अतिक्रमण व गंदगी से मुक्ति की बाट जोह रही मोक्षदायिनी फल्गु
पेज - फोटो - 801 802 एवं 803 - फल्गु मांगे पानी -देवघाट से रामशिला घाट तक नदी की दशा सबसे ज्यादा खराब जगह-जगह अतिक्रमण कर खड़ी कर दी गई इमारतें बालू के अवैध खनन से जगह-जगह गड्ढे पानी की धारा भी बह रही विपरीत दिशा में शहर के लोग डाल रहे कचरा --------------- -2016 में जिला प्रशासन द्वारा नदी में बने आठ सौ मकानों को किया गया था चिह्नित -500 रुपये जुर्माना तय है नदी में अंतिम संस्कार करने पर --------- जागरण संवाददाता गया
गया । अतिक्रमण और गंदगी से मोक्षदायिनी फल्गु नदी कराह रही है। नदी की दयनीय स्थिति से पूर्वजों को मोक्ष दिलाने देश और विदेश से आने वाले लाखों पिंडदानी दुखी हैं। एक तरफ अतिक्रमण तो दूसरी ओर नदी में गंदे नालों का गिरना। शहर के देवघाट से रामशिला घाट तक नदी की दशा बिल्कुल ही खराब है। बालू के अवैध खनन से नदी में जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। इसके कारण पानी की धारा विपरीत दिशा में बह रही है। नदी को शहर के लोगों ने कूड़ेदान बना दिया है।
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मनाही के बाद भी
करते हैं शव दाह
विष्णुपद श्मशान घाट पर फल्गु में लकड़ी की कई दुकानें खुली हैं। नदी में प्रत्येक दिन काफी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। नगर निगम द्वारा घाट पर एक बोर्ड लगा है। इसमें लिखा है कि नदी में अंतिम संस्कार करते पकड़े जाने पर पांच सौ रुपये जुर्माना किया जाएगा। लोग निर्देश की अनदेखी कर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। घाट के पास नदी पूरी तरह प्रदूषित हो गई है। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं।
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सबसे अधिक अतिक्रमण
सिक्सलेन पुल से उत्तर
जिला प्रशासन द्वारा 2016 में नदी में बने आठ सौ मकानों को चिह्नित किया गया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके कारण अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ा है। नदी में सबसे अधिक अतिक्रमण सिक्सलेन से उत्तर दिशा में हुआ। पुल से लेकर रामशिला घाट तक काफी संख्या में अतिक्रमण कर इमारतें खड़ी कर ली गई हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि पंचायती अखाड़ा मोहल्ले के बांके गली के पास आधी नदी में लोगों ने मकान बना लिया। यही सिलसिला चलता रहा तो नदी अपनी पहचान खो देगी।
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नदी में बने मकानों में
सभी सरकारी सुविधा
अतिक्रमण कर नदी में बने मकानों में सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। बांके गाली, नीम गली, बारिश नगर, इकबाल नगर सहित कई मोहल्लों में नदी में बने मकानों में बिजली, पानी, सड़क आदि की सुविधाओं हैं। यहां तक कि नगर निगम मकानों का टैक्स भी वसूल रहा है। ऐसे में अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।
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अवैध खनन से नदी का दोहन
खनन विभाग ने नदी से बालू के उठाव के लिए 20 स्थानों पर घाटों को चिह्नित कर रखा है। इसके अलावा कई स्थानों पर अवैध खनन जारी है। सबसे अधिक अवैध खनन कौशला, परेवा, कंडी एवं कन्दुई के पास किया जा रहा है। इसके कारण नदी में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।
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अगर फल्गु नदी को प्रदूषण से नहीं बचाया गया तो एक दशक में शहर की एक बड़ी आबादी रोगग्रस्त हो जाएगी। नदी में कई छोटे-बड़े गंदे नाले गिर रहे हैं। ऐसे में भू-जल भी प्रदूषित हो गया है। इसके कारण आसपास के क्षेत्रों में बारिंग से दूषित पानी निकल रहा है। हरहाल में नदी को प्रदूषित होने से बचाने की जरूरत है।
प्रो. विद्या सिंह, भूगोल विभाग मगध विश्व विद्यालय, बोधगया
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फल्गु में अवैध खनन को रोकने के लिए लगातार छापेमारी का कार्य चल रहा है। अभी तक 80 लाख रुपये अवैध खनन से वसूले गए हैं। नियम से अधिक मात्रा में अगर बालू का उठाव होता है कि संवेदक से राशि की वसूली की जाएगी।
डॉ. घनश्याम झा, जिला खनन पदाधिकारी
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फल्गु में अवैध रूप में कई मकानों बने हैं। अतिक्रमण को हटाने को लेकर नगर निगम में कोई अपना पुलिस बल नहीं है। नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए साढ़े तीन सौ करोड़ की राशि सीवरेज सिस्टम बनाने के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
वीरेंद्र कुमार, मेयर
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फल्गु नदी में अतिक्रमण हटाने का मामला न्यायालय में है। क्योंकि आठ सौ चिह्नित मकान के लोगों द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। ऐसे में अतिक्रमण नहीं हटाया जा सकता। नदी में अब नए मकान का निर्माण नहीं होगा। कोई व्यक्ति नदी को अतिक्रमण कर मकान का निर्माण करता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी