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चैनपुर विधानसभा सीट पर लंबे अरसे बाद अल्‍पसंख्‍यक विधायक, केवल दो मुस्लिम पहले जा सके हैं विधानसभा

लंबे अरसे के बाद चैनपुर विस में अल्पसंख्यक समुदाय का हुआ विधायक चौथे प्रयास में कैबिनेट मंत्री को हराकर मों जमा खां बने विधायक। 1957 व 1985 में अल्पसंख्यक समुदाय को चैनपुर विधानसभा सीट से मिली थी जीत।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 09:30 AM (IST)
चैनपुर विधानसभा सीट पर लंबे अरसे बाद अल्‍पसंख्‍यक विधायक, केवल दो मुस्लिम पहले जा सके हैं विधानसभा
चैनपुर विधानसभा सीट पर अल्‍पसंख्‍यक की जीत। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

जेएनएन, भभुआ। कैमूर जिले की चैनपुर विधानसभा सीट (Chainpur Assembly Seat) अल्‍पसंख्‍यक बहुल है। लेकिन आजादी के बाद से अब तक केवल तीन बार ही इस समुदाय के लोग यहां के विधायक चुने जा सके हैं। पहली बार 1957 में उसके करीब तीन दशक बाद 1985 में मुस्लिम समाज को प्रतिनि‍धित्‍व का मौका मिला। दोनों बार कांग्रेस प्रत्‍याश्‍ाी के रूप में। उसके फिर तीन दशक से अधिक समय के बाद 2020 में यहां अल्‍पसंख्‍यक उम्‍मीदवार को जनता ने चुना।

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बसपा के जमां खां बने तीसरे विधायक

इस बार बसपा (BSP) के मो जमा खां विधायक निर्वाचित हुए हैं। उनकी जीत बड़ी मानी जाती है। क्‍योंकि उन्‍होंने बिहार सरकार के मंत्री रहे बृजकिशोर बिंद को 25 हजार मतों से श्‍ािकस्‍त दी। इसके पूर्व 1957 में कांग्रेस से अली वारिश खां और 1985 में कांग्रेस से ही परवेज हसन खां विधायक बने। इसके अलावा किसी भी चुनाव में इस समुदाय से कोई विधायक नहीं बना।

तीन-तीन विधायक लगा चुके हैं जीत की हैट्रिक

इस विधानसभा की बड़ी खासियत यह है कि जनता ने जिसे एक बार चुन लिया, उसे ही बार-बार विधानसभा भेजती है। शायद यही कारण है कि यहां तीन-तीन नेताओं ने जीत की है‍ट्रिक लगाई है। वर्ष 1972, 1977, 1980 में लालमुनी चौबे ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। इसके बाद पुन: 1990 में पुन: लालमुनी चौबे यहां से विधायक चुने गए थे। उनके बाद महाबली सिंह का परचम लहराया। वे 1995, 2000 व 2005 के फरवरी व अक्टूबर माह में हुए चुनाव में निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 2009 के उपचुनाव, 2010 व वर्ष 2015 में हुए चुनाव में बृज किशोर बिंद यहां से विधायक चुने जाते रहे।   

चैनपुर विधानसभा में कब कौन जीता- 

1952 - गुप्तनाथ सिंह - कांग्रेस 

1957 - अली वारिश खां - कांग्रेस 

1962 - राम कृष्ण राम - कांग्रेस 

1967 - मंगलचरण सिंह - कांग्रेस 

1969 - बद्री सिंह - प्रसोपा 

1972 - लाल मुनी चौबे - वीजेएस 

1977 - लाल मुनी चौबे - वीजेएस 

1980 - लाल मुनी चौबे - जेएनवी 

1985 - परवेज हसन खां - कांग्रेस 

1990 - लाल मुनी चौबे - भाजपा 

1995 - महाबली सिंह - बसपा 

2000- महाबली सिंह - बसपा 

2005 फरवरी- महाबली सिंह - राजद 

2005 अक्टूबर - महाबली सिंह - राजद 

2009 उप चुनाव- बृज किशोर बिंद - भाजपा 

2010 - बृज किशोर बिंद - भाजपा 

2015 - बृज किशोर बिंद - भाजपा

2020 - मो जमा खां- बसपा


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