ज्यादातर लोग पिंडदान के लिए आते हैं गयाजी
फोटो-28 व 29 ---------- -73 प्रतिशत पिंडदानियों ने धार्मिक महत्ता को देखते हुए गयाजी को चुना -गया कॉलेज एनएसएस स्वयंसेवकों के सर्वे से मिली जानकारी -पिंडदान के बाद ज्यादातर तीर्थ यात्री जाते हैं बोधगया भ्रमण करने -------- -2000 लोगों से लिया गया फीडबैक -51.8 प्रतिशत लोगों को विधि व्यवस्था की चिंता -46.1 प्रतिशत लोगों के रहने की व्यस्वथा पंडों द्वारा की गई -------- जागरण संवाददाता गया
गया । धार्मिक महत्ता के कारण देशभर के ज्यादातर लोग पिंडदान के लिए गयाजी ही आते हैं। प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था से तीर्थ यात्री काफी प्रसन्न हैं। पिंडदान के बाद ज्यादातर तीर्थ यात्री बोधगया भ्रमण को जाते हैं।
यह जानकारी गया कॉलेज के एनएसएस के विद्यार्थी द्वारा किए गए सर्वे में मिली है। विद्यार्थी पितृपक्ष मेले में आए तीर्थयात्रियों की सहायता करने के साथ ही करीब 2000 लोगों से विभिन्न पहलुओं पर फीडबैक भी लिया। एनएसएस के सदस्य कई वृद्ध तीर्थयात्रियों को सहारा देकर उन्हें फ ल्गु नदी में लाने-ले जाने तथा सीढ़ी चढ़ने-उतरने में निरंतर मदद कर रहे हैं।
73 प्रतिशत गयाजी को धार्मिक
महत्ता को ले पिंडदान के लिए चुना : फीडबैक के अनुसार, 73 प्रतिशत लोगों ने गयाजी की धार्मिक महत्ता के कारण पिंडदान के लिए चुना है। 15.8 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनके परिजनों द्वारा पूर्व में गयाजी में ही पिंडदान किया गया है इसलिए उन्होंने गयाजी को चुना। सात प्रतिशत लोगों ने बताया कि गयाजी नजदीक होने के कारण उन्होंने गयाजी को चुना है, जबकि शेष लोगों ने गयाजी में जानकार पंडे का होना बताया।
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82.3 प्रतिशत तीर्थयात्री पहले कहीं नहीं किए पिंडदान : 82.3 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने बताया कि वह गयाजी से पहले और कहीं पिंडदान नहीं किए हैं, जबकि 17.7 प्रतिशत लोग अन्य स्थानों पर भी पिंडदान किए हैं। यह पूछने पर कि गयाजी में पिंडदान करने की प्रेरणा या जानकारी कहां से मिली तो 59.4 प्रतिशत लोगों ने बताया कि परिजनों से, 15.6 प्रतिशत ने बताया मित्रों से मिली है। वहीं, 2.5 को रेडियो एवं मीडिया के माध्यम से, 33.5 को अपने पुरोहित, 2.8 प्रतिशत लोगों ने पिंडदान वेबसाइट एवं मोबाइल एप्प के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने की बात कही।
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तीर्थयात्रियों में नौ प्रतिशत
ही पोस्ट ग्रेजुएट
एनएसएस के सदस्यों द्वारा लिए गए फीडबैक के अनुसार गयाजी आने वाले तीर्थयात्रियों में से नौ प्रतिशत तीर्थयात्री पोस्ट ग्रेजुएट, 18.6 ग्रेजुएट, 20 इंटरमीडिएट, 20.2 मैट्रिक पास, 20.5 नन मैट्रिक एवं 11.7 प्रतिशत अशिक्षित हैं। इनमें पुरुष और महिला का अनुपात 87.7 व 12.3 प्रतिशत का है।
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गयाजी आने से पूर्व अधिक
चिंता विधि व्यवस्था की
यह पूछने पर कि गयाजी आने के पूर्व आपको किस बात की अधिक चिंता थी तो जवाब में 51.8 प्रतिशत लोगों ने विधि व्यवस्था बताया। 14 प्रतिशत लोगों ने आवासन एवं भाषा की समस्या, 10 प्रतिशत लोगों ने भीड़भाड़ एवं वाहन की समस्या तो 9.8 प्रतिशत लोगों ने पंडा के चयन की समस्या की बात बताई। उन्होंने यह भी कहा कि गयाजी में आकर सारी भ्रातियां दूर हो गई। अब वे अपने सगे संबंधियों को गयाजी जाने को कहेंगे। तीर्थयात्रियों से यह पूछे जाने पर कि यहा आने से पहले ही क्या आपने ठहरने, खाने, धार्मिक अनुष्ठान के लिए पूरा प्रबंध कर लिया था तो 36 प्रतिशत लोगों ने हां में जबकि 64 प्रतिशत लोगों ने ना में जवाब दिया।
