बिहार में आतंकी तौसीफ पर कसा शिकंजा: महाबोधि मंदिर व नरेंद्र मोदी की रैली को बनाया था निशाना
अहमदाबाद ब्लास्ट का आरोपित आतंकवादी तौसीफ बिहार के गया से गिरफ्तार किया गया था। गया की घटनाओं को ले चल रहे मुकदमे में अदालत में उसके खिलाफ आरोप गठित कर दिया गया है।
गया, जेएनएन। साल 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट (Ahmedabad Serial Blast) के मुख्य आरोपित आतंकी पठान तौसीफ खां (Pathan Tausif Khan) के संबंध चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। उसका कनेक्शन पटना में 27 अक्टूबर 2013 को नरेंद्र मोदी की रैली के स्थल व पटना जंक्शन पर हुए सीरियल ब्लास्ट (Narendra Modi) Rally and Patna Junction Serial Blasts) तथा गया के महाबोधि मंदिर ब्लास्ट (Mahabodhi Temple Blast) से भी जुडें पाए गए हैं। वह 2008 से बिहार के गया में रहते हुए आतंकी संगठनों (Terrorist Organizations) से युवाओं को गुमराह कर जोड़ता था तथा उन्हें खुफिया इनपुट भेजता था।
वर्ष 2017 में गया से गिरफ्तारी के बाद तौसीफ व उसके दो सहयोगियों के खिलाफ कानून का शिकंजा कस गया है। कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप गठित कर दिया है। अब 23 मार्च से मुकदमे की सुनवाई शुरू होने जा रही है।
गया से किया गा गिरफ्तार, अभी गुजरात की जेल में बंद
विदित हो कि आतंकी पठान तौसीफ खां को गया पुलिस ने एक साइबर कैफे के संचालक की सूचना पर राजेंद्र आश्रम के नजदीक से पकड़ा था। वह उक्त साइबर कैफे से इंटरनेट सर्फिंग करके निकला था। उससे मिले इनपुट के बाद एटीएस बिहार, रॉ, आर्मी इंटेलिजेंस, एनआइए, एटीएस दिल्ली व पश्चिम बंगाल पुलिस कई सुरक्षा एजेंसियों ने लंबी पूछताछ और जांच की थी। फिलहाल, वह गुजरात के अहमदाबाद स्थित साबरमती जेल में बंद है।
पूछताछ में मिला दो सहयोगियों के सुराग, गिरफ्तार
तौसीफ को पकड़े जाने के बाद जांच एजेंसियों ने उसके दो सहयोगियों सन्ना खां उर्फ शहंशाह व गुलाम सरवर खां को भी गया के डोभी थाना क्षेत्र के सहादेव खाप से गिरफ्तार किया था। वे दोनों डोभी के करमौनी के रहने वाले हैं। तौसीफ की गुलाम सरवर से मुलाकात अहमदाबाद के स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के कार्यालय में हुई थी। सरवर डोभी थाना क्षेत्र के करमौनी का रहने वाला है।
ठिकाना बदल आतंकियों को देता था खुफिया जानकारी
अहमदाबाद का मूल निवासी तौसीफ गया में प्रवास के दौरान भी कई ठिकाने बदलता रहा था। वह गया में 2008 से ही अतीक के नाम से रह रहा था। पुलिस को भनक लगी तो उसने ठिकाना बदल लिया और तौसीफ के नाम से डोभी में रहने लगा। वह प्रतिबंधित संगठन सिमी के मॉड्यूल पर काम कर रहा था। उसने गया में रहकर बिहार समेत पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, गुजरात व दिल्ली सहित कई प्रदेशों में अपना नेटवर्क फैलाया था।
अलग-अलग साइबर कैफे में जाकर उन प्रदेशों में अपने आकाओं को संदेश भेजता था। उन्हीं के निर्देश पर आतंकी घटनाएं होती थीं। उसके तार जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों से भी जुड़े थे। वह युवाओं को जोड़कर वहां भेजता था।
गिरफ्तारी से पहले रची थी गया में बड़ी घटना की साजिश
गिरफ्तारी से पहले वह गया व बोधगया में बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी की थी। यह जानकारी उससे बरामद लैपटॉप व पेन ड्राइव से हुई थी। जांच में यह उजागर हुआ कि उसके तार भारत ही नहीं, पाकिस्तान से भी जुड़े थे। उसके पास से पाकिस्तानी लेखक हाफिज खलील अहमद के नाम का आलेख मिला था, जो जेहाद पर केंद्रित था।
युवाओं में पैठ बनाने को बना शिक्षक, लड़कियां थी टारगेट
एक उच्चपदस्थ पुलिस अधिकारी की मानें तो अहमदाबाद में बम विस्फोट के बाद तौसीफ ने गया को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाते हुए यहां के युवाओं में पैठ बनाने के लिए शिक्षक का चोला ओढ़ा था, ताकि उसकी पहचान न उजागर हो और उसका काम भी आसान हो जाए। इसके लिए उसने बोधगया के मुमताज हाईस्कूल में शिक्षक की नौकरी की। नौकरी मिलने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर युवतियों को अपना शिकार बनाने लगा। उन्हें आर्थिक सहायता देकर अपने मोहपाश में बांधता था। धीरे-धीरे बड़ी संख्या में युवतियां उससे जुड़ती गईं थीं। उससे जुड़े युवक-युवतियों में अधिकांश ग्रामीण पृष्ठभूमि के थे, जिनकी पूरी सूची पुलिस को मिली थी।
अहमदाबाद ब्लास्ट में ली 57 की जान, पटना में निशाने पर थे मोदी
तौसीफ की साजिश से हुए अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट में 57 लोगों की जान गई थी और करीब 200 लोग घायल हुए थे। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री (CM) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) थे। बाद में जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बने तो उसने 2013 में उनकी चुनावी रैली के दौरान भी रैली स्थल को निशाना बनाया। उस वक्त तौसीफ गया में ही था। ठीक इसके पहले महाबोधि मंदिर में भी बम ब्लास्ट हुआ था। महाबोधि मंदिर ब्लास्ट से भी तौसीफ का कनेक्शन उजागर हुआ था। फिलहाल, इसकी जांच बिहार एटीएस से एनआइए को ट्रांसफर हो चुकी है।