Move to Jagran APP

कभी दाने-दाने को मोहताज, आज मशरूम की खेती से मालामाल

फोटो -------- लोगो गरीबी उन्मूलन -बाराचट्टी के सरमा के जीविका के सहयोग से 50 हजार रुपये प्रति महीने कर रहे आमदनी -क्षेत्र के 60 किसानों को भी खेती के सिखा चुके हैं गुर सभी आर्थिक रूप से हुए सबल -------- -20 दिन बाद तैयार होकर दस दिन तक निकलता है तैयार मशरूम -200 सौ रुपये प्रति किलो ग्रामीण ही खरीद रहे ------

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 07:06 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 07:06 PM (IST)
कभी दाने-दाने को मोहताज, आज मशरूम की खेती से मालामाल
कभी दाने-दाने को मोहताज, आज मशरूम की खेती से मालामाल

अमित कुमार सिंह, बाराचट्टी

prime article banner

मशरूम की खेती ने गरीबों और बेरोजगारी की मार झेल रहे गया जिले बाराचट्टी के किसान मनोज कुमार की जिंदगी बदल दी। इनके प्रयास से नक्सली क्षेत्र के दर्जनों हाथ रोजगार परक बन गए। मनोज ने खुद प्रतिमाह 50 हजार से ज्यादा की कमाई करने के साथ प्रशिक्षण देकर क्षेत्र के अन्य किसानों को भी आर्थिक रूप से सबल बना दिया। वह क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणाश्रोत बने हैं। अब तक 60 से अधिक किसानों को मशरूम की खेती का गुर सिखा चुके हैं। अब उन किसानों से मशरूम खरीद कर उसे थोक में बेचते हैं।

मनोज ने प्रखंड के बाराडीह, धानाचक, तिवारीचक सरमा बाजार के किसानों को मशरूम के दो हजार बीज किट देकर घरों में ही खेती करा रहे हैं। वह कहते हैं, जिन किसानों के पास भूमि है वे भी जानकारी के अभाव मे खेतों से ज्यादा पैदावार कर दो पैसे की अच्छी आमदनी नहीं कर पाते हैं। आज हमारे गाव या क्षेत्र में जिनके पास भूमि नहीं हैं, वे खुद को किसान नहीं मानते। परंतु मशरूम की खेती के लिए भूमि का होना जरूरी नहीं है। वे अपने घर के एक कमरे मे भी मशरूम की पैदावार कर सकते हैं।

-----------

स्वच्छ और सफाई की खेती

ग्रेजुएट मनोज बताते हैं, साफ-सफाई में ही मशरूम की खेती होती है। यह लोगों को स्वच्छता के प्रति भी जागरूक करती है। जिस कमरे या हॉल में खेती होती है वहा जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाना पड़ता है। बिना हाथ धोए इसे छू भी नहीं सकते।

-------------

जीविका से सहयोग

मशरूम की खेती के लिए बीज कीट तैयार करने में जीविका से तकनीकी सहयोग प्राण संस्था गया के पदाधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों से मिला। मनोज कहते हैं, फिलहाल मशरूम गाव व आसपास के बाजारों में दो सौ रुपये प्रति किलो ग्रामीण ही खरीद रहे हैं।

-----------

खेती में चार गुना मुनाफा

मनोज बताते हैं, इसकी खेती में किसानों को ज्यादा परेशानी और तनाव नहीं है। बीज किट खराब हुआ तो उसे हम वापस कर लेते और दूसरा किट दे देते हैं। वहीं, खेती होने के बाद तैयार मशरूम की कीमत होने के बाद पूंजी के चार गुना मुनाफा कमा सकते हैं।

-----------

12/10 फीट के कमरे से प्रति

माह कमा रहे 18 हजार रुपये

12 फीट लंबा और 10 फीट चौड़े कमरे में पदुमचक गाव के किसान बिनोद कुमार और जन्नु प्रसाद डेढ़-डेढ़ क्विंटल मशरूम उपजा महीने के 18-18 हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं। बिनोद बताते हैं, हमारे पास जमीन नहीं है सिर्फ घर है। मनोज के कहने पर हमने अपने घर पर इसकी खेती शुरू की। इसमें ज्यादा मेहनत भी नहीं है। सफाई पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। हमलोग खुशी से बिना बाहर गए दो पैसे की अच्छी आमदनी कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.