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पंडों ने की सबसे ज्यादा
आवासन की व्यवस्था
आवासन की व्यवस्था के संबंध में 46.1 प्रतिशत लोगों ने बताया कि पंडे के द्वारा व्यवस्था की गई। 35.3 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने स्वयं व्यवस्था की। 14.4 प्रतिशत लोगों ने अपने मित्र एवं निकट संबंधी द्वारा व्यवस्था करने की जानकारी दी। शेष में कुछ ने ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से तथा कुछ ने आश्रम में ठहरना बताया।
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ट्रेनों से 69.7 प्रतिशत तीर्थयात्री
पहुंचते है पिंडदान करने
आगमन के साधन के संबंध में 69.7 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने रेलगाड़ी द्वारा, 20.7 बस, 8.7 निजी वाहन, 0.9 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने वायु मार्ग से गायाजी पहुंचने की जानकारी दी।
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तीर्थयात्री सबसे ज्यादा
बोधगया करते हैं भ्रमण
पिंडदान करने वाले गयाजी आने के बाद अपने आसपास के अन्य पर्यटन स्थलों, तीर्थ स्थानों का भ्रमण करेंगे तो जवाब में 52 प्रतिशत लोगों ने नहीं, जबकि 48 प्रतिशत ने हां में जवाब दिया। इनमें से 91.9 प्रतिशत लोगों ने बोधगया, 36.6 ने राजगीर, 9.4 ने तपोवन गेहलौर, 0.5 प्रतिशत लोगों ने सभी स्थलों का भ्रमण करने, 0.2 प्रतिशत ने बाबाधाम एवं 0.1 प्रतिशत ने मंगलागौरी भ्रमण करने की बात कही।
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सबसे ज्यादा तीन दिनी पिंडदान
पिंददान के लिए 16 प्रतिशत तीर्थयात्री गयाजी में एक दिन, 54.5 प्रतिशत तीर्थयात्री तीन दिन, 21.5 प्रतिशत तीर्थयात्री सात दिन, 8 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने ही 17 दिन ठहरने की बात बताई।
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सबसे कम पांच हजार खर्च
पिंडदान के दौरान 19.8 प्रतिशत तीर्थयात्री पांच हजार रुपये, 34.4 प्रतिशत तीर्थयात्री पांच से 10 हजार रुपये, 28.4 ने 10 से 20 हजार, 13.7 ने 20 से 50 हजार, 3.5 ने 50 हजार से एक लाख रुपये और 0.2 प्रतिशत तीर्थयात्री एक लाख से अधिक रुपये व्यय करते हैं।
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देवघाट पर सबसे ज्यादा पिंडदान
59.9 प्रतिशत तीर्थयात्री देवघाट पर, 32.5 ने अक्षयवट, 21.6 ने प्रेतशिला और 30.6 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने इन सभी स्थलों पर पिंडदान करने की जानकारी दी।
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वेबसाइट 15.7 व मोबाइल एप
का 27 प्रतिशत करते हैं प्रयोग
प्रशासन द्वारा चलाई गई सेवाओं का उपयोग के संबंध में पूछने पर सहायता केंद्र का उपयोग 79 प्रतिशत लोगों ने, वेबसाइट का 15.7, मोबाइल एप का 27, नियंत्रण कक्ष का 48, पोस्टर बैनर का 80, वाहन किराया चार्ट का 48, प्रीपेड ऑटो रिक्शा का 25, रूट मैप का 30, स्वास्थ्य शिविर का 60, आवासन केंद्र का 60, वाटर एटीएम का 63, ई-रिक्शा का 65, पुलिस शिविर का 62, पब्लिक टॉयलेट का 50 और मे आई हेल्प यू डेक्स का 48 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने उपयोग किया। मेला अवधि के दौरान खाद्य एवं अन्य सामग्रियों की उपलब्धता के संबंध में पूछने पर अधिकतर लोगों ने अच्छा एवं बहुत अच्छा में जवाब दिया। सफाई कर्मी, प्रशासनिक कर्मी, पुलिसकर्मी, नागरिक, दुकानदार, पंडा समाज एवं यातायात कर्मी, चालक के व्यवहार के संबंध में अधिकतर लोगों ने स्नेह पूर्ण व्यवहार मिलने का जवाब दिया। सरकारी सेवाओं की स्थिति के संबंध में पूछने पर अधिकतर तीर्थयात्रियों ने बहुत अच्छी व्यवस्था होने की बात कही।