प्रवचन सुन धन्य हुए श्रद्धालु
संवाद सूत्र, मानपुर : परमब्रह्मा के चरणों में ही चक्र, ध्वज, अंकुश बज्र, कमल, कल्पवृक्ष, क्षत्र व शं
संवाद सूत्र, मानपुर : परमब्रह्मा के चरणों में ही चक्र, ध्वज, अंकुश बज्र, कमल, कल्पवृक्ष, क्षत्र व शंख का चिह्न होते हैं। यह चिह्न श्रीरामचंन्द्र के चरणों में थे। ये बातें श्री स्वामी रंगरामानुजा आचार्य जी महाराज मानपुर के लखीबाग में चल रहे रामायण नवाह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिन प्रवचन के दरम्यान बाले। उन्होंने कहा कि भगवान के दाहिने पैर के अंगूठे की जड़ में शरणागत जनों के संसार बंधन से नाश करने के लिए चक्र का चिह्न है। मध्यमा अंगुली के मध्य भाग में भक्तों के चित रूपी भ्रमर को लुभाने के लिए अत्यंत सुंदर कमल का चिह्न है। वहीं कमल के नीचे समस्त अनर्थो को परास्त करने वाली विजय ध्वज का चिह्न है। कनिष्ठ अंगुली की जड़ में ब्रज का चिह्न है, जो भक्तों के पापराशि को विदीर्ण करने वाला है। पैर के बीच में अंकुश का चिह्न है, जो भक्तों के चितरूपी हाथी का दमन करने वाला है। भगवान नारायण अपने अंगूठे के पर्व में भोग संपति के प्रतीक भूत यव का चिह्न धारण किए हुए हैं। उनके मूल भाग में गदा की रेखा है, जो समस्त जीवों के पापरूपी पर्वत को चूर्ण कर देने वाली है। अन्य चिह्न भगवान संपूर्ण विद्याओं को प्रकाशित करने के लिए धारण किए हुए हैं।