चीवर की महत्ता को दागदार कर रहे नव बौद्ध भिक्षु
-भिक्षुओं के आचरण के विपरीत कार्य करने पर चीवर की महत्ता पर उठते हैं सवाल -पिछले रविवार को वर्षावास काल समाप्त होने पर महाबोधि मंदिर परिसर में भिड़ गए थे दो बौद्ध भिक्षु -------------- जागरण संवाददाता बोधगया
गया । बोधगया का ख्यात पर्यटन मौसम शुरू हो गया है। इस दौरान विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में पवित्र बोधिवृक्ष की छांव तले बौद्ध धर्म के विभिन्न पंथ का धार्मिक अनुष्ठान होता है। इसमें शामिल होने के लिए काफी संख्या में देशी-विदेशी बौद्ध श्रद्धालु बोधगया आते हैं। जो गेरूआ रंग के वस्त्र (चीवर) धारण किए बौद्ध भिक्षुओं के समक्ष नतमस्तक रहते हैं। वस्तुत: बौद्ध धर्म में चीवर का काफी महत्व है। इसे धारण करने वाले भगवान बुद्ध के संदेशों व उपदेशों का अनुपालन भिक्षु जीवन का चर्या कर करते हैं। लेकिन देशी-विदेशी बौद्ध अनुयायियों के सामने जब चीवर धारण करने वाले भिक्षुओं के आचरण के विपरीत कोई कार्य करते हैं तो इससे चीवर की महत्ता पर सवाल उठने लगते हैं।
पिछले रविवार को वर्षावास काल समाप्त होने पर महाबोधि मंदिर में पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में पवरना पूजा का आयोजन किया गया था। इस पूजा में बोधगया स्थित विभिन्न बौद्ध मोनास्ट्री के भिक्षुओं सहित देशी-विदेशी बौद्ध अनुयायी भी शामिल थे। उसी दौरान दो नव बौद्ध भिक्षु दान की राशि को लेकर आपस में भीड़ गए। दोनों की भिड़त भी अजीब थी। जिसे देख सभी हतप्रभ थे। बहरहाल बाद में इस संबंध में महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के भिक्षु प्रभारी भंते चालिंदा द्वारा थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई।
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पर्यटन मौसम में बढ़ जाती है संख्या
बोधगया का पर्यटन मौसम शुरू होते ही चीवरधारियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है। ये सभी नव बौद्ध होते हैं, जिन्हें बौद्ध धर्म का पूर्णतया ज्ञान नहीं होता और ना ही ये पंचशील जानते हैं। जिसका अनुपालन कर सकें। ये किसी वरीय बौद्ध भिक्षु से श्रामणेर के लिए दीक्षित भी नहीं होते हैं और ना ही ये किसी बौद्ध मोनास्ट्री में रहते हैं।
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धन उपार्जन होता है उद्देश्य
चीवरधारण करने वाले नव बौद्धों का एकमात्र उद्देश्य धन का उपार्जन करना होता है। इन दिनों में कार्तिक पूर्णिमा तक विभिन्न बौद्ध मोनास्ट्री में कठिन चीवरदान समारोह का आयोजन किया जाता है। चीवरदान समारोह में बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा भिक्षुओं को पहने वाले वस्त्र से लेकर दैनिक उपयोग की सामग्री और धन राशि दान दिया जाता है। ऐसे समारोह में बिन बुलाए मेहमान की भांति पहुंचकर हंगामा खड़ा कर देते हैं।
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बौद्ध भिक्षु के रूप में
नहीं होती कोई पहचान
चीवर तो धारण कर लेते हैं, लेकिन इनके पास बौद्ध भिक्षु होने का कोई पहचान नहीं होता। बौद्ध भिक्षुओं की पहचान के लिए मंदिर समिति या इंटरनेशनल बुद्धिष्ट काउंसिल स्तर से भी कोई व्यवस्था नहीं है। धड़ल्ले से सुरक्षा जांच के बाद महाबोधि मंदिर में घुस जाते हैं और मंदिर के गर्भगृह के बाहर या फिर पवित्र बोधिवृक्ष के इर्दगिर्द दान राशि प्राप्त करने के लिए मंडराते रहते हैं।
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गेरूआ वस्त्रधारी ने
किया था बम प्लांट
सात जुलाई 2013 को मंदिर परिसर में जगह-जगह पर गेरूआ वस्त्रधारी युवक ने ही बम प्लांट किया था। इसमें कुछ का विस्फोट हुआ था और कुछ निष्क्रिय किया गया था। इस बात का खुलासा सीसीटीवी फुटेज के आधार पर किया गया था और उसका स्केच भी सार्वजनिक किया गया था।
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पर्यटन मौसम में चीवरधारण करने वाले अधिकांश नव बौद्ध हैं। उन्हें बौद्ध धर्म और पंचशील का ज्ञान नहीं होता। कुछ माह के लिए चीवर धारण कर बोधगया आ जाते हैं। उसके बाद गायब हो जाते हैं। ऐसे नव बौद्धों पर मंदिर परिसर में विशेष निगरानी रखने की हिदायत डीएम सह समिति के अध्यक्ष द्वारा सुरक्षाकर्मियों को दिया गया है। ऐसे लोगों को चीवर कहां से और कौन मुहैया कराता है। इसकी जांच होनी चाहिए।
भंते चालिंदा
भिक्षु प्रभारी, बीटीएमसी, बोधगया