नमो देव्यै महादैव्यै: न्याय दिलाने खातिर मेट्रो सीटी की नौकरी छोड़ औरंगाबाद में डॉली बनी सरपंच
औरंगाबाद के शादीपुर पंचायत की सरपंच डॉली को पुणे से एमबीए की डिग्री लेने के बाद एयरलाइंस समेत कई कंपनियों में काम मिला। वो दिल्ली में रही हैं पर गया के ग्रामीण इलाके में सरपंच बनकर लोगों को न्याय दिलाने का कार्य कर रही है। पढ़िए पूरी खबर...
विश्वनाथ प्रसाद , मानपुर : औरंगाबाद जिले के शादीपुर पंचायत की सरपंच डॉली को बचपन से ही लोगों को न्याय दिलाने के प्रति झुकाव था। उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के दरम्यान भी कई विवादों का समाधान किया था। ग्रामीण बच्चों को बेहतर शिक्षा कैसे मिले इसके लिए भी वो काफी चिंता करती रहती थीं। एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद वो मेट्रो सीटी में अच्छे पैकेज पर नौकरी करने लगी। लेकिन शहर की जिंदगी उन्हें रास नहीं आई। वह गया जिले के मानपुर प्रखंड के शादीपुर पंचायत के रूपसपुर गांव पहुंचकर लोगों को न्याय दिलाना शुरू की। गांव के लोगों ने पंचायत चुनाव में उन्हें सरपंच बना दिया।
सरपंच की पगड़ी बांधकर डॉली घरेरू विवाद, महिला हिंसा आदि मामले का विधिवत निष्पादन करने लगी। जब लोगों को न्याय दिलाने में सफलता हासिल करने लगी तो उसने बच्चों को गुणवतापूर्ण शिक्षा देने की बीड़ा उठाई। अपने ही मकान में एक पाठशाला खोल ली । इसके लिए बेहतर शिक्षा हासिल कर नौकरी करने वाले युवाओं की तलाश की। उक्त लोगों को समझा-बुझाकर देश के नौनिहाल बच्चों के भविष्य बनाने के लिए सप्ताह में एक दिन दो घंटे का समय निकालने की बात कही। सरपंच की बात सुन कई लोग तैयार हो गए। उसके बाद पाठशाला में करीब 40 छात्र-छात्रा को गुणवतापूर्ण शिक्षा मिलने लगा। उक्त बच्चों को सरपंच के द्वारा अनुशासन एवं तकनीकी शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाने लगा।
पुणे से एमबीए की डिग्री लेने के बाद डॉली पहुंची गांव
पुणे से एमबीए की डिग्री लेने के बाद डॉली को एयरलाइंस समेत कई बड़ी कंपनियों में काम मिला। उन्होंने वहां कई दिनों तक काम भी किया। वो दिल्ली में रही हैं, पर गया के एक सुदूर ग्रामीण इलाके में सरपंच क्यों, इस सवाल पर कहती है कि भारत सिर्फ मेट्रो सिटी नहीं है। हम बड़े शहरों में जो कुछ देख लेते उसे विकास समझ लेते हैं। दूरदराज के गांवों में जाकर देखे तो सोच और विकास दोनों ही पैमाने पर हम अभी भी पचास साल पीछे हैं। बस इसी सोच क साथ मानपुर आ गई।
सास की कुर्सी पर बैठी, पति फिल्म क्षेत्र से जुड़े हैं
डॉली के पति डा धर्मवीर भारती फिल्म क्षेत्र से जुड़े हैं। उनकी चार साल की एक बच्ची है। वह अपनी बच्ची और समाज दोनों के प्रति दायित्व का निर्वहन कर रही है। परिवार का पूरा सहयोग मिला है। उनकी सास नीलम देवी शादीपुर की सरपंच हुआ करती थी। जून 2018 में उनका निधन हो गया तो डॉली ने उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का फैसला लिया। वो दिल्ली से लौट आई। फिर उप चुनाव हुआ और लोगों ने उन्हें विजय बनाया।
ऐसी मिलती है न्याय
शादीपुर पंचायत मुख्यालय में ग्राम कचहरी है। जहां सप्ताह में एक दिन पंचायत लगाया जाता है। घरेलू हिंसा, दांपत्य जीवन में कलह, जमीन विवाद से संबंधित मामले पहुंचते हैं दोनों पक्ष को बुलाया जाता है। वे लोग अपने-अपने पक्ष रखते है और उसके बाद फैसला सुनाया जाता है। जिसे दोनों पक्ष के लोग मान लेते हैं। इस दरम्यान मुखिया, सरपंच, पंच, न्याय सचिव के अलावा क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित होते हैं।