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Naxal Activities in Gaya: महुआरी मुठभेड़ के प्रतिशोध में बड़ी घटना को दे सकते हैं नक्‍सली, क्षेत्र में दहशत

महुअारी गांव में हुए मुठभेड़ में भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर आलोक की मौत से नक्‍सली संगठन आक्रोश में है। वे किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं। क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:45 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 06:45 AM (IST)
Naxal Activities in Gaya: महुआरी मुठभेड़ के प्रतिशोध में बड़ी घटना को दे सकते हैं नक्‍सली, क्षेत्र में दहशत
गया में नक्‍सली गतिविधियों पर लगाम लगाना पुलिस के लिए चुनौती।

जेएनएन, गया। बाराचट्टी थाना क्षेत्र के महुअरी गांव में बीते दिनों प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता कौलेश्वरी सब जोनल कमांडर आलोक यादव को मुठभेड़ में कोबरा जवानों ने मार गिराया था। इसके प्रतिशोध में नक्सली बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं। इधर इस क्षेत्र में माओवादियों के खिलाफ पुलिस को सहयोग करने वाले वीरेंद्र की हत्या के बाद पुलिस का खुफिया तंत्र कमजोर पड़ गया है। ऐसे में माओवादियों की गतिविधियों काे रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होगी। क्षेत्र में अब भी दहशत का माहौल है।

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दक्षिण इलाके में पुलिस का खुफिया तंत्र पड़ा कमजोर-महुआरी गांव में नाच प्रोग्राम के दौरान नजरपुर पंचायत के मुखिया के देवर वीरेंद्र यादव की हत्या, प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के कौलेश्वरी सब जोनल कमांडर आलोक यादव ने गोली मारकर बीते दिनों कर दी थी। क्योंकि वीरेंद्र मुखर होकर माओवादियों का विरोध खुलेआम कर रहा था। संगठन की हर एक गतिविधि की जानकारी वीरेंद्र को होती थी। वीरेंद्र उनकी गतिविधियों की जानकारी पुलिस को देकर उनके मंसूबे पर पानी फेरता रहा। इस बात से नक्सली संगठन खार खाए हुए था। काफी दिनों से उनके निशाने पर वीरेंद्र था। उसकी हत्या का जिम्मा आलोक ने ले रखा था। आखिरकार उसने घटना को अंजाम दे ही दिया। वीरेंद्र की हत्‍या के बाद बाराचट्टी दक्षिणी इलाके में माओवादियों या फिर किसी अन्य नक्सली संगठन की सूचना तंत्र के मामले पुलिस कमजोर पड़ गई है।

घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल- बाराचटटी थाना क्षेत्र के दक्षिणी एवं धनगांई थाना क्षेत्र के इलाके में माओवादियों का दहशत ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। शाम होते ही इन इलाकों में लोग अपने घर के दरवाजे पर या फिर घर में पहले की तरह अपने परिवार के बीच चले जा रहे हैं। जबकि इस घटना से पहले लोग देर रात तक गांव में चौक-चौराहे पर बैठकर आपसी चौपाल लगाया करते थे वह फिलवक्त कहीं नजर नहीं आ रही है।


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