गुप्त व शिशिर नवरात्र पर शक्तिपीठों में दुर्गा सप्तशती पाठ शुरू
गया। गुप्त सह शिशिर नवरात्र को लेकर शहर के बगला स्थान व शक्तिपीठों में शनिवार से दुर्गा पाठ
गया। गुप्त सह शिशिर नवरात्र को लेकर शहर के बगला स्थान व शक्तिपीठों में शनिवार से दुर्गा पाठ शुरू हो गया। इसमें दस श्रद्धालुओं द्वारा दुर्गा पाठ किया जा रहा है। नवरात्र के पहले दिन माता भगवती की स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना श्रद्धालुओं ने की।
शक्तिपीठ के मुख्य पुजारी निरंजन कुमार मिश्रा ने कहा, अधिकांश लोग साल में दो बार आने वाले चैत्र व अश्विन माह के शारदीय नवरात्रों के बारे में ही जानते है। इसके अतिरिक्त भी दो और नवरात्र होते हैं, जिसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि के लिए पूजा की जाती है। कम लोगों को इसकी जानकारी होने और इसके पीछे रहस्यमयी कारण होने के कारण इसे गुप्त सह शिशिर नवरात्र भी कहा जाता है। उन्होंने कहा, 25 जनवरी से यह नवरात्र प्रारंभ होकर तीन फरवरी तक चलेगा। इसमें दो फरवरी को सातवीं रात को निशा पूजा होगी। गुप्त नवरात्र में दो प्रमुख देवी-देवता की पूजा होती है। पंचमी तिथि को मां सरस्वती व सप्तमी को भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।
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सामान्य व गुप्त नवरात्र में क्या है अंतर :
सामान्य नवरात्र में आम तौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्र में अधिकांश लोग केवल तांत्रिक पूजा करते हैं। इसका अधिक प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता है, बल्कि साधक अपनी साधना को गोपनीय रखते हैं। गुप्त नवरात्र में पूजा व मनोकामना, जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, उतनी ही अधिक सफलता मिलेगी।
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नवरात्र में होती है मां की पूजा :
नवरात्र में नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जाती है। सुबह-शाम मंत्र जाप, चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। इसके साथ श्रद्धालु आरती भी करते हैं। दोनों समय मां को भोग भी लगाते हैं, जिसमें लौंग और बताशा चढ़ाया जाता है।