बोधिवृक्ष की छांव में 11 देशों के भिक्षु कर रहे सुत्त पाठ
फोटो-36 -विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में विधिवत रूप से त्रिपिटक सुत्त पाठ शुरु आध्यात्मिक विकास में आत्म संतुष्टि ही सबसे बड़ा धन जागरण संवाददाता बोधगया
गया । विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में मंगलवार से विधिवत रूप से त्रिपिटक सुत्त पाठ का शुभारंभ किया गया। बोधिवृक्ष के आसपास बनाए गए छोटे-छोटे पंडालों में 11 देशों के बौद्ध भिक्षु व भिक्षुणियों ने निर्धारित सीट पर बैठकर सस्वर पाठ शुरू किया।
बता दें कि भिक्षु व भिक्षुणियों द्वारा त्रिपिटक ग्रंथ के खुद्दक निकाय के महानिदेश पालि, चुल निदेश पालि और पति समविदा मग्ग पालि सुत्त के दस दिनों तक सामूहिक रूप से पाठ किया जाएगा। पालि में लिपिबद्ध त्रिपिटक ग्रंथ को 11 अलग-अलग भाषाओं में आयोजक लाइट ऑफ बुद्धा धम्मा फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित कराया गया है। उसे संबंधित देश के भिक्षु-भिक्षुणियों को उपलब्ध कराया गया है। दस दिवसीय त्रिपिटक सुत्त पाठ में भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, वियतनाम, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, इंटरनेशनल, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, लॉव पीडीआर के लगभग चार हजार भिक्षु शामिल हैं। पाठ को लेकर महाबोधि मंदिर परिसर को आयोजक द्वारा भव्य तरीके से प्राकृतिक व कृत्रिम फूलों से सजाया गया है। संध्या बेला में बोधिवृक्ष की छांव में थाईलैंड के भिक्षु अमारो ने प्रवचन कर श्रद्धालुओं को निहाल किया। प्रवचन में उन्होंने कहा कि बुद्ध ज्ञान प्राप्ति से पहले बोधिसत्व थे। आध्यात्मिक विकास में आत्म संतुष्टि ही सबसे बड़ा धन है। आज लोग भौतिक सुख के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन उन्हें आत्म संतुष्टि नहीं मिल रही।