद इसके आज तक ध्यान नहीं दिया गया।

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विद्यालय में 280 बालिकाओं को पढ़ाने के लिए 17 शिक्षकों का यूनिट बनाया गया। इनमें से मात्र 4 शिक्षक ही हैं। ऐसी स्थित में विषयवार बालिकाओं का पढ़ाना संभव नहीं होता। विद्यालय भवन के अभाव में बालिकाओं को रहने एवं पढ़ाई करने में परेशानी हो रही हैं। कई बार संबंधित अधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया गया पर शिक्षक और भवन की व्यवस्था नहीं हुई।

उदयनारायण सिंह, प्रधानाध्यापक


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