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अब परदेस की नौकरी नहीं, खुद ही बनेंगे मालिक, सरकार ने दिया प्रोत्‍साहन तो उद्यमी बनने की आई ललक

अब परदेस की चाकरी छोड़ अपने गृह नगर में ही तकदीर संवारने में कई युवा लगे हैं। सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन ने इन्हें उद्यमी बनने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। कोई रेडीमेड व्यवसाय तो कोई गैबेलियन बनाने का कार्य शुरू कर अन्य को भी रोजगार दे रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 11:03 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 11:03 AM (IST)
अब परदेस की नौकरी नहीं, खुद ही बनेंगे मालिक, सरकार ने दिया प्रोत्‍साहन तो उद्यमी बनने की आई ललक
उद्यमी योजना के तहत रेडीमेड वस्त्र तैयार करते कारीगर। जागरण।

जागरण संवाददाता, सासाराम। अब परदेस की चाकरी छोड़ अपने गृह नगर में ही तकदीर संवारने में कई युवा लगे हैं। सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन ने इन्हें उद्यमी बनने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। कोई रेडीमेड व्यवसाय तो कोई गैबेलियन बनाने का कार्य शुरू कर अन्य को भी रोजगार दे रहा है।

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मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति व अनुसूचित अति पिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना से जुड़ यहां के युवा स्वयं का व्यवसाय शुरू करने लगे हैं। लॉकडाउन के बाद हताश नौकरीपेशा युवा सरकारी योजनाओं की मदद से न सिर्फ अपनी किस्मत संवार रहे हैं बल्कि अपने साथ -साथ अन्य लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। तिलौथू प्रखंड के राजी रामडिहरा निवासी ऋषि कुमार ने इस योजना के तहत ऋण ले जिला मुख्यालय में अपनी टेक्सटाइल कंपनी की शुरुआत की है।

ऋषि बताते हैं की लॉकडाउन से पूर्व वो लखनऊ के एक निजी गारमेंट कंपनी में बतौर प्रमोटर काम करते थे। जब लॉकडाउन के समय इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए ऑनलाईन आवेदन किया था वह स्वीकृत हो गया। ऋण की पहली क़िस्त प्राप्त होते ही उन्होंने टेक्सटाइल कंपनी की आधारशिला रखी।अपने कारखाने में ऋषि रेडीमेड शर्ट,  पैंट आदि तैयार करा स्थानीय बाजार में स्थित दुकानों को बेचते हैं। क्वालिटी बेहतर रखने के कारण इन्हें बाजार भी मिला। इनके इस कारखाने में वर्तमान में इनके अलावा कुल सात लोग काम करते हैं। ऋषि के मुताबिक अभी शुरुआत  होने की वजह से अभी कम उत्पाद ही निकालते है जो लगभग सौ से डेढ़ सौ के मुनाफे पर ही बाजार को उपलब्ध कराते हैं।

इसी प्रकार एक अन्य युवा उद्यमी वीरेंद्र कुमार ने इस योजना से ऋण लेकर अगरबत्ती बनाने की यूनिट की शुरुआत की है। जहां पर लगभग एक दर्जन लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है। फैक्ट्री की शुरुआत करने से पहले वीरेंद्र भी एक निजी क्लिनिक में कम्पाउंडर का कार्य करते थे। इसी तरह जिले में कुल 395 लाभार्थी वर्तमान वित्तीय वर्ष में चयनित किए गए हैं। स्थानीय दुकानदार भी मानते हैं की अगर इस प्रकार की फैक्ट्रियां अपने यहां शुरू होती हैं तो आए दिन माल खरीदने के लिए बाहर के राज्यों में स्थित  मंडियों में नहीं भटकना पड़ेगा। इससे समय के साथ साथ ट्रांसपोर्टेशन  खर्च भी बचेगा।

क्या है योजना

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति व अनुसूचित अतिपिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना के तहत  चयनित लाभार्थियों को सरकार द्वारा 10 लाख का ऋण दिया जाता है। जिसमें पांच लाख रुपये का अनुदान तथा शेष पांच लाख रूपया ब्याज रहित होता है जो 84 किस्तों में भुगतान करना होता है। जिले में गत दो वर्षों में  मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति योजना के तहत प्रस्तावित लक्ष्य 153 के विरुद्ध  338 लाभार्थियों का सरकार द्वारा चयन किया गया है। वहीं मुख्यमंत्री अतिपिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना के तहत वित्तीय वर्ष 20-21 में प्रस्तावित लक्ष्य 57 में से 57 लाभार्थियों का चयन कर ऋण उपलब्ध कराया गया है।

कहते हैं अधिकारी

जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय कुमार सिन्‍हा ने कहा कि उद्योग व सेवा क्षेत्र में लोगों के बढ़ते लगाव आर्थिक विकास के लिए शुभ संकेत है। इससे स्वरोजगार के साथ साथ उससे जुड़ने वाले अन्य लोगों को भी रोजगार प्राप्त हो रहा है। जिससे भविष्य में पलायन में कमी आएगी। सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन पूरी तरह किया जता है। समय समय पर  सम्बंधित प्रतिष्ठानों का नियमित निरिक्षण भी किया जाता है।


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