जलछाजन परियोजना का नाबार्ड के महाप्रबंधक ने किया भौतिक सत्यापन, गया के लोगों को दी जानकारी
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक पटना के महाप्रबंधक यशपाल अग्रवाल ने गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड के जिंगरा जलछाजन समिति के द्वारा कराये गये जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के तहत किए गए संरचनाओं व अन्य गतिविधियों का भौतिक सत्यापन किया।
संवाद सूत्र, बाराचट्टी (गया)। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक पटना के महाप्रबंधक यशपाल अग्रवाल ने गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड के जिंगरा जलछाजन समिति के द्वारा कराये गये जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के तहत किए गए संरचनाओं व अन्य गतिविधियों का भौतिक सत्यापन किया। पतलुका पंचायत के कुम्भी गांव मे नाबार्ड के द्वारा नाला बांध का किए गए निर्माण कार्य को देखा। बेला व लाट गांव मे बागवानी, नर्सरी, डेमो साईट, ड्रीप, स्प्रीकलर, वर्मीकम्पोस्ट, आहर की उडाही समेत नाबार्ड के तरफ से कराए गए संरचनाओं का निरीक्षण किया। जिंगरा एफपीओ के कार्यालय सोभ मे किसानों व जलछाजन कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक भी किया।
महुअरी गांव के किसान रामचन्द्र यादव ने जीएम को बताया कि नाबार्ड से कराये गये सभी गतिविधियों के बारे मे विस्तार पूर्वक जानकारी दिया। इसके अलावे नाबार्ड के महाप्रबंधक ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों व इनके कमिटी के द्वारा बहुत ही बढिय़ा कार्य किया गया है। इसी तरह और भी कार्यक्रम को बढिय़ा से करते रहे। वहीं उन्होंने जलछाजन कमेटी के सदस्यों को कहा कि समय से कार्य को पूरा करें। वहीं मगध विकास भारती संस्था सोभ स्थित कार्यालय का भी भ्रमण किया।
इस कार्यक्रम मे नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक उदय कुमार, मगध विकास भारती के मंत्री शिवनंदन प्रसाद, परियोजना अभियंता महेश प्रसाद, ब्रजेश सिंह, सुरेंद्र कुमार, जलछाजन समिति के अध्यक्ष उमेश यादव, कोषाध्यक्ष कृष्णदेव यादव, राजकुमार यादव, शांति देवी, धनसिंगरा से मधेश्वर कुमार, पंकज कुमार,कांती देवी,अमित कुमार, कामदेव कुमार, महकार एफपीओ के सीओ संगीता सिन्हा समेत सैकड़ों किसान मौजूद थे।
क्या है जलछाजन परियोजना
जलछाजन परियाेजना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल, जंगल, जमीन जन और जानवर के विकास एवं संवर्धन के साथ टिकाऊ जीविकोपार्जन व खेती काे विकसित करने है। इसके सफल क्रियान्वयन प्रत्येक राज्य में नोडल एजेंसी बनाई गई है। यह पहला कार्यक्रम है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और टिकाऊ जीविकोपाजर्न जैसे आधुनिक कृषि, लघु उद्यमों के विकास आदि कार्य सारे मिलकर ग्रामीण समाज को सशक्त बनाने का काम किया जाता है।