स्थापना काल से इस स्कूल में पानी की व्यवस्था नहीं
बदहाल शिक्षा का लोगो -आंजन मवि का हाल प्यास लगने पर पढ़ाई छोड़ विद्यालय के
बदहाल शिक्षा का लोगो
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-आंजन मवि का हाल, प्यास लगने पर पढ़ाई छोड़ विद्यालय के बाहर गाव के चापाकल पर जाते हैं पानी पीने
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चिंताजनक
-शौच के लिए भी बाहर जाना विद्यार्थियों की मजबूरी
-परिसर में पत्थरों के टीले होने से खेल नहीं पाते बच्चे
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-1993 में हुई थी विद्यालय की स्थापना
-168 विद्यार्थी विद्यालय में नामाकित
-05 शिक्षक नियुक्त, आठ कमरे बने हैं
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संवाद सूत्र, बाकेबाजार : गया । प्रखंड के परसावा पंचायत अंतर्गत आंजन मध्य विद्यालय के विद्यार्थी पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। स्थापना काल से इस स्कूल में चापाकल नहीं है। प्यास लगती है तो बच्चे पढ़ाई छोड़कर विद्यालय के बाहर गाव में लगे चापाकल से पानी पीने जाते हैं। प्रखंड कार्यालय और पीएचईडी विभाग को आवेदन देकर कई बार गुहार लगाई गई। बावजूद इसे समस्या का समाधान नहीं हुआ।
प्रभारी प्रधानाध्यापक के अनुसार, विद्यालय की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी। स्थापना के समय एक हाथी चापाकल लगाया गया था। दो वर्षो के बाद ही खराब हो गया था। उसी समय से स्कूल में पानी की किल्लत है।
वर्ष 2010 में विद्यालय के नए भवन निर्माण के समय प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा निजी राशि से एक चापाकल लगाया गया था। एक माह के अंदर ही चापाकल का बोरिंग धंस गया और पानी बंद हो गया। तब से आज तक बच्चे विद्यालय के बाहर जाकर गांव में लगे चापाकल से पानी पीते हैं ।
विद्यालय में कुल नामाकित 168 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक नियुक्त हैं। शिक्षक तो प्यास बुझाने के लिए घर से पानी लेकर आते हैं। विद्यालय आठ कमरे बने हैं। विद्यालय परिसर में सिर्फ छात्राओं के लिए शौचालय है। छात्र शौच के लिए बाहर जाते हैं।
आश्चर्यजनकहै कि परसावा पंचायत 28 दिसंबर 2019 को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है, लेकिन खुले में शौच करने जा रहे विद्यार्थियों पर न जनप्रतिनिधियों का ध्यान गया और न ही बीडीओ का। विद्यालय परिसर में ही कई बड़े-बड़े पत्थर होने से विद्यार्थियों को खेलने में परेशानी हो रही है।
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विद्यालय में पढ़ाई अच्छी होती है, लेकिन पानी एवं शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है।
नीतीश कुमार, छात्र, आठवीं
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जब इस विद्यालय में नाम लिखाया है चापाकल नहीं है। बाहर जाकर पानी पीते हैं।
पूजा कुमारी, छात्रा, छठी
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खाना अच्छा मिलता है। पढ़ाई भी होती है, लेकिन पानी के लिए विद्यालय में चापाकल नहीं है।
रॉकी कुमार, छात्र, सातवीं
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स्कूल में चापाकल नहीं होने से परेशानी होती है। परिसर में पत्थर होने से खेलने में परेशानी होती है।
निशा कुमारी, छात्रा, सातवीं
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विद्यालय की स्थापना काल से पानी की समस्या बनी हुई है। प्रखंड कार्यालय एवं पीएचइडी विभाग में भी आवेदन दिया गया, लेकिन करवाई नहीं हुई। विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षकों को भी समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। मध्याह्न भोजन भी बनाने के लिए बाहर के चापाकल से या गाव से पानी लाना पड़ता है।
राज किशोर प्रसाद, प्रभारी प्रधानाध्यापक ------------