न सड़क और न पानी, यही है बंदरा ढुब्बा गाव की कहानी
-सरकार की नजर में राजस्व गाव पर ग्रामीणों का हाल बेहाल खाट पर लाद मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मजबूरी -------- विकास की दरकार -गांव में एक-दो मकान ही पक्के नाली गली का नामोनिशान नहीं -बचों को स्कूल जाने के लिए 2.5 किमी करना पड़ता पैदल सफर ----------- -10 किलोमीटर दूरी है प्रखंड मुख्यालय से गाव की -1200 की अबादी वाले इस गांव में सुविधाएं नहीं -2016 -17 में पीएम आवास योजना में नाम नहीं ---------- संवाद सूत्र फ तेहपुर
गया । भारत का ग्रामीण जीवन, सादगी और शोभा का भंडार है। कठोर परिश्रम, सरल स्वभाव और उदार ह्रदय ग्रामीण जीवन की प्रमुख विशेषताएं हैं। ऐसे में गांव के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। थोड़ी सी सफाई या कुछ सुविधाएं प्रदान कर देने मात्र से गावों का उद्धार होना बहुत मुश्किल है। बदलते वक्त के साथ अगर भारतीय गावों पर ध्यान नहीं दिया गया तो इनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
आज हम बात कर रहे हैं फतेहपुर प्रखंड से 10 किलोमीटर दूर बंदरा ढुब्बा गाव की। आजादी के सात दशक बाद भी इस गांव में विकास की रोशनी नहीं पहुंची है। यहां मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। सरकार की नजर में राजस्व गाव है पर विकास को नामोनिशान नहीं है। गांव में एक-दो मकान ही पक्के हैं। गांव तक पहुंचने के लिए आज तक सड़क नहीं बनी। नाली गली नहीं होने से बरसात के दिनों में कीचड़युक्त सड़क पर लोगों को सफर करना पड़ता है। सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि दो पहिया वाहन चलना भी मुश्किल हो जाता है। बच्चों को स्कूल जाने के लिए 2.5 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है। बरसात के दिनों में नदी में पैमार नदी पर पुल नहीं रहने के कारण स्कूल जाने में समस्या होती है। कोई बीमार पड़ जाए तो खाट पर लाद कर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
सरकारी योजना के नाम पर महज एक आंगनबाड़ी केंद्र हैं। सिंचाई का साधन बरसाती पानी है। पैमार नदी से लोग सिंचाई करते हैं पर पानी की काफी कमी है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा भी बदहाल है।
1200 की अबादी वाले इस गांव में मात्र एक व्यक्ति झारखंड स्थिति बीसीसीएल में नौकरी करता है। इसके अलावा कुछ लोगों के पास कृषि ही मुख्य आय का साधन है। वहीं, वृहत पैमाने पर लोग भूमिहीन हैं। माझी समाज से आने वाले कई लोग झारखंड के कोडरमा जाकर मजदूरी करते हैं।
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सीएचसी की दूरी 10 किलोमीटर
स्वास्थ्य सेवा का लाभ लेने के लिए बंदरा गाव के लोगों को दस किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। फतेहपुर स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी गाव से दस किलोमीटर है। गाव से चार किलोमीटर दुर उप स्वास्थ्य केंद्र है, जो अकसर बंद ही रहता है।
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मात्र चार हैं स्नातक
गाव में शिक्षा का स्तर खराब है। यहां मात्र चार लोग ही स्नातक हैं। वहीं मैट्रिक छह लोग पास हैं।
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आगंनबाड़ी केंद्र में बच्चों
की उपस्थिति नाममात्र
आगंनबाड़ी केंद्र में बच्चों की उपस्थिति कम है। लोगों के बीच शिक्षा को लेकर जागरूकता नहीं रहने के कारण अपने बच्चों को केंद्र पर नहीं भेज पाते हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर केंद्र बंद रहता है। साथ ही पोषाहार का वितरण भी सही से नहीं किया जाता है।
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ग्रामीणों का दर्द
ग्रामीण ने बताया कि चुनाव के समय सासद, विधायक प्रतिनिधि आते हैं। उसके बाद तो उनका दर्शन दुर्लभ हो जाता है। स्थानीय प्रतिनिधियों का भी वही हाल है। बरसात के दिनों में हमलोग प्रखंड मुख्यालय से कट जाते है। पैमार नदी पर पुल बनाने के लिए कई बार गुहार लगा चुकेहैं, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीणों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है। अधिकाश ग्रामीण अभाव की जिंदगी जी रहे हैं। कई लोग आज भी प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं। वृद्धा पेंशन का भी वही हाल है। बिजली कब कट जाए, पता नहीं। वर्षो पहले मनरेगा से कच्ची सड़क का निर्माण किया गया था पर आज बदहाल है।
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पीएम आवास योजना से भी वंचित
गाव में घरों की बनावट देखकर लगता है लोग आज भी पुराने दिनों में जी रहे हैं। गाव में केंद्र की महत्वाकाक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास भी यहा प्रभावी नहीं है। सरकारी आंकड़े के अनुसार, 2016 -17 में एक भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सूचीबद्ध नहीं किया गया।
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नल-जल योजना फेल
नल-जल योजना धरातल पर पूरा नहीं हो सका है। गाव में अभी तक पानी टंकी नहीं बन सकी है। बोरिंग की गई पर उससे पानी की सप्लाई काफी कम मात्रा में हो पा रही है। गाव में सौ फीट पीसीसी सड़क का निर्माण किया गया है।
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गाव के विकास के लिए पैमार नदी पर पुल का निर्माण काफी जरूरी है। पुल नहीं रहने के कारण पुलिस प्रशासन भी गाव आने से कतराती है। पुल बनने के साथ ही हमारे गाव की कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
दिनेश यादव, ग्रामीण
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गाव में प्राथमिक स्कूल के निर्माण से कम से कम बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा मिल सकती है। दूर स्कूल रहने के कारण कई बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। गाव के विकास में सबसे बड़ी बाधा शिक्षा है।
मीना देवी, ग्रामीण
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रोजगार के साधन नहीं होने से कोडरमा जाकर मजदूरी करते हैं। इसके लिए प्रतिदिन सुबह चार बजे घर से जाना पड़ता है। वहीं, देर रात घर वापसी संभव हो पाती है। रोजगार की कोई व्यवस्था गाव के आसपास हो जाती तो काफी राहत मिलती।
जीतू माझी, ग्रामीण
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गाव काफी पिछड़ा है। कुछ काम किया गया है पर उससे गाव का विकास संभव नहीं हो पाया है। समस्या से प्रखंड के प्रशासनिक पदाधिकारी को अवगत कराया गया है। उनके द्वारा गाव के विकास के लिए आश्वासन दिया गया है।
बलदेव कुमार, वार्ड सचिव
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बंदरा गाव का कई बार दौरा किया गया है। वहा स्थिति गंभीर है। उसके विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस बार गाव के 62 लोगों को सूचीबद्ध किया गया है। गाव में सपर्क पुल के लिए मुख्यमंत्री संपर्क योजना के तहत इसका निर्माण कराया जाएगा।
कुमुंद रंजन, बीडीओ