मोहनपुर को पूर्ण थाने का दर्जा नहीं, बाराचट्टी में प्राथमिकी दर्ज कराते लोग
गया जिले के मोहनपुर थाने को 45 वर्षो के बाद भी पूर्ण थाने का दर्जा नहीं मिला है जबकि यह शेरघाटी अनुमंडल का सबसे बड़ा नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। ऐसा नहीं है कि थाने का अपना भवन नहीं है और यह संसाधनों का मोहताज हो।
रामानंद सिंह, मोहनपुर (गया)
गया जिले के मोहनपुर थाने को 45 वर्षो के बाद भी पूर्ण थाने का दर्जा नहीं मिला है, जबकि यह शेरघाटी अनुमंडल का सबसे बड़ा नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। ऐसा नहीं है कि थाने का अपना भवन नहीं है और यह संसाधनों का मोहताज हो। इस थाने का खुद का भवन बना है, संसाधन भी सुलभ हैं। इसके बावजूद थाना ओपी (आउट पोस्ट) में चलता है। हालांकि अत्याधुनिक संसाधनों के अभाव से थाने की पुलिस अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने से परहेज करती है। वे खुद महफूज नहीं हैं। 18 पंचायतों के 131 गावों की तीन लाख से अधिक आबादी को सुरक्षा मुहैया कराने वाला थाना खुद अपनी मूल स्थिति नहीं प्राप्त कर सका है।
मोहनपुर में थाने की स्थापना 1979-80 में हुई। इतना पुराना थाना होने के बाद भी यहां प्राथमिकी नहीं दर्ज की जाती है। इस इलाके में कोई विवाद होता है या फिर कोई घटना, तो प्राथमिकी बाराचट्टी थाने में दर्ज की जाती है। इस कारण फरियादियों को परेशानी होती है। पुलिस-प्रशासन को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, बाराचट्टी थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद आवेदनकर्ता को काड संख्या दो-तीन दिन बाद मिलती है। प्रशासन कर रहा स्थानीय लोगों के साथ उपेक्षित व्यवहार :
मोहनपुर के निवासी सुनील कुमार सिंह, शंभूनाथ सिंह, भुनेश्वर सिंह, मो मिनहाज खा, डॉ. दिनेश कुमार व उमेश सिंह आदि ने कहा, अतिपिछड़ा क्षेत्र होने के कारण सरकार व जिला प्रशासन लोगों की भावनाओं की कद्र नहीं कर रहे हैं। पूर्ण थाने के दर्जे के लिए वर्ष 2009 में पंचायत समिति सदस्यों ने प्रस्ताव पारित कर जिला मुख्यालय व पुलिस-प्रशासन को भेजा था। लेकिन अब तक पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं गया है। लोगों ने बताया कि इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कई बार आश्वासन भी दिया था कि मोहनपुर थाने को मूल थाने में परिवर्तित करा दिया जाएगा, लेकिन आज तक इसे पूर्ण थाने का दर्जा नहीं मिल सका। पूर्ण थाने के लिए उच्चाधिकारियों ने दिया है आश्वासन : थानाध्यक्ष
थानाध्यक्ष रविभूषण ने बताया, मूल थाना नहीं होने के कारण जनता को प्राथमिकी के कागजात दूसरे या तीसरे दिन मिल पाते हैं। किसी मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए चौकीदार या पुलिस को बाराचट्टी भेजा जाता है। भूषण ने यह भी बताया कि मोहनपुर थाने में संसाधन का कोई अभाव नहीं है। यहा पर थाने का अपना भवन है। पुलिस बल भी एक थाने के अनुसार मिले हैं। फिर भी आज तक यह समझ में नहीं आया कि इसे मूल थाने का दर्जा क्यों नहीं दिया गया? इसके लिए उच्चाधिकारियों से भी हमने बात की है। उनकी ओर से आश्वासन दिया गया है कि जल्द थाने को मूल थाने में परिवर्तित कर दिया जाएगा। पंचायत समिति की बैठक में होगा विचार-विमर्श : प्रखंड प्रमुख
प्रखंड प्रमुख संजय कुमार अकेला ने बताया, इस बार होने वाली पंचायत समिति की बैठक में पुन: विचार-विमर्श किया जाएगा। मोहनपुर थाने को मूल थाने का दर्जा दिलाने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। अगर इससे भी सफलता नहीं मिली तो इस बार मोहनपुर प्रखंड की जनता आंदोलन करेगी।