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औरंगाबाद नगर थाने में जब्‍त कर रखे गए हैं पांच सौ से अधिक वाहन, जंगल-झाड़ की भेंट चढ़ गई कई गाडि़यां

हादसे या अपराध के मामले में जब्‍त वाहनों की संख्‍या थानों में लगातार बढ़ती जा रही हैं। लेकिन एक बार जब्‍त होने के बाद जटिल कानूनी प्रक्रिया के कारण ये वाहन मुक्‍त नहीं हो पाते। नगर थाना परिसर में तो जगह भी नहीं बची है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 07:06 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 07:06 AM (IST)
औरंगाबाद नगर थाने में जब्‍त कर रखे गए हैं पांच सौ से अधिक वाहन, जंगल-झाड़ की भेंट चढ़ गई कई गाडि़यां
जब्‍त वाहनों पर उग आएं हैं जंगल-झाड़। जागरण
जेएनएन, औरंगाबाद। नगर थाना परिसर में जब्‍त कर रखे गए (Seized Vehicles) करोड़ों के वाहन बर्बाद हो रहे हैं। गर्मी, बरसात, ठंड की मार झेलते और जंग खाते ये वाहन कबाड़ में तब्‍दील हो रहे हैं। इनपर जंगल-झाड़ उग आए हैं। लेकिन न तो कोर्ट से इनकी नीलामी (Auction) का निर्देश मिल रहा है और न ही वाहन मालिक इन्‍हें मुक्‍त कराने का प्रयास कर रहे। अब तो स्थिति यह है कि नगर थाना परिसर में जब्‍त वाहनों को रखने की जगह नहीं है। थाना परिसर के पश्‍िचमी एवं पूर्वी भाग में जब्त वाहनों को रखा गया है।
नगर थाने में जब्‍त कर रखी हैं पांच सौ से अधिक गा‍डि़यां
नगर थाना में जब्त वाहनों की संख्या करीब पांच सौ के अासपास है। इनमें तो तीन सौ से अधिक बाइक हैं। जिधर नजर पड़ती है, जब्‍त वाहन नजर आते हैं। इनमें से अधिकांश बर्बाद हो गए हैं। वर्षों पहले जब्त ट्रक एवं कार पर पेड़-पौधे उग आए हैं। झाड़ियों में वाहनों का पता लगाना मुश्किल है। अधिकांश जब्त वाहन या तो दुर्घटना से जुड़े हैं अथवा अपराध से। दोनों हीं मामले के लोग वाहन की दावेदारी लेकर थाना नहीं आते हैं। अगर कोई आया भी तो लंबी प्रक्रिया देख भाग खड़ा होता है।
जब्‍त वाहन सड़ रहे, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर सकती
जब्त वाहन को पुलिस तभी छोड़ती है जब न्यायालय से आदेश आता है। न्यायालय से अधिकांश मामलों में तभी आदेश मिलता है जब केस फाइनल हो जाता है। केस लंबित रहने के कारण न्यायालय से आदेश निर्गत नहीं हो पाता है। बताया जाता है कि  नीलामी प्रक्रिया कठिन होने के कारण परेशानी होती है। वाहनों की नीलामी के लिए आदेश लेना पड़ता है। नगर थानाध्यक्ष अंजनी कुमार ने बताया कि यह हकीकत है कि थाना परिसर में जब्त वाहन सड़ रहे हैं परंतु पुलिस इन मामलों में कुछ नहीं कर सकती है। कोर्ट एवं वरीय अधिकारियों के आदेश पर ऐसे मामलों में निर्णय लिए जाते हैं। जब्त वाहनों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। कई वाहनों के मालिक तो पुलिस से संपर्क भी नहीं करते हैं।

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