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नवाद में रैन बसेरा के गेट पर कोरोना जांच का सैंपल ले रहा अस्‍पताल, संक्रमण के डर से ठहर नहीं रहे गरीब मुसाफिर

बिहार के नवादा सदर अस्पताल के रैन बसेरा के गेट पर कोरोना की जांच की जा रही है। इस कारण संक्रमण के खतरे के भय में मुसाफिर वहां ठहरने से परहेज कर रहे हैं। वे ठंड की रात में खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 08:23 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 08:23 AM (IST)
नवाद में रैन बसेरा के गेट पर कोरोना जांच का सैंपल ले रहा अस्‍पताल, संक्रमण के डर से ठहर नहीं रहे गरीब मुसाफिर
नवाद सदर अस्‍पताल में बना रैन बसेरा। तस्‍वीर: जागरण।

नवादा, जागरण संवाददाता। नवादा सदर अस्पताल स्थित आश्रय स्थल का लाभ मुसाफिरों को नहीं मिल पा रहा है। वजह आश्रय स्थल (रैन बसेरा) के गेट पर कोरोना की जांच होना है। संक्रमण के खतरे को भांप लोग खुले आसमान के नीचे रात बिताना हितकर मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि कम से कम कोरोना महामारी के संक्रमण से दूर तो रहेंगे।

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खुले आसमान के नीचे रात बिताने में परेशानी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। प्रतिदिन रैन बसेरा के गेट के बाहर सैकड़ों लोगों का जांच के लिए स्वैब लिया जा रहा है। गौरतलब है कि सदर अस्पताल परिसर में नगर परिषद नवादा की ओर से दीनदयाल अंत्योदय योजना एवं राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना के तहत रैन बसेरा का निर्माण कराया गया है। इसके संचालन के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जिम्मा दिया गया है।

दिसंबर महीने में किया गया था चालू

गत साल दिसंबर महीने में सदर अस्पताल स्थित रैन बसेरा को चालू किया गया था, लेकिन अबतक महज चार-पांच छात्र ही ठहर सके हैं। शेष दिन यह खाली पड़ा रहता है। रैन बसेरा का संचालन कर रही तुलसी येलो स्वावलंबी सहकारी समिति की अध्यक्ष सीमा देवी ने बताया कि कोरोना काल से पहले प्रतिदिन काफी संख्या में लोग यहां ठहरते थे और बाजार से काफी कम दर पर भोजन खाते थे, लेकिन अब लोग नहीं आते। उन्होंने बताया कि अस्पताल के कई कर्मी यहीं खाना खाया करते थे। अब वे भी नहीं आते। रैन बसेरा के गेट पर ही कोरोना जांच के लिए स्वैब लिया जा रहा है। फलस्वरुप लोग भय के मारे नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसी स्थिति में रैन बसेरा संचालन से कोई फायदा नहीं हो रहा है।

कोरोना काल में आइसोलेशन वार्ड बना था रैन बसेरा

कोरोना काल में इस रैन बसेरा का इस्तेमाल आइसोलेशन वार्ड के रूप में किया जा रहा था। महिला संक्रमितों को इसमें ही आइसोलेट किया जाता था। बाद में जब संक्रमितों की संख्या में इजाफा होने लगा तो आइसोलेशन वार्ड शहर से दूर एक निजी स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया। फिर रैन बसेरा में वैसे लोगों को रखा जाने लगा, जिनका कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया था। जांच रिपोर्ट आने तक सैंपल देने वाले लोग यहीं ठहरते थे। बाद में इस भवन का इस्तेमाल बंद हो गया और यह खाली पड़ा रहता था। तब मीडिया में खबरें आने पर दिसंबर महीने में इसे चालू किया गया। लेकिन अभी भी स्वाब वहीं पर लिया जा रहा है।


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